दो हमले निशाना एक
02-Oct-2013 11:48 AM 1234762

नैरोबी और पेशावर में इस्लामी आतंकवादियों ने 70 तथा 75 लोगों को मौत के घाट उतारा। निशाना और लक्ष्य एक ही था। गैर मुस्लिमों को मौत के घाट उतारना और उनके बीच आतंक फैलाना। केन्या के नैरोबी में एक शॉपिंग माल पर दिन दहाड़े हमला बोला गया। हमले के जिम्मेदारी अल-शबाब नामक संगठन ने ली है जो अलकायदा से जुड़ा हुआ बताया जाता है। 15 बंदूकधारी आतंकवादियों ने पहले लोगों को बंधक बनाया और फिर उन्हें धीरे-धीरे कर मारने लगे। इनके हाथ में हथगोले और स्वचलित रायफलें थी। ये हत्या करने के इरादे से ही आए थे। पहले उन्होंने मुस्लिमों को एक तरफ कर दिया और फिर गैर मुस्लिमों पर गोली चलाकर उन्हें भून डाला। मारे गए भारतीयों में तमिलनाडु के 40 वर्षीय श्रीधर नटराजन तथा बैंक ऑफ बड़ौदा की स्थानीय शाखा के प्रबंधक मनोज जैन के आठ वर्षीय बेटे  शामिल हैं। हमले में नटराजन की पत्नी मंजुला श्रीधर तथा मनोज जैन की पत्नि मुक्ता जैन एवं बेटी पूर्वी जैन घायल हो गए। 12 भारतीयों के मारे जाने की खबर मौतों का यह आंकड़ा सरकारी है क्योंकि माल के भीतर गोली बारी चल रही थी और बचाव कर्मी घायलों तथा लाशों को नजदीक के अस्पताल ले जा रहे थे। कहा जाता है कि इस हमले का निशाना हिन्दु और ईसाई थे। पेशावर में तो 22 सितम्बर को प्रार्थना कर रहे ईसाईयों पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकवादियों ने उस वक्त हमला किया जब वे पूजा करके चर्च से बाहर लौट रहे थे। हमलावरों ने पहले फायरिंग की जिससे भीड़ सहम सी गई और एक तरफ हो गई तभी दोनों फायरिंग करते हुए भीड़ के बीच में जा घुसे और विस्फोट से खुद को उड़ा लिया। 30 सेकण्ड के भीतर 82 जानें चली गईं। जिनमें बच्चे और महिलाएं भी थी। दोनों हमलावरों के जेकैट में 6-6 किलो विस्फोटक था। केन्या के नैरोबी में हुए हमले के चौबीस घंटे के भीतर यह हमला हुआ। हमला करने वाले वे ही लोग थे। उनके नाम अलग-अलग हो सकते हैं, संगठन अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन वे सब एक ही थेली के चट्टे-बट्टे हैं। नैरोबी में जब स्थानीय सुरक्षा बलों से स्थिति नहीं संभली तो इजारइल से कमांडो मंगाए गए। जिन्होंने स्थिति को काबू में लिया। नैरोबी के इस मॉल में ज्यादातर विदेशी नागरिक और अमीर केन्याई लोगों का जमघट बना रहता है। भारत के अलावा कनाडा, चीन और फ्रांस के नागरिक भी इस हमले में मारे गए हैं। इससे यह पता चलता है कि हमले का निशाना विदेशी मुख्य रूप से थे। रूसी संघ परिषद की अंतर्राष्ट्रीय संबंध समिति के अध्यक्ष मिखाइल मार्गलोव ने कहा है कि हमले की जिम्मेदारी लेने वाला अल शबाब गुट, पूर्वी अफ्रीकी देश में फरवरी 2010 से ही अलकायदा की सैन्य शाखा के रूप में काम कर रहा है।
अलकायदा, हमास, हिज्बुल्ला तथा कुछ अन्य संगठनों की लगातार अमेरिकी खुफिया एजेंसियों में घुसपैठ करने की कोशिशों के नाकाम रहने के कारण अब हताशा में नागरिकों को निशाना बनाकर दहशत फैलाई जा रही है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने पहले ही विभिन्न देशों में उसके नागरिकों पर हमले की आशंका जताई हुई थी। अमेरिकी दुतावास पर इससे पहले भी एक हमला हुआ था जिसमें 200 के करीब लोग मारे गए थे। हमले लगातार बढ़ रहे हैं। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और इराक में अमेरिका द्वारा आतंकवादियों का सफाया किए जाने के बाद अलकायदा की ताकत में कमी आई है। इसी कारण वह नए ठिकाने तलाश रहा है। अफ्रीका के इस्लामी देशों में उसे पैर जमाने का मौका मिल रहा है इसीलिए इन देशों में उथल-पुथल मची हुई है। सोमालिया में आतंकवादी दस्ते सक्रिय हो चुके हैं। जो पड़ोसी देशों में मौत का तांडव कर रहे हैं। केन्या में हुए हमले ने इस देश को खासी क्षति पहुंचाई है। ऐसा माना जाता है कि केन्या आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। लेकिन इस घटना से पता चला है कि आतंकवादियों को अब स्थानीय जनता का समर्थन मिलने लगा है। केन्या की आमदनी का मुख्य स्रोत पर्यटन ही है यदि इस तरह की आतंकवादी घटनाएं बढ़ीं तो पर्यटन को खासा नुकसान पहुंचेगा और केन्या के सोमालिया की तरह उन पूर्व अफ्रीकी देशों में शुमार होने का खतरा बढ़ जाएगा जहां भुखमरी और आतंकवाद ने आम जनता को बुरे दिन दिखा दिए हैं। इस घटना के बाद अब सीरिया पर अमेरिकी दबाब बढ़ सकता है और रूस द्वारा की जा रही कोशिशें हतोत्साहित हो सकती हंै। अमेरिका में पिछले वर्ष एनएसए ने संदिग्ध अथवा असमान्य गतिविधि वाले 4000 कर्मचारियों की जांच का फैसला किया था। वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मापदंड अपनाने के कारण विश्व में आतंकवाद की घटनाएं बढ़ रही हैं। सारी दुनिया में आतंकवाद फैल चुका है और अब यह उन देशों को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है जो आमतौर पर शांत माने जाते हैं। एक जुट होकर आतंकवाद से लडऩे का वक्त आ गया है।

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