16-Nov-2013 06:31 AM
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भारत में गरीब और लाचार होना एक भयानक अपराध है और उससे भी बड़ा अपराध है किसी ताकतवर व्यक्ति की नौकरी में तैनात होना। ऐसा नहीं है कि सारे नौकरीदाता हैवानों की तरह व्यवहार करते हों, लेकिन अधिकांश ऐसे हैं जो

शारीरिक और मानसिक रूप से अपने निजी सेवकों या मातहतों को इस तरह परेशान कर डालते हैं कि वे समय से पहले ही भगवान को प्यारे हो जाते हैं या फिर तिल-तिलकर गंभीर बीमारियों से ग्रसित होकर दम तोड़ देते हैं।लेकिन दिल्ली में बहुजन समाज पार्टी के सांसद धनंजय ङ्क्षसह और उनकी डेंटिस्ट पत्नी जागृति सिंह की हैवानियत इन धीमा जहर देने वाले मालिकों से कहीं ज्यादा दर्दनाक है।
अपने ही आवास में नौकरी करने वाली नौकरानी राखी को जिस तरह पीट-पीटकर मार डाला गया उसे सुनकर रूह कांप जाती है। आज भी ऐसे लोग मौजूद हैं जिनकी बर्बरता और हैवानियत बरकरार है। यह समझ लीजिए कि इस दंपत्ति ने मानव मांस का भक्षण ही नहीं किया अन्यथा तो किसी नरभक्षी की तरह ही उस बेबस और लाचार नौकरानी के साथ व्यवहार किया और उसे तड़पा-तड़पाकर मार डाला। धनंजय सिंह वैसे ही बाहुबलि हैं और उनकी पत्नी में भी कमोबेश वही गुण आए हैं। इंसान की जान की कीमत इन दरिंदों के लिए कुछ भी नहीं है। धनंजय और उनकी पत्नी नौकरों के साथ दुव्र्यवहार के लिए कुख्यात तो थे ही दोनों ने असीमित यातना देने का तरीका भी खोज निकाला था। जिसके तहत नौकरों को नियुक्त किया जाता और बाद में उन्हें बंधक बना लिया जाता। कई नौकर और नौकरानी आए, बहुत से चंगुल से निकल गए। कुछ को घातक चोटें भी लगीं और कुछ का मानसिक संतुलन भी बिगड़ गया, लेकिन वे किसी तरह सांसद आवास में नर्क से बच निकले। लेकिन नौकरानी राखी उतनी भाग्यशाली नहीं रही। नौकरी पर लगने के बाद से ही उसकी प्रताडऩा शुरू हो गई। दिन-रात काम लिया जाता, कड़कड़ाती ठंड में सुबह चार बजे उठकर काम करना पड़ता था। भूख लगने पर खाना नहीं मिलता था बल्कि गालियां सुनने को मिलती थी। छोटी-छोटी गलतियों पर बेरहमी से पिटाई होती थी। कई बार तो जागृति सिंह ने राखी को इतना मारा कि मारते-मारते बेंत भी टूट गया। इस पर भी मन नहीं भरा तो नौकर-नौकरानी से एक-दूसरे को मारने को कहा और जिसने धीरे से मारा उसकी पिटाई कर मारी। एक तरह से परपीड़क है जागृति सिंह। दूसरे को तड़पता देख और उसका खून बहता देख जागृति सिंह को आनंद आता है। वह नाखून से नाजुक राखी का शरीर नोचती थी और जब खून बहने लगता था तो हंसते हुए नाचने लगती थी। अपनी पत्नी की इतनी वीभत्स हरकतों के बावजूद सांसद धनंजय सिंह ने उसे रोकने का कोई उपाय नहीं किया। क्योंकि वे भी नौकरों के साथ वीरताÓ दिखाने के लिए पहचाने जाते थे।
जिस दिन राखी की मौत हुई उससे करीब 10-15 दिन पहले घर में शीशा टूट गया था। राखी ने शीशा तोडऩे से इनकार किया तो जागृति सिंह ने उसके पेट और पीठ पर गरम प्रेस चिपका दी और उसके बाद घर में बंद करके नौकरानी को तड़पने दिया। कोई इलाज नहीं किया गया। राखी बैठ नहीं पा रही थी। एक नवंबर को जागृति सिंह के भीतर का पशु फिर जाग गया और उसने राखी को बुरी तरह पीटा तथा उसके बाल भी काट दिए। जब दो नवंबर को दोबारा पिटाई की गई तो राखी के सिर से खून बहने लगा। खून देखकर जागृति सिंह के हाथ तो रुके लेकिन मुंह चलने लगा और उसने मासूम राखी से घायल अवस्था में ही खून साफ करवाया। इस पिटाई से 3 नवंबर को राखी की तबियत ज्यादा खराब हो गई तो जागृति ने उसे दवा देने की कोशिश की लेकिन तब तक राखी के शरीर से प्राण निकल चुके थे। जब राखी खड़ी नहीं हुई तो जागृति सिंह उसकी लाश के ऊपर खड़ी हो गई और काफी देर तक लाश को लातें मारती रही। इस घटना के चश्मदीद 17 वर्ष के नौकर राम सिंह ने जो दास्तां सुनाई है उसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पढ़ी-लिखी और सभ्य डॉक्टरी पेशे में काम कर रही जागृति कितनी खूंखार है इसकी कल्पना ही की जा सकती है। जागृति को अपने किए का पछतावा नहीं है। वह बड़ी धृष्टता से कहती है कि उसने जो किया सही किया। न्यायालय ने दोनों पति-पत्नी की जमानत याचिका निरस्त कर दी है। दोनों ने पहले भी कई नौकरों के साथ अत्याचार किए हैं जिनमें से दो की तो संदिग्ध मौत भी हुई है। सवाल यह है कि इस घटनाक्रम के बाद कानून इन दोनों ताकतवर लोगों की गिरेबान तक पहुंच सकेगा क्योंकि इससे पहले इस परिवार में जो भी ज्यादती हुई है उसमें तो किसी को सजा नहीं मिली।
पहले भी हुई हंै नौकरों की हत्या
सांसद के घर में किसी की संदिग्ध हालात में मौत होने का यह कोई पहला मामला नहीं है, जिसे लेकर धनंजय सिंह का नाम चर्चा में आया हो। पहले भी कुछ ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। इससे पहले 2007 में धनंजय सिंह की पहली पत्नी मीनाक्षी की उनके गोमतीनगर स्थित आवास पर संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। हादसे के फौरन बाद धनंजय पर इसके लिए आरोप लगे थे। बाद में जागृति से शादी के बाद धनंजय का नाम एक बार फिर तब चर्चा में आया जब उनके जौनपुर के पैतृक गांव बनसफा में उनके एक घरेलू नौकर की संदिग्ध हालात में मौत होने की सूचना सामने आई। लेकिन बाहुबली पर तब भी किसी तरह का आरोप लगाने के लिए कोई सामने नहीं आया। न ही किसी ने पुलिस से कोई औपचारिक शिकायत की।