02-Oct-2013 07:44 AM
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भारतीय जनता पार्टी सेना से रिटायर्ट जनरल वी के सिंह के समर्थन में खुलकर सामने आ गई हैं। नरेन्द्र मोदी के साथ एक मंच पर विराजने के कुछ दिन बाद ही अचानक रक्षा मंत्रालय ने आरोप लगाया

है कि जरनल सिंह ने जम्मू कश्मीर सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की और उसके लिए सीक्रेट फंड का इस्तेमाल भी किया। आरोप है कि कथित रूप से टेक्निकल सर्विस डिवीजन (टीएसडी) के जरिए इस फंड का दुरूपयोग किया गया है। इस मामले को उजागर करने वाले अखबार ने बताया है कि आर्मी के मिलिट्री आपरेशन के हेड लेफ्टिनेण्ट विनोद भाटिया द्वारा की जांच में यह खुलासा हुआ है। आरोप है कि जनरल ने जनता के आठ करोड़ रूपए जम्मू कश्मीर में बर्बाद कर दिए और यह बर्बादी की गई जम्मू कश्मीर सरकार को अस्थिर करने के लिए। हालांकि वीके सिंह ने इस पूरे प्रकरण को गलत बताया है और कहा है कि यह सब मन गढ़ंत है। जनरल ने इस संबंध में आरटीआई लगाने की बात भी कहीं है ताकि सच्चाई सामने आ सके । खास बात यह है कि जनरल के खिलाफ किए गए इस खुलासे ने कई सवाल खड़े किए हैं। इससे जम्मू कश्मीर को लेकर भारत सरकार की नीति भी बेनकाब हो सकती है जिसका निर्धारण केन्द्र सरकार द्वारा किया जाता है। भाजपा का आरोप है कि जनरल सिंह को गलत फंसाया जा रहा है और ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि वे भाजपा के साथ मंच साझा कर चुके हैं। हरियाणा के रेवाड़ी में नरेन्द्र मोदी और जनरल वीके सिंह हाथ मिलाकर खड़े नजर आए थे। इस सभा के बाद से ही यह तय हो गया था कि जनरल का झुकाव किस तरफ है शायद यही उनके लिए परेशानी का सबब बन गया लेकिन जनरल पर जो आरोप लग रहे हैं वे गम्भीर हैं और राष्ट्रीय हित के खिलाफ भी हैं। यदि ये आरोप झूठे हैं तो इस बात का पता लगाया जाना जरूरी है कि यह आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं। सेना में योग्यता के आधार पर पदोन्नति दी जाती है लेकिन हाल के प्रकरणों को देखें तो प्रतीत हो रहा है कि सेना में कहीं न कहीं राजनीति और क्षेत्रवाद जबरन डालने की कोशिश की जा रही है। इसी कारण सेना की कुछ गुप्त जानकारी भी सतह पर आ गई है जो राष्ट्रीय हितों को प्रभावित कर सकती है। यदि इसी तरह सेना के कामकाज पर सवालिया निशान खड़े होते रहे तो सेना का मनोबल टूटेगा इसीलिए सिंह ने आईटीआई याचिका लगाकर यह स्पष्ट करना चाहा है कि उनके विरूद्ध क्या चल रहा है लेकिन इस मुद्दे का राजनीतिकरण खतरनाक है। सूचना एवं प्रशासन मंत्री मनीष तिवारी ने कहा है कि सिंह पर जो आरोप लगाए हैं वे बहुत गम्भीर हैं जबकि भाजपा ने इन आरोपों की टाइमिंग को कठघरे में खड़ा किया है। कहा जाता है कि टीएसडी का गठन वीके सिंह के दिमाग की ही उपज थी लेकिन उस समय इसके कामकाज पर उंगली उठी तो मिलिट्री इंटेलिजेंस के तत्कालीन डीजी लेफ्टिनेंट जनरल डीएस ठाकुर के आदेश पर मामला कथित रूप से दबा दिया गया। अब यह कहा जा रहा है कि मामला फिलहाल प्रधानमंत्री के पास है और जांच चल रही है। सम्भावना है कि मामला सीबीआई तक भी पहुंचे। देखना है जनरल वीके सिंह अपनी सफाई में क्या सबूत प्रस्तुत करते हैं।
इस बीच जनरल वीके सिंह ने यह कह कर नया विवाद खड़ा करने की कोशिश की है कि सेना द्वारा सरकार के मंत्रियों को विभिन्न कार्या के लिए पैसा दिया जाता है। हालांकि सिंह का कहना है कि यह पैसा जनहित में व्यय किया जाता है। लेकिन सिंह के इस बयान से सियासी भूचाल आया हुआ है।