02-Jan-2020 07:55 AM
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ढाई साल पहले प्रचंड बहुमत के साथ यूपी की गद्दी पर काबिज हुई बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं है। गत दिनों यूपी विधानसभा में हुए ड्रामे और सदन में ऐतिहासिक धरने के बाद साफ हो गया है कि खुद बीजेपी के घर में सबकुछ ठीक नहीं है। ऊपर से दिखती चमक-दमक के पीछे बहुत कुछ स्याह है। अधिकारियों की बेअंदाजी, आलाकमान की बेपरवाही और मुख्यमंत्री का अडिय़ल रवैया यूपी में बीजेपी विधायकों को इस कदर अखरने लगा है कि वे अनुशासन के लिए जानी जाने वाली पार्टी की रीति-नीति शायद भूल गए हैं।
17 दिसंबर को गाजियाबाद जिले की लोनी सीट से विधायक नंदकिशोर गुर्जर सुर्खियों में थे तो 18 दिसंबर को इलाहाबाद के बीजेपी विधायक हर्ष वाजपेयी का गुस्सा सार्वजनिक रूप से फूट पड़ा। विधायक वाजपेयी ने विधानसभा के बाहर कहा कि अधिकारियों की पिछली सरकारों से चली आ रही विधायक निधि में 18 फीसदी की कमीशन खोरी की आदत अभी भी जारी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की ईमानदारी पर कोई शक नहीं है, उन्होंने सफल कुम्भ का आयोजन भी कराया पर अफसर खुद को नेता और जनता से ऊपर मानते हैं। हर्ष ने सवाल उठाया कि ढाई साल से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन अभी तक अफसरशाही पर कोई कंट्रोल क्यों नहीं हो पाया।
विधायक वाजपेयी ने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री ईमानदार हैं और करीब 8 हजार करोड़ रुपए कुम्भ में खर्च हुए लेकिन मुख्यमंत्री पर
1 रुपए के घोटाले का दाग नहीं है। उन्होंने कहा, अफसरशाही का यह दर्द केवल इसी सरकार का नहीं, हर सरकार का है। अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने की आदत पड़ गई है, उन्हें लगता है कि सरकारें आती-जाती रहती हैं, पर उनकी नौकरी पक्की है, इस नाते वे भ्रष्टाचार करते हैं, कल सभी दलों के विधायक हमारे साथ थे, सब हमारे समर्थन में बैठे थे।’ उन्होंने कहा, हमने मुख्यमंत्री के सामने अपनी बात रखी है, इस पार्टी में लोकतंत्र है कि हम धरने पर बैठे।’
17 दिसंबर को सदन में हुए ड्रामे के बाद विधायकों का गुस्सा शांत करने बैठे मुख्यमंत्री और संगठन के नेताओं को इसका अहसास हो गया है। इसी दिन मुख्यमंत्री ने पीडि़त विधायकों को मिलने के लिए बुलाया और साथ में अधिकारियों से अलग से बात की। मुख्यमंत्री से मिलने के बाद विधायकों के तेवर जरूर ढीले पड़े पर उन्होंने साफ कहा कि चंद आला अधिकारी जिसमें डीजीपी, मुख्यमंत्री सचिवालय के बड़े अधिकारी और गृह विभाग शामिल है, उनकी एक नहीं सुनते और मनमानी करते हैं।
अचानक शुरू हुई इस बगावत पर बीजेपी में मंथन शुरू हो गया है। विधायक धरना कांड पर पार्टी अलर्ट है, विधायकों से मुख्यमंत्री योगी और संगठन मंत्री सुनील बंसल मिल रहे हैं। बैठक के लिए 40-40 के ग्रुप में विधायक बुलाए गए और रात 9 बजे तक ये बैठकें चली हैं। विधायकों के धरने को पार्टी ने गंभीरता से लिया है और अब आलाकमान के निर्देश पर मीटिंग हो रही हैं।
बगावत की शुरुआत करने वाले विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि अधिकारी खुलकर कमीशन ले रहे हैं और उन्होंने कमीशन खोरी को जन्मसिद्ध अधिकार मान लिया है। 18 दिसंबर को भी विधायक का दर्द विधानसभा में फूटा और उन्होंने कहा कि आधिकारियों में से एक या दो प्रतिशत ही ईमानदारी दिखा रहे हैं। विधायक ने कहा कि अधिकारी नहीं सुनते, सभी अधिकारियों की पत्नी के एनजीओ की जांच करवा लें तो सारा सच सामने आ जाएगा। विधायक गुर्जर ने कहा, मेरी संपत्ति की जांच करवा लें, जब मैं आवाज उठाता हूं तो मेरे ऊपर मुकदमे लाद दिए जाते हैं, ऐसे में कैसे मुख्यमंत्री के जीरो प्रतिशत टॉलरेंस का सपना सच होगा, इससे मैं काफी व्यथित हूं।’ हालांकि गुर्जर ने 17 दिसंबर की घटना को लेकर खेद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उनके इलाके में सपा-बसपा में जो अपराधी थे, वे उनकी हत्या करवाना चाहते थे। मुख्यमंत्री से माफी मांगने के सवाल पर गुर्जर ने कहा, मुख्यमंत्री सन्त हैं, माफी क्या मैं उनके पैर भी पकड़ सकता हूं।’ इस पूरे घटनाक्रम पर सपा नेता राम गोविंद चौधरी ने कहा, राज्य की कानून-व्यवस्था चौपट है, न्यायालय सुरक्षित नहीं है, आम आदमी सुरक्षित नहीं है, बीजेपी विधायक खुद सरकार के खिलाफ हैं, रेप के मामलों में ज्यादातर आरोपी बीजेपी के हैं।’
सीएम योगी खुद अपराधी हैं’
उधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सीधा मुख्यमंत्री योगी पर हमला बोला है। लल्लू का कहना है कि मुख्यमंत्री खुद अपराधी हैं और वह कुशीनगर में गरीबों की झोपड़ी जलाने, एक मुस्लिम महिला को प्रताडि़त करने व 307 जैसे गंभीर अपराधों में लंबित रहे हैं, इन मामलों को खुद मुख्यमंत्री द्वारा वापस लिया जा रहा है और यह अपने आप में एक इतिहास है।’ लल्लू ने कहा कि जब इनसे इनके अपने विधायक संतुष्ट नहीं हैं तो आम जनता का क्या होगा। इनसे प्रदेश नहीं संभल रहा इनको गोरखपुर वापस चले जाना चाहिए।
- लखनऊ से मधु आलोक निगम