16-Nov-2013 07:49 AM
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राजस्थान में वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अपने-अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। बगावतियों ने बगावत भी की और मनाने वालों ने मनाया भी। जो मान गए उन्हें कुछ लालच दिया गया

जो नहीं माने उन्हें लानत भेजी गई कि भविष्य में पार्टी की तरफ मुड़कर मत देखना। ऐसा हर चुनाव के पहले होता है। कुछ प्रत्याशी नाराज होकर बैठ जाते हैं तो कुछ नाराजगी का मोल-भाव कर लेते हैं। बहरहाल दोनों दलों में लगभग समान संख्या में ही बगावत और मान-मनोव्वल देखी गई है। लिहाजा यह कहना कि बगावत से किसी को नुकसान होगा मुनासिब नहीं है। वैसे भी जनता बगावतियों का चरित्र अच्छी तरह जानती है। कांग्रेस ने जहां प्रदेश अध्यक्ष चंद्रभान को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतार दिया है। वहीं भाजपा ने कुछ खास लोगों के टिकिट काट दिए हैं जो असंतुष्ट होकर अब निर्दलीय लड़ रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं समाज कल्याण मंत्री रहे मदन दिलावर। दिलावर का कहना है कि यदि वे चुनाव नहीं लड़े तो उनकी मां जान दे देंगी। उन्होंने अपने छोटे-बेटे पवन को कोटा दक्षिण और बड़े बेटे दीपक को बूंदी व हिडौली से चुनाव लड़वाने की घोषणा की है। इस प्रकार तीन सीटों पर भाजपा के टिकिट कटने की आशंका है। कांग्रेस की दिक्कत यह है कि अन्य प्रदेशों की तरह राजस्थान में भी राहुल फार्मूला धराशायी हो गया है। जिसका असर चुनाव में देखा जा सकता है। हालांकि बगावत अब थोड़ी थमती दिखाई दे रही है, लेकिन आने वाले समय में गहलोत के लिए परेशानी बढ़ सकती है जो कि पहले ही चुनावी सर्वेक्षणों से परेशान है।
भाजपा ने बाड़मेर के शिव विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है। मानवेंद्र 2009 में बाड़मेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे। अनूपगढ़ सीट से भाजपा को उम्मीदवार बदलना पड़ा, क्योंकि प्रियंका बैलाण की जन्मतिथि को लेकर विवाद था। आरोप थे कि उनकी जन्मतिथि चुनाव लडऩे की निर्धारित उम्र 25 वर्ष से काफी कम है। प्रियंका की जगह अब भाजपा ने इस सीट से सिमला बावरी को उम्मीदवार घोषित किया है। फुलेरा से मौजूदा भाजपा विधायक निर्मल कुमावत फिर चुनाव लड़ रहे हैं। मंडावा सीट से कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चंद्रभान को टिकट दिया है, जिनके सामने भाजपा ने नए प्रत्याशी सलीम तंवर को टिकट दिया है।
चंद्रभान के चुनाव में व्यस्त होने से प्रदेश कांग्रेस का कार्यभार राजसमंद सांसद गोपाल सिंह शेखावत और पूर्व विधायक जुगल काबरा को सौंपा गया है। दोनों की पक्के गहलोत समर्थक हैं। कांग्रेस ने जयपुर जिले की जमवारामगढ़ सीट पर उम्मीदवार का नाम बदल दिया है। कांग्रेस ने आश्चर्यजनक तरीके से झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से रेखा कटारिया को टिकट दिया है, जिनकी सक्रिय भागीदारी कभी कांग्रेस कार्यक्रमों में नहीं देखी गई। बताया जाता है कि केंद्रीय राज्यमंत्री कांग्रेस सांसद लालचंद कटारिया की निकट रिश्तेदार होने से रेखा कटारिया को टिकट मिल गया है। सांसद बनने से पहले पिछले विधानसभा चुनाव में वे झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए थे। उन्हें भाजपा के राजपाल सिंह शेखावत ने हराया था। रेखा कटारिया कांग्रेस की तरफ से राजपाल सिंह को चुनौती देंगी। इस प्रकार झोटवाड़ा सीट पर लालचंद कटारिया का कब्जा बरकरार है। कांग्रेस ने कपासन (एससी) विधानसभा सीट पर मौजूदा विधायक शंकर बैरवा को बदलते हुए उनकी जगह आरडी जावा को उम्मीदवार बनाया है। इसी प्रकार मांडलगढ़ विधायक प्रदीप कुमार सिंह की जगह विवेक धाकड़ कांग्रेस उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। पिछले 2008 के विधानसभा चुनाव में हिंडोली से पराजित हरिमोहन शर्मा की जगह कांग्रेस ने युवा कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चांदणा को उम्मीदवार बनाया है।
तारानगर सीट से 2008 में हारने के बावजूद कांग्रेस ने सीएस बैद पर फिर भरोसा जताया है। आमेर के विधायक गंगासहाय शर्मा इस बार फिर उम्मीदवार बनाए गए हैं। कांग्रेस ने इस बार बहुत ही सावधानी से सभी समीकरणों और कांग्रेस की बरसों पुरानी परंपराओं को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार तय किए हैं। इसके बावजूद कुछ सीटों पर व्यापक विरोध की स्थिति बन गई है। प्रमुख विवाद मंडावा विधानसभा सीट को लेकर है, जहां से कांग्रेस ने पार्टी विधायक रीटा चौधरी को बदलकर उनकी जगह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चंद्रभान को उम्मीदवार बना दिया है। दुबारा टिकट नहीं मिलने से नाराज रीटा चौधरी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है और कांग्रेस को पक्की उम्मीद थी कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यहां से आसानी से जीत जाएंगे, लेकिन अब मौजूदा विधायक को हटाना भारी पड़ रहा है। रीटा चौधरी के निर्दलीय मैदान में कूदने से अब कांग्रेस बैकफुट पर है। मंडावा में कांग्रेस के गढ़ में दरारें साफ दिखने लगी है।
रीटा चौधरी वरिष्ठ जाट नेता रामनारायण चौधरी की बेटी हैं। उनका कहना है कि चंद्रभान को टिकट देकर कांग्रेस ने अपने ही नेता राहुल गांधी के दिशानिर्देशों के खिलाफ फैसला किया है। चंद्रभान इस क्षेत्र के नहीं हैं, पहले दो बार चुनाव हार चुके हैं, इसके बावजूद उन्हें मंडावा से टिकट दे दिया गया है। राहुल गांधी ने कहा था कि संगठन के पदाधिकारी चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन यहां तो प्रदेशाध्यक्ष को ही उम्मीदवार बना दिया गया है। यह बात मंडावा के स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हजम नहीं हो रही है। जयपुर के किशनपोल विधानसभा क्षेत्र से सलीम कागजी के पुत्र अमीन कागजी को उम्मीदवार बनाने के विरोध में भी स्वर उठने लगे हैं। अमीन कागजी को उम्मीदवार बनाए जाने के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के सामने रजाक भाटी की अगुवाई में करीब 300 कार्यकर्ता पहुंच गए थे, जिन्होंने दरवाजा बंद कर दिया और अन्य लोगों का परिसर में आना जाना रोक दिया।
रजाक भाटी ने कहा कि अमीन कागजी को क्षेत्र में किसी ने नहीं देखा और उनको कोई नहीं जानता। अमीन कागजी को टिकट देकर कांग्रेस ने पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं की पूरी तरह उपेक्षा कर दी है। जोधपुर की ओसियां और लूणी सीटों पर कांग्रेस परिवार विशेष के उम्मीदवार को टिकट देने के लिए विवश है। नर्स भंवरी देवी के अपहरण और हत्या के मामले में ओसियां के विधायक पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा और लूणी सीट से विधायक मलखान सिंह फिलहाल जेल में है। कांग्रेस ने ओसियां से महिपाल की पत्नी लीला मदेरणा को और लूणी से मलखान सिंह की मां अमरी देवी को टिकट दे दिया है।
लीला मदेरणा को परसराम मदेरणा ने परिवार की राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है। ओसियां के जाट और लूणी के बिश्नोई समुदायों के लिए भंवरी देवी मामला प्रतिष्ठा को झकझोरने वाला रहा। कांग्रेस को मालूम था कि इन दो विधानसभा सीटों पर जेल पहुंच गए विधायकों महिपाल मदेरणा और मलखान सिंह को टिकट नहीं दिया तो पूरे समाज के लोग कांग्रेस से खफा हो जाएंगे। इसी के मद्देनजर ओसियां से लीला और लूणी से अमरीदेवी को टिकट दिया गया है। अमरी देवी वरिष्ठ कांग्रेस नेता रामसिंह बिश्नोई की पत्नी है। भंवरी देवी मामले में जब सीबीआई ने बुजुर्ग अमरी देवी से पूछताछ की थी, तब बिश्नोई समाज को यह अच्छा नहीं लगा था। रामसिंह बिश्नोई किसी जमाने में क्षेत्र के कद्दावर नेता थे। इस प्रकार लीला मदेरणा और अमरी देवी को टिकट देकर कांग्रेस ने अपनी दो सीटों को बचाने का ही प्रयास किया है।
अमरी देवी देश भर में चर्चित रहे भंवरी देवी यौन शोषण और हत्या के आरोपी विधायक मलखान सिंह की 82 वर्षीय मां हैं। उधर कृषि मंत्री हरजीराम बुरड़क की उम्र भी 82 साल है। दुष्कर्म के आरोप में बंद पूर्व खादी राज्य मंत्री बाबूलाल नागर के भाई हजारीलाल नागर को कांग्रेस ने टिकिट देकर बागियों को उपकृत करने की परंपरा कायम रखी है। इस सूची में खनन घोटाले में आरोपी पूर्व मंत्री भरोसीलाल जाटव, पारस देवी की हत्या के मामले में चर्चित पूर्व मंत्री रामलाल जाट के अतिरिक्त देवकी नंदन, प्रकाश चौधरी, सीएल प्रेमी और राजेंद्र सिंह विधूड़ी जैसे दागी भी शामिल हैं।
चुनावी सर्वेक्षण में भारतीय जनता पार्टी की जीत की बात कही गई थी, लेकिन यह सर्वेक्षण अक्टूबर माह का था इसके बाद कांग्रेस ने कई क्षेत्रों में रणनीतिक रूप से मेहनत की है और यह माना जा रहा है कि कांग्रेस और भाजपा के बीच अब मुकाबला बराबरी का है। वैसे राजस्थान में एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस का चलन बढ़ा है। इसीलिए कांग्रेस को यह मिथक तोडऩा थोड़ा कठिन पड़ सकता है।
भाजपा से लड़ेंगी आधा दर्जन राजघरानों की महिलाएं
राजवाड़ों के लिए मशहूर राजस्थान में आधा दर्जन राजघराने राजस्थान विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इनमें भाजपा से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार वसुंधरा राजे भी शामिल हैं। लम्बे अरसे बाद जयपुर राजघराना भी चुनाव मैदान में है। प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया धौलपुर राजघराने की पूर्व महारानी हैं और पांच बार सांसद रह चुकीं हैं। वर्ष 2003 से 2008 तक वे राजस्थान की मुख्यमंत्री रहीं और वे इस बार भी झालरापाटन से चुनाव लड़ रही हैं। कुछ महीने पहले भाजपा में शामिल हुईं जयपुर राजघराने की पूर्व राजकुमारी दीया कुमारी पहली बार चुनाव मैदान में उतर रही हैं। उनके पिता भवानी सिंह कांग्रेस की टिकट से संसद का चुनाव लड़े थे। दीया भाजपा की टिकट पर सवाईमाधोपुर से चुनाव लड़ेंगी। बीकानेर की पूर्व राजकुमारी सिद्धी कुमारी को भाजपा ने पहली बार 2008 में टिकट दिया था और वे विधानसभा पहुंची। इस बार भी भाजपा ने फिर से उन पर दांव लगाते हुए बीकानेर पूर्व से मैदान में उतारा है। सिद्धी के दादा करणी सिंह ने बीकानेर से पांच बार निर्दलीय सांसद के तौर पर लोकसभा पहुंचे थे। डीग राजघराने की पूर्व राजकुमारी किशनेंद्र कौर दीपा को भी भाजपा ने फि र से मैदान में उतारा है। दीपा वर्तमान में डीग सीट से विधायक हैं। वहीं, करौली की पूर्व महारानी रोहणी कुमारी भी भाजपा की ओर से चुनाव मैदान में हाजिर हैं। इधर, कांग्रेस की ओर से राजघराने के नाम पर मात्र एक टिकट भरतपुर राजघराने के विश्वेन्द्र सिंह हैं, वे पिछली बार भी डीग-कुम्हेर सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन हार हाथ लगी थी। इस बार भी वे इसी सीट से कांग्रेस की टिकट पर मैदान में है और उनके सामने भाजपा से पिछली बार जीत दर्ज करनेवाले पूर्व चिकित्सा मंत्री डॉ. दिगम्बर सिंह हैं।