02-Jan-2020 08:34 AM
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इंदौर नगर निगम जल्द एक और बड़ी उपलब्धि अर्जित करने जा रहा है। वह देश का ऐसा पहला निगम होगा, जिसके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मसाला बॉण्ड जारी होंगे। लगभग 500 करोड़ रुपए के ये बॉण्ड लंदन या सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से जारी किए जाएंगे। इसके लिए क्रेडिट रेटिंग की प्रक्रिया संपन्न हो गई और राज्य शासन के वित्त विभाग ने भी मंजूरी दे दी है। अब भारतीय रिजर्व बैंक से हरी झंडी का इंतजार है। उसके तुरंत बाद इंटरनेशनल रैंकिंग के साथ बॉण्ड जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। संभवत: नए साल में ये बॉण्ड जारी हो सकेंगे। बॉण्ड से अर्जित राशि से नगर निगम यशवंत सागर और जलूद में फ्लोटिंग, यानी तैरने वाले सोलर एनर्जी प्लांट लगाएगा। इससे भविष्य में निगम को बिजली के बिलों में करोड़ों रुपए की अच्छी-खासी बचत होगी।
स्वच्छता के मामले में इंदौर नगर निगम ने पूरे देश में मिसाल कायम की है और तीन बार अव्वल आने के बाद चौथी बार भी दौड़ में फिलहाल तो अन्य शहरों से आगे है। कचरा निपटान के जितने नए प्रयोग इंदौर निगम ने किए हैं, उतने देश के किसी भी अन्य नगरीय निकाय ने नहीं किए। कचरे और प्लास्टिक से डीजल, सीएनजी, खाद से लेकर बिजली बनाने के सफल प्रयोग किए गए। अब इसी कड़ी में सोलर एनर्जी के मामले में भी निगम एक बड़ा प्रोजेक्ट अमल में लाने जा रहा है। निगमायुक्त आशीष सिंह के मुताबिक लगभग 100 मेगावाट के सोलर एनर्जी प्लांट लगाए जाएंगे। अभी तक सोलर एनर्जी प्लांट जमीनों पर लगते हैं, मगर निगम के पास चूंकि 400-500 एकड़ खुली जमीन उपलब्ध नहीं है, लिहाजा तालाब और नदी पर तैरने वाले, यानी फ्लोटिंग सोलर एनर्जी प्लांट लगाने का प्रोजेक्ट बनाया गया है। यशवंत सागर के अलावा जलूद में ये दो फ्लोटिंग सोलर एनर्जी प्लांट 50-50 मेगावाट की क्षमता वाले लगाए जाएंगे। फ्लोटिंग सोलर एनर्जी प्लांट की थोड़ी लागत ज्यादा आती है, मगर उससे ऊर्जा भी अधिक प्राप्त होती है। 500 करोड़ के मसाला बॉण्ड इस प्रोजेक्ट के लिए ही लाए जा रहे हैं। ये प्लांट निजी कंपनियां ही लगाएंगी, जिसके ग्लोबल टेंडर बुलाए जाएंगे। अभी नगर निगम को सबसे अधिक खर्चा बिजली के बिलों पर करना पड़ता है। इसमें नर्मदा परियोजना का बिजली बिल सबसे अधिक आता है। लगभग 150 करोड़ रुपए से अधिक सालाना बिजली बिल जलूद से इंदौर पानी लाने और बंटवाने का आता है और इसके एवज में नगर निगम को जलकर के रूप में 50 करोड़ रुपए की राशि भी प्राप्त नहीं होती। यानी सालाना 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान सीधा बिजली बिल के कारण होता है। इसके अलावा नगर निगम स्ट्रीट लाइट से लेकर बगीचों और अन्य तमाम अपनी खुद की बिल्डिंगों पर भी बिजली का बिल भरता है। 100 मेगावाट के इन फ्लोटिंग सोलर प्लांटों की स्थापना के बाद निगम के बिजली बिल में काफी कमी आएगी। एक अनुमान है कि बिजली बिल से ही निगम को सालाना 100 करोड़ रुपए तक की बचत होगी, यानी कुछ ही वर्ष में इन सोलर एनर्जी प्लांटों की लागत निकल जाएगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी होने वाले 500 करोड़ के इन मसाला बॉण्ड के लिए क्रेडिट रेटिंग की प्रक्रिया के बाद शासन ने भी मंजूरी दे दी। अब सिर्फ रिजर्व बैंक की हरी झंडी का ही निगम को इंतजार है। तत्पश्चात इंटरनेशनल रैंकिंग के बाद नए साल, यानी 2020 में ये बॉण्ड जारी किए जा सकेंगे। सिंगापुर की तुलना में लंदन स्टॉक एक्सचेंज के जरिए बॉण्ड को जारी करने की संभावना अधिक है।
भारतीय मुद्रा में जारी होता है मसाला बॉण्ड
इंदौर नगर निगम द्वारा जो 500 करोड़ का बॉण्ड लाया जा रहा है वह दरअसल मसाला बॉण्ड है, जिसे विश्व बैंक समूह के सदस्य इंटरनेशनल फाइनेंस कार्पोरेशन ने भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए जारी किया और लंदन स्टॉक एक्सचेंज में इसे सूचीबद्ध किया गया। पहले भारतीय कंपनियां विदेशी निवेश के लिए डॉलर में बॉण्ड जारी करती थीं, लेकिन रुपए और डॉलर के मूल्य में लगातार उतार-चढ़ाव होता है, जिसके चलते भारतीय कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ता था। मगर मसाला बॉण्ड के मामले में ऐसा नहीं है। ये भारतीय रुपयों में जारी किए जाते हैं और इनकी परिपक्वता अवधि पूरी होने पर भुगतान डॉलर में नहीं, बल्कि भारतीय मुद्रा, यानी रुपए में करना होता है, जिससे बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा में भी बचत होती है और डॉलर तथा रुपए के बीच विनिमय दर की उतार-चढ़ाव के घाटे का भी भार इस बॉण्ड को जारी करने से लेकर लेने वाले के ऊपर नहीं पड़ता। अभी तक इंडिया बुल्स हाउसिंग ने मसाला बॉण्ड के जरिए 1330 करोड़, भारतीय रेलवे वित्त निगम को भी बड़ी राशि की मंजूरी दी गई है। एचडीएफसी बैंक, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और एनटीपीसी ने भी मसाला बॉण्ड के माध्यम से उधार पर राशि ली है।
- विशाल गर्ग