16-Oct-2013 06:20 AM
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मध्यप्रदेश की जेलों की कितनी दयनीय स्थिति है यह सिमी के खंडवा जेल से फरार उन छह सिमी आतंकवादियों से जाना जा सकता है जो शायद अब बड़ी मुश्किल से पुलिस के हाथ आएंगे। बड़े आराम से सुनियोजित तरीके से जेल की जर्जर दीवारों को सेंध लगाकर ध्वस्त करते और फांदते हुए यह आतंकवादी खंडवा जेल से फरार हो गए और साथ में एक कैदी भी भाग गया। भागते वक्त इन लोगों ने गश्त कर रहे पुलिस जवानों पर चाकू से हमला बोला, उनकी बाइक, दो बंदूक और वायरलेस सेट भी ले भागे। जब यह खबर मीडिया के सामने आई और फिर मध्यप्रदेश की जेलों की जांच पड़ताल की गई तो समझ में आया कि अंग्रेजों के जमाने की यह जेलें किसी भी शातिर अपराधी के लिए तोडऩा बहुत आसान है। मध्यप्रदेश में आठ केंद्रीय जेलें हैं जो अपेक्षाकृत आधुनिक और ज्यादा सुरक्षित हैं। कैदियों के भागने के लिहाज से स्वर्ग बनी उन 22 जिला जेलों की हालत इतनी दयनीय है कि उन्हें जेल न कहकर पुराने कबूतर खाने कहना ज्यादा मुनासिब होगा। 92 उपजेल भी हैं लेकिन खतरनाक अपराधियों को रखने की व्यवस्था मध्यप्रदेश में एकाध ही जेल में है। जिन जेलों की दीवारे मिट्टी की बनी हों, जहां आज भी पुराने जमाने के जीर्णशीर्ण टायलेट हों और कैदियों को भागने के लिए आदर्श परिस्थितियां हों वहां सिमी जैसे खतरनाक संगठन के खूंखार आतंकवादियों को उनका ट्रायल चलने के कारण खंडवा जेल में रखा गया था। चूक है जेलर और ड्यूटी बनाने वाले कर्मचारी की। उन्हें क्या आवश्यकता थी रात के अंधेरे में एक विकलांग व्यक्ति की ड्यूटी लगाने की जो अपने पैरों से चल भी नहीं सकता था। उसी अंधेरे और विकलांग व्यक्ति का लाभ उठाकर आतंकी फरार हो गए। जो आतंकवादी भागे हैं उनमें अबू फैजल, असलम अय्यूब, मेहबूब उर्फ गुड्डू, एजाजुद्दीन, जाकिर हुसैन और अमजद प्रमुख हैं। अय्यूब, अमजद, गुड्डू, हुसैन खंडवा के हैं जबकि एजाजुद्दीन करेली का रहने वाला है सबसे खतरनाक आतंकी अबू फैजल मुंबई का है। सरकार ने लापरवाही बरतने पर जेल इंचार्ज, दो मुख्य प्रहरी और तीन प्रहरियों को निलंबित कर दिया है। यह खानापूर्ति भी इसीलिए की गई की कैदी जेल से भागे हैं और जवाबदारी जेल की है। जबकि इस तरीके के आतंकवादियों की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होना चाहिए ताकि उन्हें रोज अदालत से लाना ले जाना न पड़े। मुम्बई में कोर्ट परिसर से खतरनाक आतंकवादी अफजल उस्मानी की फरारी भी लगभग इन्हीं परिस्थितियों में हुई थी। खण्डवा की घटना के बाद कई बातें सामने आईं जैसे जिस बैरक में इन आतंकवादियों को रखा गया था उसकी निगरानी विकलांग और अपंग डीके तिवारी नामक कर रहा था जिसकी गर्दन की हड्डी का आपरेशन हुआ है वह गर्दन ठीक से भी नहीं घुमा सकता और ऐसे प्रहरियों के हवाले क्षमता से ज्यादा कैदी तो हैं ही भदौरिया गैंग के अपराधी भी इसी तरह के साधनहीन अथवा शारीरिक रूप से कमजोर प्रहरियों के हवाले हैं।
आतंक का डॉ अबू फैजल
खंडवा से सिमी इंडियन मुजाहिदीन के छह आतंकियों में सबसे खतरनाक अबु फैजल उर्फ डॉ फरहान भी हैं। इस पर गुजरात बम धमाकों, आठ बैंक डकैतियों सहित 30 मामलों में अपराध दर्ज हैं। इस आतंकी ने खण्डवा में सन् 2006 में पकड़ा चुकी सिमी की महिला विंग शाहीन फोर्स की राफिया से निकाह किया था। रायपुर में निकाह के बाद लंबे समय तक ये मध्यप्रदेश में ही रहे उसके बाद पुलिस का दबाव बढऩे पर बिहार के जमशेद पुर को अपना ठिकाना बना लिया। अबू फैजल ने भोपाल में हुई मणप्पुरम बैंक डकैती का सोना बेचकर जमशेदपुर के टाटा नगर में एक दो मंजिला मकान भी खरीद लिया था। गौरतलब है आशिया और राफिया पिता अब्दूल हाफिज उस समय चर्चा में आई थी जब सन् 2006 में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डी.सी. सागर ने खण्डवा के खानशाहवली क्षेत्र में छापा मारकर उन्हें गिरतार किया था। उस समय इनका एक आतंकी भाई इनामुर्ररहमान फरार होने में कामयाब हो गया था लेकिन इन बहनों से बडी मात्रा में आपत्ति जनक दस्तावेज बरामद हुये थे और इनके खिलाफ भी खण्डवा में धारा 153 ए, 294, 147, 336, 506 तथा विधी विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं में प्रकरण (अपराध क्रमांक 235/06) दर्ज किया गया था। अबू फैजल इन बहनों के सम्पर्क में सन् 2006 में फरार होने के बाद उस समय आया जब ये जमानत पर रिहा हुई तब पहले गुजरात, रायपुर सहित कई आतंकी घटनाओं में लिप्त रहे अबू ने आसिया से निकाह किया फिर दूसरी बहन राफिया से इंडियन मुजाहिदीन के ही एक और आतंकी इकरार शेख ने निकाह कर लिया। इकरार भोपाल की मण्णपुरम बैंक डकैती का भी आरोपी है।
पहलेे सन् 2006 में खण्डवा और फिर 2008 में इंदौर से 13 सिमी दरिंदों की गिरतारी के बाद भी सिमी की सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे ना सिर्फ मालवांचल में एक के बाद एक साजिशों को अंजाम देते रहे बल्कि आतंक की फौज तैयार करने के लिये जिहादी विचार धारा की लड़कियों से बकायदा निकाह भी किया। यह दोनों बहनें 2007 में जमानत के बाद कुछ समय खण्डवा में रहीं बाद में कथित तौर पर इनका परिवार आकोला चला गया। इसके बाद से ही यह दोनों बहनें फरार थी। पुलिस लंबे समय से इनकी पड़ताल में थी लेकिन कोई सुराग नहीं तलाश सकी। खुफिया ऐजेंसियों की निगाह इन पर तब एक बार फिर गई जब 25-26 मार्च की दरमियानी रात इंदौर पुलिस ने इंदौर के श्यामनगर में छापा मारकर सफदर नागौरी, आमिर परवेज, कमरूद्दीन नागौरी सिबली सहित 13 सिमी आतंकियों को गिरतार किया था उसी दौरान एक रहस्यमयी बुरकेधारी महिला के भी सक्रिय होने की बात सामने आई थी। कयास यहीं लगाये गये थे कि आसिया और राफिया नामक दोनों बहनें ही सिमी संदेशवाहक का काम कर रही है। तब भी सुरक्षा एजेंसियों ने इनकी तलाश में काफी हाथ-पांव मारे थे लेकिन सफल नही हो पाई थी।
आसिया, राफिया का आतंकी भाई
खण्डवा में 11 अप्रैल 2006 को ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर निकाले गए एक जुलुस के दौरान दंगा हुआ था। पुलिस ने जब विडिया रिकॉर्डिंग और खुफिया जानकारी के आधार पर 16 अप्रैल को जावेद पिता इकबाल गौरी, अकील पिता युसुफ और आसिफ पिता असलम के यहां दबिश दी तो इनके घरों से सिमी से जुड़ा प्रतिबंधित साहित्य और सदस्य बनाये जाने की रसीदें मिली। जब जावेद से पूछताछ हुई तो यह बात सामने आई कि खानशाहवली क्षेत्र के इनामुर्रहमान के यहां काफी सामग्री रखी हुई है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डी.सी. सागर, (वर्तमान में आईजी सीआईडी) सीएसपी मनोज राय (वर्तमान एएसपी क्राईम इंदौर) आदि की टीम ने छापा मारी शुरू की तब ये दोनों बहने गिरफ्त में आई। इनका भाई इनामुर्रहमान भी हार्डकोर सिमी आतंकियों में शुमार किया जाता है। इसके खिलाफ भी खण्डवा कोतवाली में अपराध क्रमांक 256/06 पंजीबद्ध है। छापे के दौरान इनामुर्रहमान फरार हो गया था जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।