18-Jan-2020 07:57 AM
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कहावत है बूंद-बूंद से घड़ा भरता है। अगर देश के सबसे पिछड़े क्षेत्र में बुंदेलखंड में बूंद-बूंद की मानिंद विकास हुआ होता तो आज यह क्षेत्र इतना बदहाल नहीं होता। हालांकि क्षेत्र के विकास के लिए मप्र और उप्र की सरकारें कुछ खास सक्रिय नजर आ रही हैं। वहीं केंद्र सरकार को भी ध्यान इस क्षेत्र के विकास पर केंद्रित हो रहा है। इसके लिए रोडमैप बनाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल ने मध्यप्रदेश के सागर, रीवा, शहडोल और जबलपुर संभाग को आपस में जोड़कर भारतीय सर्वेक्षण विभाग एएसआई का सर्किल कार्यालय सागर में बनाने के संकेत दिए हैं। इसके लिए उन्होंने प्रस्ताव तैयार कराकर संस्कृति सचिव के पास भिजवाया है। यदि सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो प्रदेश में भोपाल के बाद सागर ऐसा संभाग होगा, जिसमें सर्किल कार्यालय होगा और यहां से 4 संभागों के 21 जिलों के पुरातात्विक स्थलों की मॉनीटरिंग की जाएगी।
बता दें कि सागर में भारतीय सर्वेक्षण विभाग का सब सर्किल कार्यालय है। यहां के सारे काम भोपाल से होते हैं। प्रदेश के जबलपुर, सागर, रीवा, शहडोल संभाग में सर्किल कार्यालय नहीं हैं। जिससे प्राचीन स्थलों की देखरेख और उनके संरक्षण को लेकर गंभीरता से काम नहीं हो पाता है। अनदेखी के चलते कई स्थल जमींदोज हो रहे हैं और भारी नुकसान होने के बाद भी उनका संरक्षण नहीं हो पा रहा है। इन स्थलों को संरक्षित करने और उनकी नए सिरे से कार्ययोजना बनाने के लिए अमले की कमी पड़ रही है, इन समस्याओं को देखते हुए केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने सर्किल कार्यालय स्थापित करने को लेकर निर्णय लिया है।
सागर के सब सर्किल कार्यालय में पदस्थ संरक्षण सहायक राहुल तिवारी ने बताया कि केंद्रीय मंत्री ने इसका प्रस्ताव मांगा है और इसकी जानकारी भी संस्कृति सचिव के पास भेजी जा रही है। उन्होंने बताया कि सर्किल कार्यालय बनने पर जो काम अभी तक भोपाल में होते हैं, वे सागर में होने लगेंगे। प्राचीन स्थलों की देखरेख, उनके सुधार कार्य और संरक्षण को लेकर जल्द काम किए जा सकेंगे। उन्होंने बताया कि मंजूरी मिलने पर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) का सर्किल कार्यालय सागर में बनेगा और यहां से एएसआई 21 जिलों पर नजर रखेगा। इसके लिए जमीन चिह्नित की जा रही है और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) से इसका नक्शा तैयार कराया जा रहा है। मुख्यालय से अप्रूवल मिलते ही कार्यालय निर्माण का काम शुरू हो जाएगा।
मंजूरी मिलने पर प्रदेश में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का यह दूसरा सर्किल सागर होगा। पहला भोपाल में सर्किल है। अभी सब सर्किल सागर है, जहां पर केवल संरक्षण सहायक (सिविल इंजीनियर) स्तर के अधिकारी ही बैठते थे, लेकिन सर्किल बनने के बाद यह क्षेत्र सुपरिंटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट और अधीक्षण पुरातत्वविद् की मॉनीटरिंग में आ गया है। सर्किल कार्यालय बनने के बाद सागर, जबलपुर, रीवा, शहडोल तक करीब 21 जिलों के पुरातात्विक स्थलों की मॉनीटरिंग सागर के सर्किल कार्यालय से होगी। इस तरह बुंदेलखंड, बघेलखंड और महाकौशल आपस में जुड़कर एक सर्किल में आ जाएंगे। इस पर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल का कहना है कि सारे प्राचीन स्थल सागर सर्किल से जुड़ते हैं। इस रूट को देखते हुए कार्ययोजना बनाई जा रही है। अभी सागर सब सर्किल कार्यालय है। प्रस्ताव तैयार किया गया है। सभी मंत्रालयों से स्वीकृति मिलने के बाद इस पर निर्णय होगा।
मोदी सरकार ने देश को 2 डिफेंस कॉरिडोर दिए। इसमें से एक की सौगात बुन्देलखंड की झोली में डाली गई। इसके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज हो गई है। सरकार ने 430.31 करोड़ के बजट में सर्वाधिक 328 करोड़ रुपए झांसी जनपद के लिए स्वीकृत किए, जबकि चित्रकूट को 50 करोड़ व अलीगढ़ को 52.31 करोड़ रुपए की धनराशि दी गई है। यह परियोजना जब पूरी तरह से आकार लेगी, तो युवाओं के लिए रोजगार के ढेरों अवसर खुलेंगे।
देश के विकास का मॉडल बनेगा बुंदेलखंड
अपनी तमाम विशेषताओं के बावजूद सूखा, गरीबी, पलायन और पिछड़ेपन के लिए चर्चित बुंदेलखंड अब नकारात्मक धारणा से बाहर निकल रहा है। सिर्फ जलसंरक्षण का जखनी मॉडल ही नहीं बल्कि अन्य अभियानों की गूंज भी केंद्र सरकार तक पहुंच चुकी है। ग्राम्य विकास मंत्रालय बुंदेलखंड मॉडल के आधार पर देशभर में विकास कराने की योजना बना रहा है। इसी सिलसिले में आईआईएम रांची के प्रोफेसर डॉ. नितिन को इन योजनाओं का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। बीते दो दशक में लगातार सूखे की मार और राजनीति ने बुंदेलखंड के असल स्वरूप को कहीं पीछे छोड़ दिया है। देश में इस इलाके की पहचान गरीबी और पिछड़ेपन के रूप में हो रही है। बुंदेलखंड के माथे से इस दाग को मिटाने के लिए जिलाधिकारी हीरालाल ने पहल शुरू की। एक-दो नहीं बल्कि पांच ऐसे अभियान छेड़े जो राष्ट्रीय फलक पर चमक उठे। केंद्र सरकार ने इस सकारात्मक पहल का स्वागत किया। बकौल प्रो. नितिन वास्तव में बुंदेलखंड में अब सामाजिक बदलाव दिखने लगा है। जल संरक्षण के प्रति लोगों की अवधारणा बदल रही है। खेती-किसानी के प्रति भी लोगों में अब दिलचस्पी बढ़ी और और मजदूरों का पलायन कम हो रहा है।
- सिद्धार्थ पांडे