मोदी का इतिहास बोध और असमान्य ज्ञान
16-Nov-2013 07:18 AM 1234779

भारतीय जनता पार्टी के खेवनहार नरेंद्र मोदी कोई साधारण व्यक्ति तो हैं नहीं। जो पार्टी में लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज जैसे कद्दावर नेताओं की मौजूदगी में स्वयं को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कराने में कामयाब हो जाए वह असाधारण ही कहलाएगा। लिहाजा मोदी का ज्ञान असाधारण है। या यूं कहें कि जरा हटके है। जो सारी दुनिया को नहीं मालूम वह मोदी को ज्ञात है और उनकी इस सर्वज्ञता का अनुसरण लालकृष्ण आडवाणी भी करने लगे हैं जो आजकल पंडित नेहरू की बखिया उधेड़ रहे हैं। खैर मोदी अपने भाषणों में कुछ ज्यादा ही ज्ञान उड़ेलते हैं। इसी कारण कई बार उनके मुंह से बड़ी अटपटी बातें निकलकर सामने आती हैं जो सुनने में तत्काल चमत्कार पैदा कर देती हैं, लेकिन बाद में समझ में आता है कि मोदी ने जो कुछ बोला है उसमें सच्चाई कम है गप्पबाजी ज्यादा है। हाल के दिनों में ऐसी कई बातें नरेंद्र मोदी ने कहीं जिनके कारण भारतीय जनता पार्टी चिंता में आ गई। चिंता में आना स्वाभाविक है क्योंकि कांग्रेस इस प्रयास में है कि नरेंद्र मोदी की छवि एक फेंकू राजनेता की बन जाए। यदि ऐसा होता है तो मोदी की सभा में भीड़ भले ही जुटे लेकिन राजनीतिक तौर पर उन्हें गंभीरता से लेने वालों की संख्या अच्छी खासी गिर जाएगी। भारतीय जनता पार्टी मोदी के इस इतिहास बोध और असमान्य ज्ञान से खासी चिंतित है। इसीलिए भाजपा ने मोदी को सलाह दी है कि वे जो भी बोले बड़े सोच-समझकर और तथ्यों के आधार पर बोलें।
भारतीय राजनीति में बड़बोले नेताओं की कमी नहीं है जो राजनेता अपने आपको बड़ा अध्ययनशील मानते हैं वे भी विरोधियों को ध्वस्त करने के लिए कुछ ऐसे लेखकों का सहारा लेते हैं जिनकी विश्वसनीयता संदेहास्पद है। बहरहाल नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों मंच से बेपनाह झूठ बोला उन्होंने तक्षशिला को बिहार का विश्वविद्यालय बताया जबकि सच्चाई यह है कि तक्षशिला प्राचीन भारत में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था और बिहार नहीं बल्कि अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में रावलपिंडी में स्थित था। जो वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा है। एनडीए के कार्यकाल में विकास दर को लेकर भी मोदी ने अतिश्योक्ति की और इसे 8.4 प्रतिशत बताया। सच तो यह है कि उस वक्त एनडीए के शासनकाल की औसत विकास दर 6 प्रतिशत ही थी। यह अवश्य है कि जब अटल बिहारी वाजपेयी के शासन के अंतिम दिन चल रहे थे उस वक्त विकास दर 8 प्रतिशत से ऊपर हो गई थी और भाजपा फीलगुड करने लगी थी जिसका नतीजा चुनावी हार के रूप में निकला। यदि मोदी इसी तरह अतिश्योक्ति करते रहे तो भाजपा फिर से फील गुड के माहौल में सिमट सकती है। वैसे भी पांच राज्यों के चुनावी समीकरण जो उभरकर सामने आए हैं उनसे तो यही पता चल रहा है कि जिस मोदी की आंधी की बात की जा रही थी वह फिलहाल इन राज्यों में दूर-दूर तक नहीं है। बल्कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्तासीन भाजपा के लिए स्लाग ओवर कुछ ज्यादा ही परेशानी भरे साबित हुए हैं। बहरहाल मोदी को यह तथ्यों की आपूर्ति कौन कर रहा है। ऐसा कौन ज्ञानी है जिसने मोदी के मुंह से आंकड़ों और तथ्यों की गलत बयानी करवा दी। यह जानना जरूरी है।
चीन के बारे में मोदी ने कहा कि वह अपनी जीडीपी का 20 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करता है जबकि सच यह है कि चीन में जीडीपी का 3.93 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च होता है, जिस एनडीए का मोदी गुणगान करते हैं उसके शासनकाल में शिक्षा पर 1.6 प्रतिशत खर्च हुआ और यूपीए के शासनकाल में जीडीपी का 4.4 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च हो रहा है। मोदी इन आंकड़ों से हर वर्ग को लुभाना चाहते हैं, लेकिन एक बड़े मंच से जब कुछ बोला जाता है तो उसका परीक्षण करने वाले भी पैदा हो जाते हैं लिहाजा मोदी को सोच-समझकर बोलने की सलाह दी जा रही है, लेकिन क्या वे उसका अनुसरण करेंगे। बिहार में ही उन्होंने कहा कि सिकंदर महान को गंगा के तट पर बिहारियों ने हराया था। यह तथ्य भी गलत है। बिहार तक तो सिकंदर पहुंचा ही नहीं वह तो पहले ही वापस लौट गया था क्योंकि उसके सैनिक बिहार में शासन करने वाले मगध साम्राज्य से लोहा लेने के लिए तैयार नहीं थे।
नरेंद्र मोदी गुजरात का वर्णन करने में भी कुछ ज्यादा ही अतिश्योक्ति बरत रहे हैं। उन्होंने गुजरात के टूरिज्म पर भी अतिश्योक्तिपूर्ण तथ्य प्रस्तुत किए जबकि सच तो यह है कि विश्व में शीर्ष 10 टूरिस्ट डेस्टिनेशन में भारत से केवल केरल का नाम है। गोवा और गुजरात उस सूची में नहीं हैं। जहां तक विदेशी निवेश का प्रश्न है मोदी ने इसमें भी गड़बड़झाला किया और बताया कि गुजरात में देश में सर्वाधिक विदेशी निवेश होता है, लेकिन वर्ष 2000 से 2011 तक गुजरात में 7.2 बिलियन डॉलर का विदेशी पूंजी निवेश हुआ। जबकि इसी दौरान महाराष्ट्र में 45.8 बिलियन डॉलर और दिल्ली में 26 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश हुआ है।
लगता है मोदी अपने शब्दों के जाल में जनता को फंसाना चाहते हैं यह सच है कि जनता के बीच प्रभावशाली भाषण देने वालों में मोदी का नाम सबसे ऊपर है, लेकिन जिस तरह की बातें वह कह रहे हैं वे कुछ ज्यादा ही अतिश्योक्तिपूर्ण है। जैसे कि उन्होंने नर्मदा बांध से लोगों को मुफ्त बिजली देने की बात की और यह भी कहा कि उनके पटना भाषण के बाद टीवी मीडिया के लिए केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी की थी, लेकिन मोदी का यह झूठ भी पकड़ा गया क्योंकि भाषण उन्होंने 27 अक्टूबर को दिया और एडवाइजरी 21 अक्टूबर को ही जारी हो चुकी थी। सरदार पटेल की अंत्येष्टि में पंडित नेहरू की गैर मौजूदगी की बात हो या फिर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की लंदन में 1930 में शहादत की बात हो मोदी के मुंह से निकली यह गलत बातें भाजपा को परेशान कर सकती है। हालांकि श्यामा प्रसाद मुखर्जी के मामले में मोदी ने गलती सुधार ली है और नेहरू के मामले में उस समाचार पत्र ने कहा है कि मोदी ने ऐसा नहीं कहा था वह गलत छप गया था, लेकिन सारी गलतियां बिना किसी तथ्य के प्रस्तुत करना कैसे संभव है।
बहरहाल नरेंद्र मोदी ने पटना से लेकर रायपुर तक हर रैली में केंद्र सरकार को निशाना बनाया है। बहराइच में उनकी रैली को अंतिम समय में अनुमति मिल सकी। क्योंकि प्रशासन को उनकी सुरक्षा पर कुछ संशय था और इस रैली में मोदी ने सुरक्षा को ही मुद्दा बनाया तथा सरकार को आरोपित करते हुए कहा कि सरकार ने उनके पीछे सीबीआई और इंडियन मुजाहिदीन को लगा दिया है। क्या यह वाकई में सच है। दरअसल पटना रैली के समय हुए धमाकों के बाद नरेंद्र मोदी के लिए भाजपा ने प्रधानमंत्री और राहुल गांधी के समकक्ष सुरक्षा की मांग की थी जिसे सरकार ने ठुकरा दिया था। हालांकि पंजाब में रैली के लिए मोदी को विशेष सुरक्षा की बात कही गई, लेकिन इसे नरेंद्र मोदी ने मुद्दा बनाते हुए सरकार पर जमकर प्रहार किया।
अब मोदी को घेरने के लिए कांग्रेस भी मुखर हो गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि ऊंचे मंचों से गलत बोलने वालों को जनता पसंद नहीं करती। उधर केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने मोदी पर गटर पॉलिटिक्स करने का आरोप लगाया है जिससे नया विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने खूनी पंजा वाले बयान के लिए मोदी की शिकायत की है। लेकिन मोदी पहले की तरह मुखर हैं। बहराइच में उन्होंने कहा कि अगले चुनाव में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजपार्टी और कांग्रेस नहीं बल्कि सीबीआई और आईएम मोर्चा संभालेंगे ताकि वे कांग्रेस का मोर्चा बचा सकें। उन्होंने यह भी कहा कि मुजफ्फरनगर दंगों में भाजपा को बदनाम किया गया क्योंकि इस बार दिल्ली बीजेपी की सरकार बन गई तो इस देश को तबाह-बर्बाद करने वालों को ठिकाना नहीं मिलेगा। मोदी ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि वोट बैंक की राजनीति की जा रही है। भाजपा के दो विधायकों को जेल में बंद कर दिया गया और जब कोर्ट ने उन्हें छोड़ दिया तो दूसरे कानून लगाकर दोबारा जेल भेज दिया। नरेंद्र मोदी सेक्युलरिस्ट अभियान पर भी हैं। हाल ही में उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौलाना आजाद को विस्मृत करने के लिए कांग्रेस की खिंचाई की। राजस्थान के उदयपुर में मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने लोगों का जीना हराम किया अब लोग कांग्रेस का जीना हराम कर दें क्योंकि आज की महंगाई में गरीबों का चूल्हा जलना मुश्किल है। कांग्रेस सरकार ने महंगाई दी है। प्याज से लेकर डीजल तक सब कुछ महंगा हो गया है। गहलोत ने राजस्थान को तबाह कर दिया है। उन्होंने वसुंधरा की तारीफ करते हुए कहा कि जब वसुंधरा मुख्यमंत्री थीं तो किसानों के लिए रात भर जागकर गुजरात से पानी मांगती थीं। मोदी भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों और पूर्व मुख्यमंत्रियों की तारीफ करना नहीं भूलते। इसी कारण भाजपा का एक वर्ग यह मान रहा है कि मोदी की सभाओं से भले ही सत्ता समर्थक लहर न चले किंतु इतना तो तय है कि सत्ता विरोधी रुझान कुछ हद तक कम हो जाएगा। भाजपा की भी यही रणनीति है कि जिन प्रदेशों में सत्ता है वहां मोदी का उपयोग सत्ता विरोधी रुझान को थामने के लिए किया जाए और जहां सत्ता नहीं है
वहां मोदी वर्तमान सरकारों के खिलाफ माहौल तैयार करें। इसी कारण मोदी भाजपा शासित राज्यों की तारीफ में कुछ ज्यादा ही कसीदे पढ़ते नजर आते हैं।
मोदी एक चुनौती हैं : चिदंबरम
कांग्रेस लंबे समय से नरेंद्र मोदी को चुनौती मानने से इनकार करती रही है, लेकिन अब केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने साफ कहा है कि
मोदी आगामी चुनाव में उनकी पार्टी के लिए चुनौती हंै। चिदम्बरम के इस बयान से असमंजस पैदा हो गया। सूत्रों के मुताबिक पीएम पद का उम्मीदवार घोषित होने के बाद मोदी को लेकर देश में बन रहे माहौल के चलते अंदरूनी तौर पर कांग्रेस भी उन्हें चुनौती मान रही है, लेकिन वह इसे सार्वजनिक नहीं करना चाहती। चिदंबरम के उन्हें चुनौती मानने और एक पार्टी के तौर पर नजरअंदाज न करने की नसीहत से कांग्रेस का यह असमंजस सामने आ गया है। इतना ही नहीं, वित्त मंत्री के यह कहने से कि भाजपा नेताओं को एकजुट करने में मोदी कामयाब रहे हैं, कांग्रेस मोदी की इस तारीफ से खुद को असहज महसूस कर रही है। लिहाजा, पार्टी ने चिदंबरम के बयान से नुकसान की भरपाई की भरपूर कोशिश की। शिंदे ने स्पष्ट लफ्जों में कहा, कांग्रेस के लिए मोदी कोई चुनौती नहीं है। यह कहने पर कि चिदंबरम ने तो उन्हें चुनौती माना है, शिंदे ने कहा, मैं दूसरों के बारे में नहीं कह सकता, लेकिन अपनी और पार्टी की तरफ से यह बात कह रहा हूं। इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा, कांग्रेस बहुत बड़ी और पुरानी पार्टी है। 120 साल की इस पार्टी के सामने बहुत बड़ी-बड़ी चुनौतियां आती रही हैं। वह हर बार उनसे पार पाती रही है। 2004 में राजग का इंडिया शाइनिंग भी बड़ी चुनौती थी, फिर भी कांग्रेस जीती और नौ साल से सरकार में है।

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