खजाने के नाम पर देश से धोखा
06-Nov-2013 06:52 AM 1234762

उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले में ढौडियाखेड़ा में धारा-144 लगा दी गई थी। इसका कारण यह था कि भारत के केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत के आदेश पर यहां एक हजार टन सोने की खोज की जा रही थी। उनके गुरु और साधु शोभन सरकार ने दावा किया था कि इस क्षेत्र के राजा राव बख्श सिंह ने स्वप्न में साधु को यह आदेश दिया है कि वे सोना निकलवाएं। पहले मीडिया में यह कहा गया कि राजा साधु शोभन सरकार के सपने में आए थे, लेकिन बाद में शोभन सरकार ने यह कहा कि सपने में नहीं आए थे, बल्कि वे तो सशरीर प्रकट ही हुए थे। साधु का तो यह तक कहना था कि दिवंगत राजा पांच वर्ष पहले तक इस इलाके में घोड़े पर सवार होकर घूमा करते थे उन्हें कई लोगों ने देखा ढौडियाखेड़ा गांव के बच्चे-बच्चे को इस बारे में पता है। लेकिन न तो साधु का सपना सच हुआ और न 10 फिट गहराई तक खुदाई करने के बाद एएसआई को खजाने का पता चल सका। सारे विश्व में हमारे देश की हंसी उड़ी और मीडिया ने हमेशा की तरह इस अंध विश्वास की घटना को बेतहाशा कवरेज दी। सवाल यह है कि क्या साधु शोभन सरकार पर मुकदमा चलाया जाएगा। क्योंकि उन्होंने तो घोषणा कर रखी थी कि खजाना नहीं मिले तो वे मृत्युदंड भुगतने को तैयार हैं।
बहरहाल इस गांव की कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म के लिए आदर्श प्लाट हो सकती है। गांव के एक साधु को सपने में खजाना दिखता है और फिर खजाने की खोज में सरकारें लग जाती हैं। देखा जाए तो एक हजार टन सोना बहुत बड़ा स्वर्ण भंडार है और भारत की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में इस स्वर्ण भंडार की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है, लेकिन यह एक कपोल कल्पना और महज एक साधु का दिवास्वप्न ही प्रतीत हुआ। क्योंकि खदाई में मिट्टी के बर्तन और जंग लगे लोहे की कीलें ही मिल सकीं। यह बात अलग है कि केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत ने साधु की बात गंभीरता से लेते हुए आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को इस विषय में निर्देशित किया था। इससे पहले भी कई मौकों पर खजानों की तलाश की गई है, लेकिन किसी केंद्रीय मंत्री के आदेश से नहीं। बल्कि किसी खजाने की संभावना को देखते हुए आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया उसे तलाशने की कोशिश अवश्य करता है। भारत में असंख्य राज महल हैं। प्राय: हर राज महल के विषय में यह कहा जाता है कि इसमें एक खजाना गड़ा है। देश में कई जगह पुरानी इमारतों के आसपास लोगों ने खजाने की तलाश में खुदाई की लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। कुछ लोगों को थोड़ा बहुत मिला तो उसे बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया। यह अवश्य है कि दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां खजाने की तलाश सुव्यवस्थित तरीके से की जाती है। बड़ी-बड़ी कंपनियां इस काम में माहिर हैं, लेकिन ज्यादातर खजाने समुद्र में डूबे जहाजों से तलाशे गए हैं। मानवीय इतिहास में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जब अकूत धन संपत्ति ले जा रहे जहाज को तूफान ने घेर लिया और वह समुद्र में समा गया। दुनिया में बहुत सी कंपनियां इन जहाजों को खोजने और खजाने निकालने का काम करती हैं। यह महंगी लागत का काम है।
लेकिन उन्नाव जिले में ढौडियाखेड़ा गांव में एक हजार टन सोने की खोज चर्चा का विषय बन चुका था। इस खजाने की आस में इस क्षेत्र के लोगों में गजब का उत्साह देखा जा रहा था। धारा 144 लगी होने के बावजूद लोग दूर से ही सही देखने अवश्य जाते थे। चाय-पानी की गुमठियां खुल गई थी। दुकानदारी चल निकली थी खजाना मिले न मिले लेकिन खजाने की खुदाई के दर्शनों के लिए पधार रहे दर्शनार्थियोंÓ को चाय-पानी पिलाकर कुछ लोगों की आजीविका तो चलने लगी थी। किंतु अब इन लोगों को मायूसी ही हाथ लगी है और इस मायूसी में भी ये लोग बाबा को नहीं कोसते हैं बल्कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को दोष दे रहे हैं कि उसने बाबा के कहे अनुसार खुदाई नहीं की। राजा राव बख्श सिंह के वंशज भी खजाने वाली जगह पहुंच गए थे। उन्होंने संत शोभन सरकार के शिष्य ओम से मुलाकात की। 
इतिहास कार चंद्रकांत तिवारी की माने तो क्रांतिकारी राजा राव राम बख्श ने सन 1857 की क्रान्ति में अंग्रेजों के छक्के छुडा दिए थे। मगर राजा कब से वह इस किले में रह रहे थे ये किसी को नहीं मालूम है। यहां के इतिहासकारों की माने तो 2 जून 1857  की क्रान्ति में एक मंदिर में छिपे बारह अंग्रेज को जिन्दा जला दिया था। इसमें जनरल डीलाफौस भी मौजूद थे। राजा राव राम बख्स सिंह के बारे में यह भी कहा जाता है कि राजा चंडिका देवी के बहुत बड़े भक्त थे। वह रोजाना सुबह मां चंडिका का दर्शन करने के बाद ही सिंहासन पर बैठते थे। लोगों के अनुसार राजा पूजा करने के बाद अपने गले में एक गेंदे के फूल की माला जरुर पहनते थे। यही वजह है कि जब अंग्रेजों ने उनको फांसी की सजा सुनाई गयी, और उनको फांसी पर लटकाई गयी तो उन्हें कुछ नहीं हुआ। इस तरह तीन बार उनको फांसी दी गयी मगर राजा को कुछ नहीं हुआ। तब राजा राव ने अपने गले में पड़े फूल की माला को उतार कर फेंका और गंगा से अपनी आगोश में लेने की प्रार्थना की।

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