सीरिया पर रूस ने चली तुरूप की चाल
16-Sep-2013 07:25 AM 1234774

सीरिया को रासायनिक हथियार सर्मपित करने के लिए मनाने का प्रयास करने संबंधी रूस के बयान ने अमेरिका को पशोपेश में डाल दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति बाराक ओबामा ने कहा है कि यदि यह वास्तविक प्रयास है तो अमेरिका सीरिया के खिलाफ सैन्य कार्यवाही पर पुनर्विचार कर सकता है। राष्ट्रपति ने यह बयान उस समय दिया जब वे वाशिंगटन में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। ओबामा सीरिया पर सैन्य कार्यवाही के लिए सीनेट का समर्थन जुटाना चाह रहे हैं। लेकिन रूस ने जो कूटनीतिक चाल चली है उसके मद्देनजर सीनेट शायद सैन्य अभियान को हरी झंडी देने में जल्दबाजी न बरते। अमेरिका के विदेश मंत्री ने पहले ही कह दिया है कि यदि सीरिया अमेरिकी सैन्य कार्यवाही से बचना चाहता है तो उसे अपने रासायनिक हथियार सयुंक्त राष्ट्र संघ के पर्यवेक्षकों को सौंप देना चाहिए। इससे अब यह लगने लगा है कि सीरिया अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, इजराइल जैसे देशों के सयुंक्त सैन्य अभियान से शायद बच सकता है। किन्तु जानकारों का कहना है कि सब कुछ सीरिया के रूख पर निर्भर करेगा। यदि सीरिया सहयोग करता है तो उसे राहत मिल सकती है अन्यथा युद्ध होना तय है। सूत्रों के अनुसार अमेरिका में सीरिया को लेकर आम राय युद्ध के खिलाफ है। वैसे भी ईराक, अफगानिस्तान जैसे देशों में अमेरिका का सैनिक अभियान नाकाम ही रहा है। ईराक में अमेरिका को परमाणु हथियार और रासायनिक हथियार नहीं मिले, इसी प्रकार अफगानिस्तान में तालिबान को पूरी तरह रोकने में अमेरिका नाकाम रहा। अब इन देशों से अमेरिकी फौज विदा लेने के करीब है लेकिन सीरिया में नया मोर्चा अमेरिकी जनता नापसंद करती है। देश में जगह-जगह युद्ध विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं। खतरा इस बात का भी है कि सीरिया को समर्थन देने के लिए कुछ दूसरे इस्लामी देश युद्ध में कूद सकते हैं यदि ऐसा हुआ तो एक भयावह स्थिति पैदा हो जाएगी। सारी दुनिया आर्थिक मंदी से जूझ रही है सीरिया का युद्ध दुनिया को आर्थिक संकट में धकेल सकता है। शायद इसीलिए ओबामा ने रूस के प्रस्ताव को सशक्त सकारात्मक कदम कहा है। यदि ऐसा होता है तो युद्ध के बिना ही संकट टल सकता है। ओबामा के करीबियों का कहना है कि राष्ट्रपति भी इस युद्ध को टालने के पक्ष में हैं। उधर सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद के रुख में कोई तब्दीली देखने को नहीं मिली है। असद ने साफ किया है कि अमेरिका ने हमला किया तो सीरिया शांत नहीं बैठेगा। इसी वर्ष मई माह में जब अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी मास्को पहुंचे थे उस वक्त दोनों देशों के बीच सीरिया संकट को लेकर लंबी बातचीत हुई थी। रूस, चीन जैसे देश सीरिया के खिलाफ किसी भी प्रकार की सैन्य कार्यवाही के पक्ष में नहीं हैं। उधर अमेरिका का आरोप है कि सीरिया ने रासायनिक हमलों के द्वारा अपने ही देश के लगभग 1200 लोगों का कत्ल कर दिया है। जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। अमेरिकी सीनेट की खुफिया समिति के सदस्यों को इस सिलसिले में 13 वीडियो भी दिखाए गए थे। सीएनएन ने भी कुछ ग्राफिक विडियो दिखाए। इन विडियो में दिखाया गया था कि किस प्रकार मासूम लोगों की जान ली गई।
अमेरिका का कहना है कि सीरिया के खिलाफ सैन्य कार्यवाही के लिए तैयार देशों की संख्या दहाई तक पहुंच गई हैं। हाल ही में जी-20 सम्मेलन में भी यही मुद्दा छाया रहा अमेरिका का कहना है कि सीरिया में नागरिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है लेकिन रूस ने इससे इंकार किया रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यह बिल्कुल बेतुका है कि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल करके जवाबी कार्रवाई का जोखिम मोल लेंगे। रूस इस सिलसिले में संतोषजनक प्रमाण मांग रहा है। चिंता की बात यह है कि रूस ने अपने जंगी साजो सामान सीरिया के आस-पास तैनात कर रखे हैं। ऐसी स्थिति में सीरिया के खिलाफ लड़ाई रूस और अमेरिका के टकराव का कारण बन सकती है। हालाकि अमेरिका तभी कोई कदम उठाएगा जब उसे रूस की तरफ से किसी प्रकार के सीधे प्रतिरोध का अंदेशा नहीं रहेगा। लेटिन अमेरिकी देश ब्राजील और मैक्सिको भी सीरिया के खिलाफ सैनिक कार्यवाही के पक्ष में नहीं हैं। तुर्की लंबे समय से सीरिया में हस्तक्षेप की मांग कर रहा है जबकि कनाडा, ऑस्टे्रलिया, दक्षिण कोरिया, जापान, जर्मनी और यूरोपीय संघ ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह  किसी भी प्रकार के सत्ता परिवर्तन के लिए सैन्य कार्यवाही के खिलाफ हैं। कुल मिलाकर सीरिया की स्थिति लगातार नाजुक बनी हुई है। देश में गृह युद्ध जारी है।

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^