अजिता वाजपेयी पांडे की अभियोजन स्वीकृति मंजूर
02-Oct-2013 11:26 AM 1234950

तीन साल पुराने एक मामले में मध्यप्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के चेयरमैन एसके दास गुप्ता, वरिष्ठ आईएएस अजिता वाजपेयी पांडे और चार अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। इन लोगों पर कथित रूप से अधिक कीमत पर बिजली मीटर खरीदने का आरोप है। अजिता वाजपेयी वर्तमान में केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर है। वे उस समय मध्यप्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के वित्तीय सलाहकार के पद पर दरअसल यह मामला तीन वर्ष पहले केंद्र सरकार में डीओपीडी को अभियोजन स्वीकृति अस्वीकृति करने हेतु भेजा गया था। परंतु डीओपीडी ने इसको स्वीकृति कर राज्य को भेज दिया। इसको लेकर राज्य ने केंद्र सरकार को दोबारा कहा कि हमारी ओर से यह मामला चलाने योग्य नहीं है। परंतु केंद्र सरकार द्वारा राज्य को अभियोजन स्वीकृति दे दी है। अब यह फाइल मुख्य सचिव महोदय और सामान्य प्रशासन विभाग के बीच एक माह से झूल रही है। वैसे तो राज्य सरकार ने उन्हें निर्दोश माना है परंतु केंद्र सरकार के अडिय़ल रवैये के कारण सामान्य प्रशासन विभाग असमंजस की स्थिति में है।
क्या है प्रकरण
वर्ष 2003 में इलेक्ट्रॉनिक  बिजली  मीटरों की खरीद से सम्बंधित एक शिकायत पर जांच पड़ताल में पता चला कि  वर्ष 1998 से लेकर 2003 तक जो इलेक्ट्रॉनिक  बिजली मीटर खरीदे गए उनमें से 70 हज़ार मीटरों की खरीद बिना टेंडर बुलाये की गयी. ये मीटर बाज़ार दाम 320 रुपये होने के बाबजूद 714 रुपये की कीमत पर खरीदे गए थे.
प्रमोशन की जल्दबाजी
आईपीएस अधिकारियों की डीपीसी अभी 88 बेच तक हो पाई है जबकि आईएएस दो बेच आगे चल रहा है। कायदे से प्रमुख सचिव बनने के लिए 24 वर्ष की सेवा होना अनिवार्य है, लेकिन प्रमोशन की जल्दबाजी में 24 वर्ष से पहले ही डीपीसी कर दी गई है। शायद मुख्य सचिव आर परशुराम जाने से पहले अपना सारा काम निपटाना चाहते हैं। लिहाजा वाहवाही लूटने के लिए प्रमुख सचिवों के आदेश सुबह डीपीसी कर दोपहर तक 4 घंटे के अंतराल में आदेश जारी कर दिए गए कुछ दागी अफसर भी प्रमुख सचिव बन गए और कुछ ने तो शाम बीतते ही अपना प्रभार संभाल लिया।
प्रमोटी बने प्रमुख सचिव
पहली बार डिप्टी कलेक्टर से प्रमुख सचिव बनने का इतना लंबा समय मिला डिप्टी कलेक्टर से प्रमुख सचिव पर पहुंचने वाले मोहन गुप्त पहले ऐसे अधिकारी थे जो एक दिन के लिए प्रमुख सचिव बने थे वहीं गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के एम ए खान भी 7-8 माह तक प्रमुख सचिव पद पर बने रहे। पहला ऐसा मौका है जहां पर 1990 बेच के शरद कुमार वेद्य जुलाई 2014 तक प्रमुख सचिव बने रहेंगे वहीं वीएस निरंजन भी दिसंबर 2014 तक इस पद पर काबिज रहेंगे। इसके बाद सही समय पर डीपीसी हो जाती है तो 1991 बेच के 5 प्रमोटी आईएएस अफसर 2015-16 तक रिटायर होंगे। अगर केंद्र सरकार ने 62 वर्ष का फंडा लागू कर दिया तो इनमें से एक आध अफसर अपर मुख्य सचिव पद तक भी जा सकता है।
29 प्रमोटियों की फाइल लटकी
मध्यप्रदेश को शीघ्र ही 29 प्रमोटी आईएएस अफसर इस माह मिल जाने चाहिए थे। पिछले कई दिनों से प्रमोशन के इंतजार में बैठे इन डिप्टी कलेक्टरों को इस वर्ष आईएएस का तमगा मिलने जाएगा। कहा जा रहा है कि डीपीसी होने के बाद  आचार संहिता इन अफसरों के प्रमोशन में आड़े नहीं आवेगी। वहीं गैर राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस में जाने वाले 4 नामों की फाइल अभी अधर में है। अभी तो वह मुख्यमंत्री और
सामान्य प्रशासन विभाग के बीच झूल रही है। इस वर्ष भी गैर राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस नहीं बन पाएंगे।
विवेक जोहरी जाएंगे केंद्र सरकार में
हाल ही में गुप्त वार्ता से रातों-रात हटाए गए विवेक जोहरी दोबारा भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाएंगे उन्हें राज्य सरकार में काम करने से घुटन महसूस हो रही है। वहीं उज्जैन डीआईजी कुलश्रेष्ठ की कई शिकायतें आने पर उन्हें वहां से चलता किया जाएगा। चुनाव
आयोग ने भी राज्य सरकार को उन्हें हटाने के निर्देष दिए हैं।

अपर मुख्य सचिव के दो पद के लिए होगी डीपीसी
30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे मुख्य सचिव आर परशुराम और आभा अस्थाना के बाद अब प्रदेश में दो नए एससीएस बनाए जाएंगे। इस सिलसिले में छह नामों पर विचार चल रहा है। जिनमें से जोशी दंपत्ति भ्रष्टाचार के आरोपों में पहले ही इस दौड़ से बाहर हैं। लिहाजा उनका लिफाफा बंद रहेगा, लेकिन एससीएस बनने की लाइन में 1982 बेच के राकेश अग्रवाल पिछली बार किसी मामले में फंसे होने के कारण एसीएस नहीं हो पाए थे, वहीं 1982 बेच के सुधी रंजन मोहंती को कंडीशनली प्रमुख सचिव बनाया गया था। अब वह भी प्रमुख सचिव की दौड़ में दूसरे नंबर पर हैं। उसके बाद 1982 बेच के देवराज बिरदी का नाम आता है और उसके नीचे उसी बेच की श्रीमती सुरंजना रे भी अपर मुख्य सचिव की दौड़ में है। देखते हैं इनमें से किसका भाग्य खुलता है।

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