02-Jan-2020 08:37 AM
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करीब एक साल पहले अल्पमत की सरकार रही कांग्रेस इस समय इतनी मजबूत हो गई है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में वह भाजपा पर भारी पड़ी। विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा के दिग्गज नेता बिखरे-बिखरे नजर आए। आलम यह रहा कि किसी भी मुद्दे पर पार्टी के नेता एक मत नहीं रहे। इसका असर यह हुआ कि पूरी सत्र के दौरान सत्तापक्ष विपक्ष पर भारी पड़ा।
मप्र विधानसभा का पांच बैठकों वाला शीतकालीन सत्र चार बैठकों में ही समाप्त हो गया। लेकिन इन चार दिनों में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जमकर शक्ति प्रदर्शन देखने को मिला। विपक्षी भाजपा ने सत्तारूढ़ कांग्रेस को घेरने की भरपूर कोशिश की, लेकिन सरकार उस पर हर मामले में भारी पड़ी। स्थिति यह रही कि भाजपा का आंदोलन भी दिखावा साबित हुआ।
दरअसल, सदन में ही भाजपा बंटी-बंटी नजर आई। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में नजर आए। जबकि नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव सदन में उपस्थित रहने के बाद भी अनुपस्थित दिखे। कभी-कभी स्थिति यह बनी कि भाजपा के नेता एक ही सवाल पूछते नजर आए। इस कारण उन्हें विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति से फटकार भी सुनने को मिली। भाजपा विधायक दल के तीन बड़े नेता शिवराज सिंह चौहान, गोपाल भार्गव और नरोत्तम मिश्रा के बीच पहले बोलने की प्रतिद्वद्विता सदन में साफ नजर आती है। एक ने पूछा कि गेंहू पर बोनस कब दोगे, तो दूसरे भी यही सवाल दाग दिया। दो दिन से चल रहे इस क्रम को विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति भांप गए। आखिरकार उन्होंने बोल ही दिया कि कि आप तीनों तय कर लिया करों कि पहले कौन बोलेगा। उन्होंने सदन में बीच-बीच में टोकाटोकी करने वाले सदस्यों को भी जमकर फटकार लगाई। अध्यक्ष ने कहा, सदन का मखौल बनाकर रख दिया है। एक साथ दस-दस सदस्य मुद्दा उठाने लगते हैं। एक बोलता है उसके पीछे चार सदस्य खड़े होकर बालने लगते हैं। अध्यक्ष ने सदन में सबसे ज्यादा बीच में बालने वाले मंत्रियों जीतू पटवारी, प्रद्युम्र सिंह तोमर का नाम लेकर कहा कि आप भी तय कर लें कि अगर कोई मंत्री जवाब दे रहा है तो आपको बीच में खड़े होकर नहीं बोलना चाहिए।
हालांकि कई मामलों में सत्तापक्ष भी असमंजस में नजर आया। मंत्री विपक्ष के सवालों का ठीक से जवाब नहीं दे पाए। अगर विधानसभा का सत्र लंबा चलता तो निश्चित रूप से इसमें जोरदार घमासान देखने को मिलता। लेकिन भाजपा ने रोजाना एक मुद्दा उठाकर पैदल मार्च करते हुए विधानसभा पहुंचकर यह संकेत दे दिया है कि वह सरकार को घेरने का कोई भी मौका नहीं चूकेगी। वहीं सत्तापक्ष भी सरकार को करारा जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
हर बार की अपेक्षा इस बार विधानसभा का नजारा बदला-बदला सा रहा। पक्ष-विपक्ष दोनों के सुरताल बिगड़े नजर आए। सत्र के दौरान एक ओर जहां सरकार के मंत्री विपक्ष के सवालों के जवाब के लिए अपडेट नजर नहीं आते तो दूसरी तरफ विपक्ष में भी एक बात पर बोलने और श्रेय लेने की होड़ अग्रिम पंक्ति में बैठे हुए नेताओं के बीच नजर आई। ऐसे में विधानसभा की कार्रवाई से प्रदेश की तरक्की और आम आदमी की मुश्किलों के लिए जो हल निकलना चाहिए उसकी जगह वाद-विवाद, टोका-टाकी और एक ही बात की बार-बार पुनरावृत्ति ज्यादा नजर आई। सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच रोजाना होने वाली गर्माहट सत्र के बाद मैदान में भी दिखेगी। इसके लिए दोनों पार्टिर्यों के रणनीतिकार तैयारी में जुट गए हैं। कांग्रेस अपने एक साल के शासनकाल की उपलब्धियों को जनता के सामने रखेगी और पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के 15 साल के शासनकाल से उसकी तुलना करेगी। वहीं भाजपा कांग्रेस सरकार की विफलता को प्रचारित करेगी।
दरअसल, आने वाले समय में प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव होने वाले हैं। इसलिए विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद दोनों पार्टियों का पूरा फोकस इन चुनावों पर है। खासकर निकाय चुनावों पर। इसलिए दोनों पार्टियां सत्र के बाद रणनीति बनाकर नए साल में मैदानी मोर्चा संभालेंगी। इसके लिए अंदरूनी तैयारी शुरू हो गई है। सूत्रों ने मिली जानकारी के अनुसार, नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में अपनी-अपनी पार्टी की साख बनाए रखने के लिए भाजपा और कांग्रेस में रणनीति बन रही है। नए साल में कांग्रेस नेता जनता के बीच जाकर अपनी सरकार के एक साल के काम का ब्यौरा देंगे। इसके लिए मंत्रियों, विधायकों के साथ ही संगठन के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी जाएगी। वहीं भाजपा नेता कांग्रेस सरकार के एक साल के शासनकाल की खामियां गिनाएंगे।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, सरकार के एक साल के शासनकाल की उपलब्धियों को जनता के बीच प्रचारित करने के लिए नए साल में सबको सक्रिय किया जाएगा। प्रदेश सरकार के मंत्रियों की उनके प्रभार वाले जिलों में प्रचार की जिम्मेदारी रहेगी। मंत्री प्रभार वाले जिले में जनता से रूबरू होंगे। वहीं विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रहना पड़ेगा। कांग्रेस की रणनीति यह है कि वह जनता के बीच जाकर अपने एक साल के शासनकाल के तुलना भाजपा के 15 साल के शासनकाल से करेगी। पार्टी के रणनीतिकार इसके लिए भाजपा शासन में हुए घोटालों की सूची तैयार कर रहे हैं। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई घोषणाएं और उनकी स्थिति के आंकड़ें भी तैयार करवाए जा रहें हैं। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार शिवराज ने अपने 13 साल के शासनकाल के दौरान 12 हजार लोक-लुभावन घोषणाएं कीं। इनमें 11 हजार 800 योजनाएं हवा-हवाई साबित हुईं। यह हकीकत जनता को बताई जाएगी।
भाजपा नए साल में जनता के बीच प्रदेश सरकार की विफलता गिनाने के साथ ही केंद्र सरकार की उपलब्धियों का बखान भी करेगी। विपक्ष जिन मुद्दों के जरिए सरकार की घेराबंदी करने की कोशिश में है, उनमें किसान कर्जमाफी, आपदा से हुई बर्बादी में मुआवजा की जानकारी, यूरिया की किल्लत, कानून व्यवस्था, दुष्कर्म के बढ़ते मामले, ओला से हुए नुकसान जैसे मुद्दे शामिल हैं। सरकार को घेरने के लिए भाजपा इस बार पार्टी के दिग्गज नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी देने के मूड में है। वहीं प्रदेश कांग्रेस केंद्र सरकार द्वारा मप्र से किए जा रहे भेदभाव को जनता के सामने पेश करेगी। भाजपा ने निकाय चुनाव के साथ ही पंचायत चुनावों की तैयारियां भी शुरू कर दी है। भाजपा इन चुनावों में बेरोजगारी, कांग्रेस सरकार के एक साल के अब तक अधूरे कामों, बिगड़ती कानून व्यवस्था आदि को अपने एजेंडा में शामिल कर रही है। एक सबसे बड़ा मुददा कर्जमाफी का होगा और पार्टी इसे घर-घर जाकर बताएगी। इसके साथ केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों को भी प्रचार में लाएगी। भाजपा में इसके लिए मंथन चल रहा है। पार्टी ने सभी नेताओं को निर्देश दिए है कि पार्टी के सम्पूर्ण घटक पूरे जोर-शोर से एकजुट होकर निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारी में जुट जाए और केन्द्र की मोदी सरकार की ओर से किसानों, महिलाओं, युवाओं एवं गरीब लोगों के उत्थान को लेकर जो योजनाएं चलाई जा रही है, उन्हें आम ग्रामीण मतदाताओं तक पहुंचाए। भाजपा के कार्यकर्ता को मोदी सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में स्वच्छता को मिशन के रूप में बनाकर प्रत्येक घर में शौचालय, प्रत्येक ग्रामीण परिवार को मकान, महिलाओं को उज्ज्वला गैस योजना द्वारा धुएं से मुक्ति, प्रत्येक घर को उज्ज्वला योजना की बिजली, युवाओं को स्टार्टअप योजना आदि बताना है। भाजपा राज्य की कमलनाथ सरकार की ओर से किसानों को कर्जामाफी, युवाओं को रोजगार, बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता, महिलाओं की सुरक्षा को भी मुददा बनाकर मैदान में उतरेगी।
मप्र के विधायक अब हर साल अपनी संपत्ति सार्वजनिक करेंगे
मध्य प्रदेश में अब विधायक हर साल अपनी संपत्ति का विवरण सार्वजनिक करेंगे। संसदीय कार्य मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने विधानसभा में इस आशय का संकल्प प्रस्तुत किया, जिसे चर्चा के बाद सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। संकल्प के अनुसार अब विधानसभा सदस्य हर साल अपनी संपत्ति का विवरण सार्वजनिक करेंगे। ये विवरण उन्हें हर साल 31 मार्च की स्थिति में, 30 जून तक विधानसभा के प्रमुख सचिव के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। विवरण विधानसभा की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा। मप्र विधानसभा के प्रत्येक सदस्य को खुद और अपने आश्रित प्रत्येक सदस्य की संपत्ति का विवरण, चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा प्रमाणित सालाना विवरण के रूप में अथवा चुनावी उम्मीदवारी के लिए भरे जाने वाले निर्वाचन आयोग के प्रपत्र में प्रस्तुत करना होगा।
23 हजार करोड़ से अधिक का अनुपूरक बजट
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन वित्तमंत्री तरुण भनोत 2019-20 का पहला 23 हजार करोड़ रुपए से अधिक का अनुपूरक बजट पेश किया। यह अभी तक का सबसे बड़ा अनुपूरक बजट है। प्राकृतिक आपदाओं और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में व्यय करने के लिए 13,385 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। ऊर्जा क्षेत्र के लिए 2,130 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसमें बिजली कंपनियों का भार कम करने के लिए करीब 1,500 करोड़ रुपए का प्रावधान तथा इंदिरा गृह ज्योति योजना के लिए 630 करोड़ रुपए का प्रावधान इस बजट में किया गया है। इसके अतिरिक्त अध्यापक से शिक्षक बने लोगों के लिए 1,400 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री कन्या अभिभावक योजना के मद में 427 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार ने स्मार्ट सिटी योजना के लिए 225 करोड़ रुपए का प्रावधान अनुपूरक बजट में किया है। इसके अतिरिक्त सरकार ने उच्च शिक्षा के लिए 226 करोड़ रुपए और स्कूली शिक्षा के लिए 1,600 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
- अरूण दीक्षित