04-Feb-2013 11:20 AM
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भारत ने 3-2 के मुकाबले इंग्लैंड से घरेलू मैदानों पर एकदिवसीय सीरीज की शृंखला जीत तो ली है, लेकिन यह जीत उतनी दमदार नहीं रही। भारतीय खिलाडिय़ों से जिस प्रदर्शन की उम्मीद थी वह प्रदर्शन करने में भारतीय खिलाड़ी नाकाम रहे। भारत पहला और आखिरी एकदिवसीय मैच हार गया। अंतिम एकदिवसीय मैच में इंग्लैंड का प्रदर्शन जबरदस्त था। उन्होंने खेल के हर क्षेत्र में भारत को

पीछे छोड़ा उनकी फील्डिंग लाजवाब थी और बैटिंग भी उन्होंने बहुत कुशलता के साथ की। इयान बेल ने 143 गेंदों में खूबसूरती से 113 रन बनाते हुए भारत की हार की इबारत लिख दी। यदि भारत यह मैच जीतता तो भारत के कुछ खिलाडिय़ों का भविष्य संवर सकता था, लेकिन आशानुरूप प्रदर्शन करने में भारत के बल्लेबाज सफल नहीं हो सके। भारत की ओपनिंग लगातार चर्चा का विषय बनती जा रही है। गौतम गंभीर के साथ जितने भी ओपनर इस शृंखला के दौरान देखने को मिले, कोई भी प्रभावित नहीं कर सका। ओपनिंग में भारत ने जो भी प्रयोग किए वे ज्यादा नहीं चले। गंभीर और रोहित शर्मा की जोड़ी ने चौथे मैच में तो अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन अंतिम मैच में यह जोड़ी भी फ्लाप हो गई। शर्मा 4 रन ही बना पाए और गौतम गंभीर का प्रदर्शन भी लचर रहा। वे पिछले कई मैचों में लगातार घटिया खेल रहे हैं तथा अब आशंका है कि नए खिलाडिय़ों को तरजीह देते हुए गंभीर को विदाई दे दी जाएगी। गेंदबाजी भारत की शाश्वत समस्या है। गेंदबाजी में भारत का घटिया प्रदर्शन भारत को हतोत्साहित करने के लिए पर्याप्त है। पहले मैच में ही थोड़ी सटीक गेंदबाजी होती तो शायद शृंखला 4-1 से जीती जा सकती थी। इस मैच में इंग्लैंड को 325 रन बनाने का मौका हमने दे दिया। भले ही यह मैच बल्लेबाजी के लिए उपयोगी पिच पर खेला गया था, लेकिन उस पिच पर भी 325 रन ज्यादा ही कहलाएंगे। हालांकि भारत ने स्कोर का पीछा बड़ी कुशलता से किया और एक समय ऐसा भी लगा कि भारत लक्ष्य के करीब पहुंच चुका है, लेकिन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का आउट होना भारत के लिए दुर्भाग्य साबित हुआ। धोनी पिछले कई मैचों में लगातार अच्छे खेले हैं। जडेजा के खेल में भी सुधार देखने को मिल है। रैना की भी कई पारियां बेहतरीन रही हंै। लेकिन बाकी खिलाड़ी उतने फार्म में नहीं हैं। युवराज सिंह का बल्ला कभी कभार बोल पाता है। उधर कोहली से जो उम्मीदें थीं उन पर वे खरे नहीं उतर पाए हैं। यदि भारत इंग्लैंड को पूरे पांचों मैचों में पराजित करता तो कुछ अच्छा नतीजा भविष्य की दृष्टि से सामने आता। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। हालांकि शृंखला में जीत के साथ ही भारत ने नंबर वन का स्थान पुन: पा लिया है पर इस लंबे समय तक बने रहना कठिन है।