04-Feb-2020 12:00 AM
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बसपा सुप्रीमो मायावती अपने पुराने फॉर्मुले ब्राह्मण, मुस्लिम, दलित के गठजोड़ पर संगठन को दोबारा से मजबूत करने के प्रयास में जुट गई हैं। हाल ही में उन्होंने यूपी के अंबेडकर नगर से युवा सांसद रितेश पांडे को लोकसभा का नेता बनाया। 38 वर्षीय रितेश पार्टी का नया ब्राह्मण चेहरा हैं। पार्टी महासचिव सतीश मिश्रा के साथ-साथ रितेश को अहम पद देकर मायावती ने इस बात का इशारा कर दिया है कि यूपी में ब्राह्मणों को अपनी ओर खींचने का बसपा पूरा प्रयास करेगी। पार्टी सूत्रों की मानें तो आने वाले समय में ब्राह्मणों को संगठन में भी अहम स्थान मिलने वाला है। मायावती ने बीते दिनों लोकसभा में पार्टी के नेता दानिश अली को हटाकर अंबेडकर नगर से सांसद रितेश पांडे को जिम्मेदारी सौंपी। वहीं बिजनौर के सांसद मलूक नागर को उपनेता बनाया। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली, विधानसभा में बीएसपी के नेता लालजी वर्मा व विधान परिषद में बीएसपी नेता दिनेश चंद्रा अपने पद पर बने रहेंगे। इस बदलाव के पीछे का कारण बताते हुए मायावती ने ट्वीट किया, 'सामाजिक सामंजस्य बनाने के मद्देनजर लोकसभा में पार्टी के नेता व उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष भी एक ही समुदाय के होने के नाते ये परिवर्तन किया गया।Ó 2019 लोकसभा चुनाव व 12 सीटों पर हुए उपचुनाव में बसपा के खराब प्रदर्शन के बाद मायावती ने पार्टी में जोन व मंडल के बजाए सेक्टर व्यवस्था लागू करने का ऐलान किया था। इसके अनुसार यूपी को चार सेक्टर में बांटा गया है। हर सेक्टर में संगठन को दोबारा से मजबूत बनाने के लिए बीएसपी कई नए चेहरों को भी जिम्मेदारी दे सकती है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि 35 से 45 साल के युवाओं को संगठन में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। इनमें ब्राह्मणों को तवज्जो मिल सकती है। 38 वर्षीय युवा रितेश को दूसरे वरिष्ठ नेताओं के बदले लोकसभा में नेता बनाना शायद उसी ओर बढ़ती एक पहल है। बीएसपी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि रितेश पांडे पर आलाकमान को काफी भरोसा है और आने वाले वक्त में बसपा की सियासत में उनकी भूमिका और भी अहम होने वाली है। रितेश ने लंदन से इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। अंबेडकर नगर में सियासी तौर पर उनके परिवार का बड़ा कद है। उनके पिता राकेश पांडे खुद बीएसपी से सांसद रह चुके हैं। रितेश 2017 में बीएसपी के ही टिकट पर विधायक बने फिर 2019 में सांसद बन गए। सांसद बनने के 8 महीने के भीतर ही वह पार्टी के लोकसभा नेता भी हो गए हैं। उन्हें पार्टी के नए 'ब्राह्मण फेसÓ के तौर पर प्रोजेक्ट करने की तैयारी है। 2022 चुनाव में भी उनका रोल अहम रह सकता है। पार्टी से जुड़े एक नेता का कहना है कि जिस तरह से योगी सरकार पर ठाकुरवाद के आरोप लग रहे हैं ऐसे में बसपा को ब्राह्मणों को अपनी ओर आकर्षित कर उनको संगठन में तवज्जो देनी चाहिए। पूर्वी यूपी की राजनीति में ब्राह्मण व ठाकुर में सियासी जंग अक्सर देखने को मिलती है। ऐसे में बसपा को मौजूदा हालातों में इस पर फोकस करने पर सोच रही है। दूसरे दलों के भी जो ब्राह्मण नेता उपेक्षित महसूस कर रहे हैं उनको भी बसपा से जोडऩे का प्रयास किया जाएगा। वहीं अपने संगठन के दूसरे ब्राह्मण नेताओं को भी अहम रोल दिया जाएगा। लोकसभा चुनाव के दौरान मायावती के भतीजे आकाश कुमार काफी चर्चा में रहे। उन्हें पार्टी का स्टार कैंपेनर भी बनाया गया लेकिन चुनाव के बाद से वे पर्दे के आगे इतना सक्रिय नहीं दिख रहे हैं। यहां तक की मायावती के जन्मदिन के मौके पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी वे नहीं दिखे। पार्टी सूत्रों की मानें तो वे बीएसपी की स्ट्रेटेजी टीम का अभी भी हिस्सा हैं और 2022 चुनाव के आसपास उन्हें पार्टी अहम जिम्मेदारी दे सकती है। प्रियंका व चंद्रशेखर की एक्टिवनेस से बसपा सतर्क यूपी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लगातार एक्टिव हैं वहीं भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने भी पार्टी बनाकर चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है। ऐसे में मायावती के लिए चुनौती अपने संगठन के अहम नेताओं को अपने साथ जोड़े रखने की है। इसी के मद्देनजर पार्टी काडर में इस बात का संदेश दे दिया गया है कि किसी भी तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बीते लोकसभा चुनाव व हाल ही में हुए 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद बसपा 2022 को करो या मरो की तरह देख रही है। इसी कारण मायावती दोबारा से संगठन को मजबूत करने में जुट गई हैं। - लखनऊ से मधु आलोक निगम