जगन और नायडू ने खेला जुआं
16-Oct-2013 06:15 AM 1234760

जगन मोहन रेड्डी और चंद्रबाबू नायडू ने आंध्रप्रदेश में राजनीतिक स्टंटबाजी में सबको पीछे छोड़ दिया है। दोनों राजनीतिज्ञों ने हैदराबाद और दिल्ली में अनशन करके अपनी राजनीति का संकेत दिया। हालांकि दोनों को गिरफ्तार कर अस्पताल पहुंचा दिया गया है, लेकिन अनशन के इस प्रहसन में रेड्डी बाजी मार ले गए हैं। अखंड आंध्रप्रदेश के लिए उनके अनशन को जिस तरह सफलता मिली है उसे देखकर अब यह साफ कहा जा सकता है कि सीमांध्र के नंबर वन लीडर जगन मोहन रेड्डी ही हैं। यहां रेड्डी सबसे बड़े हीरो और कांग्रेस सबसे बड़ी विलेन बन चुकी है क्योंकि यहां के लोगों को लग रहा है कि कांग्रेस की वजह से ही राज्य के बंटवारे का फैसला हुआ है। 3 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्रीमंडल ने पृथक तेलंगाना राज्य बनाने के फैसले को अंतिम रूप प्रदान किया। जगन मोहन रेड्डी ने इस मौके को तुरंत लपकते हुए अनशन की घोषणा कर दी। इसी कारण चंद्रबाबू नायडू का सीमांध्रा के लोगों को उनका हक दिलाने के लिए दिल्ली में अनिश्चितकालीन अनशन उतना प्रभावी नहीं रहा। वैसे भी नायडू तेलंगाना में कह चुके हैं कि वे पृथक राज्य के गठन के खिलाफ नहीं हंै इसीलिए उनका यह अनशन दिखावा ज्यादा प्रतीत हुआ। जानकार मानते हैं कि यदि तेलंगाना का गठन हो गया तो नायडू और रेड्डी का इस नए राज्य में कोई भविष्य नहीं रहेगा। वहां मुख्य मुकाबला टीआरएस और कांग्रेस के बीच होना तय है। टीआरएस को फायदा इसलिए मिलेगा क्योंकि वह लंबे समय से पृथक तेलंगाना के लिए संघर्षरत है। जबकि कांग्रेस को अपनी जमीन मजबूत करने का मौका इस आधार पर मिल सकता है कि कांग्रेस ने नए राज्य के गठन का मार्ग प्रशस्त किया है।
वैसे भी दक्षिण में आंध्रप्रदेश में ही कांग्रेस मजबूत मानी जाती थी, लेकिन जगन मोहन रेड्डी प्रकरण ने सीमांध्र क्षेत्र में कांग्रेस को लगभग नेस्तनाबूत कर दिया है इसलिए कांग्रेस के पास राजनीति करने के लिए अब केवल तेलंगाना है जहां वह अपना भविष्य तलाश रही है। उधर भारतीय जनता पार्टी के पास खोने के लिए कुछ नहीं है इसका कारण यह है कि भाजपा की मौजूदगी तेलंगाना और सीमांध्र में लगभग शून्य ही है, लेकिन नरेंद्र मोदी के कारण दोनों इलाकों में भाजपा के पक्ष में कुछ रुझान देखने को मिला है। इसका लाभ तभी मिल सकता है जब भाजपा कुछ प्रभावी गठबंधन करने में कामयाब रहे। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि वह सीमांध्र में नायडू और तेलंगाना में टीआरएस को साथ लेने में कामयाब हो जाती है तो लोकसभा चुनाव में अच्छाखासा फायदा हो सकता है। जगन मोहन रेड्डी भी नरेंद्र मोदी से बेहद प्रभावित हैं और उनके करीब आने की कोशिश कर रहे हैं। अनशन के दौरान उन्होंने कई बार मोदी का जिक्र किया साथ ही मोदी को सलाह दी की वह भाजपा को सेकुलर बनाए। मोदी को दी गई सलाह का असर क्या होगा यह एक अलग विषय है, लेकिन रेड्डी और चंद्रबाबू दोनों एनडीए में शामिल हो गए तो दक्षिण में भाजपा की ताकत प्रभावी रूप से बढ़ेगी खासकर जयललिता, जगन रेड्डी और चंद्रबाबू की तिकड़ी आंध्रा तथा तमिलनाडु से एनडीए को 50 लोकसभा सीट देने में सक्षम है और यदि इसमें टीआरएस का साथ जुड़ जाता है तो यह संख्या 55 तक पहुंच सकती है। कर्नाटक में येदियुरप्पा से गठबंधन करके एनडीए अगली 10 सीटें प्राप्त कर सकता है। यदि दक्षिण से 65-70 का आंकड़ा जुड़ गया तो फिर शेष भारत में एनडीए को काफी ताकत मिल सकती है। लेकिन यह एक अलग विषय है। पृथक तेलंगाना के कांग्रेस के फैसले ने सीमांध्र में आग भड़का दी गई है। जगह-जगह धरने-प्रदर्शन हो रहे हैं। कई इलाकों में कांग्रेसी नेताओं पर हमले की खबर भी है। माहौल चुनावी बन चुका है जगन सीमांध्र के बड़े नेता के रूप में उभर रहे हैं। उनके लिए राज्य का बंटवारा एक वरदान साबित हो रहा है। चंद्रबाबू नायडू ने लंबे समय तक तेलंगाना का विरोध नहीं किया था। वे दो नांवों की सवारी करते रहे जब सीमांध्र में चुनावी सभा करते तो आंध्र की अखंडता की दुहाई देते थे और तेलंगाना में जाकर कहते थे कि वह पृथक तेलंगाना के पक्ष में हैं। उनका यह दोगलापन अब नुकसान पहुंचा रहा है। उधर कांग्रेस में भगदड़ मच गई है। सीमांध्र के कई नेताओं ने पार्टी छोड़कर जगन मोहन का दामन थाम लिया है। कुछ नेता तेदेपा की तरफ भी भागे हैं। कांग्रेस ने हैदराबाद को संयुक्त राजधानी घोषित करके कुछ क्षतिपूर्ति करने की कोशिश की है, लेकिन सीमांध्र को यह मंजूर नहीं है। नया राज्य छह माह बाद अस्तित्व में आ जाएगा। तब तक धरने-प्रदर्शन चलते रहेंगे। इसका असर लोकसभा चुनाव में साफ देखने को मिलेगा।

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^