16-Nov-2013 07:33 AM
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भारत ने वेस्टइंडीज के साथ कोलकाता में खेले गए पहले टेस्ट को जीतकर ईडन गार्डन से मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर को सम्माननीय विदाई दी है और अब मुंबई में जारी टेस्ट के बाद क्रिकेट की दुनिया का यह बेहतरीन खिलाड़ी मैदान

को अलविदा कह देगा। मानों कल की ही बात है जब एक 17 वर्ष के युवक ने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा था और दुनिया के धुरंधर गेंदबाजों के छक्के छुड़ा दिए थे। तेंडुलकर का यह करिश्मा लगभग ढाई दशक तक बदस्तूर चलता रहा। उनकी तारीफ में बहुत कुछ लिखा जा चुका है। खास बात यह है कि तेंडुलकर जिस समय क्रिकेट की दुनिया को अलविदा कह रहे हैं उस समय भारत क्रिकेट की ऊंचाईयों पर है और विश्व चैंपियन भी है। वन-डे में उसकी रैंकिंग सर्वोच्च है। टेस्ट में भी भारत एक मजबूत टीम के रूप में विख्यात है। तेंडुलकर को इस बात का संतोष रहेगा कि जिस समय उन्होंने भारतीय टीम में पदार्पण किया था उससे कहीं बेहतर टीम छोड़कर वे जा रहे हैं। जिसकी उपलब्धियां अपार हैं और जिसमें जूझने तथा जीतने की क्षमता लगातार विकसित होती जा रही है। भारतीय क्रिकेट के एक पूरे कालखंड के गवाह रहे तेंडुलकर ने भारतीय टीम में कई उतार-चढ़ाव देखे लेकिन वे अडिग बने रहे। उनका रिकार्ड सदैव बेहतर बना रहा। लंबे समय तक वे रैंकिंग में टॉप-टेन में ही शामिल रहे। उनके रिकॉर्डों पर पूरी किताब लिखी जा सकती है। यह संतोष का विषय है कि भारत ने तेंडुलकर को विजयी विदाई दी है। वन-डे टीम के भले ही वे सदस्य नहीं थे, लेकिन उन्होंने भारत को आस्टे्रलिया से श्रृंखला जीतते जरूर देखा होगा और अब टेस्ट में भी भारत की बादशाहत बरकरार है। तेंडुलकर का सन्यास क्रिकेट प्रेमियों के लिए भावुक क्षण है। हर खिलाड़ी के जीवन में यह मौका आता है। पुराने खिलाडिय़ों को नई पीढ़ी के लिए जगह बनानी पड़ती है। तेंडुलकर का गौरवपूर्ण अध्याय समाप्ति की ओर है। वे सदैव क्रिकेट के पर्याय बने रहेंगे।