अफजल उस्मानी की फरारी से उठते सवाल
02-Oct-2013 10:48 AM 1234770

अहमदाबाद और सूरत में धमाके करके कई मासूम जिन्दगियों को मौत की नींद सुलाने वाला इंडियन मुजाहिद्दीन का खुंखार आतंकवादी अफजल उस्मानी मुंबई के एक सत्र न्यायालय से फरार हो गया या फरार कर दिया गया। कहा जाता है कि उस्मानी इंडियन मुजाहिद्दीन के मीडिया सेल का प्रमुख होने के साथ-साथ कई धमाकों का मास्टरमाइंड भी था। उसकी गिरफ्तारी के बाद ही मुंबई काइम ब्रांच इंडियन मुजाहिद्दीन के महाराष्ट्र और आजमगढ़ मॉड्यूल का पर्दाफाश करने में कामयाब हुई थी। उस्मानी ने 21 आतंकवादियों की गिरफ्तारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 19 सितम्बर को शुक्रवार के दिन जब वह फरार हुआ। उस वक्त न्यायालय में उसे पेशी के लिए लाया गया था। न्यायालय परिसर में उस्मानी पुलिस की आंखों में धूल झोंकने मेें कैसे कामयाब हो गया यह बड़ा रहस्यमय वाकया बनता जा रहा है। अब पुलिस ने उस्मानी को पकडऩे के तमाम उपाय किए हैं लेकिन यह समाचार लिखे जाने तक तो वह हाथ नहीं आया था और जिस तरह का उसका रिकार्ड है उसे  देखते हुए कहा जा सकता है कि इस बार पुलिस के लिए उस्मानी को पकडऩा आसान नहीं होगा। पुणे में वह अनायास पकड़ में आ गया था लेकिन लगता है इस बार उस्मानी ने भागने की पूरी योजना बना रखी थी।
खास बात यह है कि उस्मानी कोर्ट परिसर से भागने में कामयाब रहा जहां आमतौर पर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था रहती है और भागना तभी सम्भव है जब जानबूझकर पुलिस द्वारा लापरवाही की जाएं। इस मामले में पुलिस की लापरवाही साफ दिखाई दे रही है क्योंकि फरारी के ज्यादातर मामलों में कहीं न कहीं सुरक्षा कर्मियों की मिलीभगत रहती ही है। इसी वर्ष फरवरी माह में अहमदाबाद की साबरमती जेल में 18 फीट लंबी सुरंग मिलने का एक सनसनी खेज मामला सामने आया था जब गुजरात के अक्षरधाम मंदिर और अहमदाबाद में हुए हमले के आरोपियों ने कथित रूप से सुरंग खोदने की कोशिश की लेकिन उन्हें पहले ही पकड़ लिया गया। पंजाब में जब आतंकवाद चरम सीमा पर था उस वक्त चंडीगढ़ की बुरैल जेल से बब्बर खालसा आतंकवादी संगठन के 4 आतंकी जगतार सिंह हवारा, जगतार सिंह तारा, परमजीत सिंह भौरा और देवी सिंह सुरंग के सहारे फरार हो गए थे। लेकिन यह सारे मामले जेल प्रशासन की लापरवाही या फिर मिलीभगत के कारण हुए। उस्मानी का फरार होना किसी बड़ी घटना का कारण बन सकता है। उस्मानी के साथ बम विस्फोटों के 22 अन्य अपराधी भी पेशी पर लाए गए थे। लेकिन वे बैठे रहे पुलिस का कहना है कि कैदियों को कोर्ट रूम के बाहर उनके रिश्तेदारों से मिलने की इजाजत दी गई थी उसी दौरान उस्मानी फरार हो गया होगा। उस्मानी और उसके साथियों की सुरक्षा में तैनात 10 में से 2 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। पुलिस को उसकी फरारी का पता दोपहर 2 बजकर 45 मिनट पर चला जब सुनवाई के लिए कैदियों की पुकार हुई। महाराष्ट्र के रहने वाले उस्मानी ने जुलाई 2008 में अहमदाबाद में 20 बम विस्फोट किए जिनमें 56 लोगों की जान चली गई और 200 से अधिक घायल हो गए। उसके भाई फैज उस्मानी का भी वर्ष 2011 में दक्षिण मुंबई में हुए बम विस्फोटों में कथित रूप से हाथ था जिनमें 20 लोगों की मृत्यु हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे। बाद में फैज की मृत्यु पुलिस अभिरक्षा में हो गई। सूत्रों के अनुसार इस मौत से उस्मानी घबरा गया था। जिस तरह अफजल गुरू तथा कसाब को फांसी मिली थी उसके बाद उस्मानी दहशत में था और इसलिए उसने भागने की योजना बनाई। कोर्ट रूम के बाहर रिश्तेदारों से मिलते वक्त बड़ी सफाई से वह फरार हो गया। जो दो पुलिस वाले वहां पहरा दे रहे थे। उन्हें उसने चकमा दे दिया। फरारी के लिए वह लम्बे समय से कोशिश कर रहा था लेकिन जेल प्रशासन उसके इरादे भांप गया था इसलिए उसे भागने नहीं दिया गया।
बम विस्फोटों के मामले में सुनवाई इतनी धीमी चलती है और कई राज्यों के न्यायालयों में खुंखार कैदियों को इस तरह ले जाया जाता है कि उनके भागने की आशंका बनी रहती है। इसी आशंका के चलते अतिरिक्त सावधानी बरतने के बावजूद उस्मानी भागने में कामयाब रहा। इस फरारी ने जहां पुलिस की लापरवाही उजाकर की है वहीं बम विस्फोटों के आरोप में भारत के जेलों में बंद अनेक आतंकवादियों के प्रकरणों में हो रही देरी पर भी सवाल खड़े किए हैं। यदि इन मामलों की सुनवाई में तेजी नहीं लाई गई तो उस्मानी जैसे कई खतरनाक आतंकवादी हमारी सुरक्षा व्यवस्था को चकमा देकर फरार हो सकते हैं। इससे पुलिस द्वारा की गई उस मेहनत पर भी पानी फिर सकता है जो उसने इन आतंकवादियों की गिरफ्तारी के वक्त की थी। कोर्ट परिसर में कई बार सुरक्षा में ढील दे दी जाती है। आतंकवादियों को उनके रिश्तेदारों से मिलने दिया जाता है। मीडिया उनके आसपास मंडराता रहता है। पुलिस अलर्ट नहीं रह पाती। इसी कारण फरार होने की घटनाएं लगातार घट रही हैं। उस्मानी को कब पकड़ा जाएगा यह तय नहीं है लेकिन इतना साफ है कि उस्मानी से पूछताछ में जो कडियां जुड़ती जा रही थीं वे अब टूट चुकी हैं।

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