18-Jan-2020 07:58 AM
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प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश का तूफानी दौरा कर रही हैं और योगी आदित्यनाथ की सरकार और पुलिस लगातार उनके निशाने पर है। अब तक मायावती के बयानों से बचती रही प्रियंका गांधी ने पलटवार भी किया है। मायावती यूपी में प्रियंका गांधी के दौरे को लेकर लगातार हमलावर रही हैं, लेकिन काफी परहेज के बाद अब प्रियंका ने भी पलटकर चैलेंज कर दिया है। उन्नाव गैंग रेप के खिलाफ मायावती और अखिलेश यादव के साथ-साथ एक ही दिन सड़क पर उतरीं प्रियंका गांधी खुद को दिखाने की भी कोशिश कर रही हैं। फिलहाल तो वो लोगों को यही मैसेज देना चाहती हैं कि कांग्रेस दुख की घड़ी में उनके साथ है और उनकी बात सबके सामने लाने की पूरी कोशिश भी कर रही है। मायावती के बाद अखिलेश यादव ने भी अगर प्रियंका गांधी को टारगेट करने की कोशिश की तो मान कर चलना चाहिए, जवाब भी वैसा ही मिलेगा जैसा बीएसपी नेता को मिला है। सवाल ये है कि प्रियंका गांधी कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा दुश्मन किसे मानती हैं-योगी आदित्यनाथ को, मायावती को या फिर अखिलेश यादव को?
यूपी पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ प्रियंका गांधी खुद को पीडि़तों के साथ खड़े होने का मैसेज दे रही हैं। यूपी में हुई हिंसा को लेकर प्रियंका गांधी ने राज्यपाल को चिट्ठी भी लिखी है। बकौल प्रियंका गांधी, राज्यपाल को लिखी चिट्ठी में बताया है कि पुलिस ने लोगों को किस तरह से पीटा है? कैसे बच्चों को जेल में डाला है? बेगुनाहों के साथ बर्बरता से पुलिस कैसे पेश आई है। जब पत्रकारों के बीच होती हैं तब भी प्रियंका गांधी लोगों की शिकायतों की तरफ ध्यान खींचने की कोशिश करती हैं। कहती हैं - पुलिस बेगुनाहों को परेशान कर रही है। उनकी शिकायत दर्ज नहीं कर रही है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट तक नहीं दे रही है और जेल भेज दिए जाने की धमकी भी मिल रही है।
प्रियंका गांधी कांग्रेस को ऐसे वक्त रेस में आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं जब वो सूबे में जैसे-तैसे सांसे गिन रही है। विधानसभा में सिर्फ सात विधायक बचे हैं और एक लोकसभा सांसद। राहुल गांधी की हार के बाद कांग्रेस अमेठी भी गंवा चुकी है। प्रियंका गांधी भी मुस्लिम समुदाय के साथ फिलहाल वैसे ही सपोर्ट में खड़ी दिखाने की कोशिश कर रही हैं जैसे राहुल गांधी एक दौर में दलितों के साथ। मायावती की प्रियंका गांधी से चिढ़ की वजह भी यही है। कांग्रेस के खिलाफ मायावती के ताजा बयान देखें तो वो दलितों, पिछड़ों और मुस्लिमों के ही नाम लेती हैं - और कहती हैं कि अगर कांग्रेस ने लोगों पर ध्यान दिया होता तो बीएसपी बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। प्रियंका गांधी की सक्रियता भी यही बता रही है कि वो कांग्रेस का खोया हुआ वोट बैंक वापस दिलाना चाहती हैं।
2019 के आम चुनाव में पाया गया कि कांग्रेस को यूपी में मुस्लिम समुदाय से सिर्फ 14 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 76 फीसदी सपा-बसपा गठबंधन के खाते में गया था। कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा फिक्र वाली बात तो ये रही कि बीजेपी ने 62 में से 36 सीटें उन इलाकों में जीती जहां 20 फीसदी मुस्लिम आबादी रहती है। आगे बढऩे से पहले और वक्त रहते प्रियंका गांधी को ये तय कर लेना होगा कि कांग्रेस का वोट बैंक वापस किससे लेना है-भारतीय जनता पार्टी से, समाजावादी पार्टी से या फिर बहुजन समाज पार्टी से? तभी प्रियंका गांधी ये भी तय कर पाएंगी कि कांग्रेस का असली सियासी दुश्मन कौन है - योगी आदित्यनाथ, मायावती या फिर अखिलेश यादव?
प्रियंका गांधी यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ लोगों के हर गुस्से को भुनाने की कोशिश कर रही हैं। चाहे वो सोनभद्र का नरसंहार हो या उन्नाव में बलात्कार की तमाम घटनाएं - या फिर नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ पुलिस का एक्शन। कानून और व्यवस्था के नाम पर बीजेपी सरकार को घेरने के साथ साथ प्रियंका गांधी भगवा रंग पर कांग्रेस का बदला नजरिया भी पेश करती हैं-आतंक से अहिंसा की ओर। प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को चिट्ठी भी लिखी है। जहां कहीं भी कांग्रेस महासचिव को लगता है कि सरकार के खिलाफ लोगों की सहानुभूति बटोरी जा सकती है, वो फौरन पहुंच जाती हैं। लोगों से मिलती-जुलती हैं और फिर मीडिया के सामने आकर यूपी पुलिस की ज्यादती की कहानियां भी बताती हैं।
कांग्रेस को होगा कितना फायदा
जो राजनीति प्रियंका गांधी फिलहाल कर रही हैं, राहुल गांधी भी ऐसे ही तूफानी दौरे किया करते थे। दलितों के घरों में राहुल गांधी के लंच और डिनर खूब सुर्खियां बटोरते रहे। फिर मायावती का बयान आता था- जब राहुल गांधी दलितों के घर से लौटकर दिल्ली जाते हैं तो एक विशेष प्रकार के साबुन से नहाते हैं। राहुल गांधी के तूफानी दौरों का असर यही हुआ कि धीरे-धीरे मायावती भी सत्ता से बाहर हो गईं और एक दिन अखिलेश यादव भी। सिर्फ यही नहीं, जब दोनों गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरे तो भी नुकसान समाजवादी पार्टी और बीएसपी को ही हुआ - और फायदा तो कांग्रेस को भी नहीं मिला। फायदा मिला तो बीजेपी को जो बरसों के वनवास के बाद यूपी की सत्ता पर काबिज हो गई है। क्या प्रियंका गांधी को मालूम है कि उनकी हालिया राजनीतिक गतिविधियों का कांग्रेस को कितना फायदा मिलेगा? आम चुनाव हुए कुछ ही दिन हुए हैं और यूपी में विधानसभा के चुनाव 2022 में होने हैं-दो साल का वक्त काफी लंबा होता है, लेकिन लोकस्मृतियां उतनी लंबी नहीं होतीं। पब्लिक कम ही बातें याद रख पाती है, बाकी बातें बड़ी जल्दी भूल जाती है।
- लखनऊ से मधु आलोक निगम