60 हजार करोड़ का भार
18-Nov-2019 07:04 AM 1234813
गंभीर आर्थिक सकंट से जूझ रही प्रदेश सरकार को अपना एक चुनावी वादा भारी पड़ रहा है। दरअसल कांग्रेस ने चुनावी वादे में गरीबों और किसानों को मुफ्त बिजली देने का वादा किया था। प्रदेश में इस वादे पर अमल शुरू हो गया है। सरकार का अनुमान है कि इस वादे से सरकार को पांच साल में करीब 60 हजार करोड़ का नुकसान होगा। बिजली देने की शुरुआत इंदिरा गृह ज्योति योजना और इंदिरा किसान ज्योति योजना से की जा चुकी है। इस नुकसान की भरपाई उन उपभोक्ताओं से ही होगी, जो सरकारी दर पर बिजली का उपयोग कर रहे हैं। गौरतलब है कि कर्ज माफी के बाद वचन पत्र का यह दूसरा ऐसा वचन है जिसको पूरा करने में सरकार को बजट की बड़ी राशि खर्च करनी पड़ रही है। इन दोनों ही योजनाओं की वजह से राज्य सरकार को हर साल बिजली कंपनियों को 12 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी देनी पड़ेगी। प्रदेश के 97 लाख गरीब परिवारों को एक रुपए प्रति यूनिट की दर से सस्ती बिजली देने के लिए सरकार बिजली कंपनियों को हर साल 3400 करोड़ रुपए चुकाएगी। वहीं किसानों का बिजली बिल आधा करने के लिए बिजली कंपनियों को हर साल 8760 करोड़ रुपए देने होंगे। इस तरह सरकार एक साल में 12160 करोड़ और पांच साल में 60800 करोड़ रुपए सब्सिडी के रूप में बिजली कंपनियों को देगी। प्रदेश में कुल 1 करोड़ 16 लाख 97 हजार 880 घरेलू उपभोक्ता हैं। सरकार ने सस्ती बिजली के तहत पहले महीने में 97 लाख 40 हजार 699 उपभोक्ताओं यानी 83 फीसदी लोगों को फायदा पहुंचाया। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के तहत 87 फीसदी, मध्यक्षेत्र के 80 फीसदी और पश्चिम क्षेत्र के 82 फीसदी उपभोक्ताओं को इस योजना का लाभ मिल रहा है। इस योजना के तहत 150 यूनिट की बिजली खपत पर उपभोक्ताओं से 100 यूनिट का एक रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिल लिया जा रहा है। कांग्रेस ने किसानों को बिजली बिल आधा करने का वचन दिया था। इसके चलते 1400 रुपए प्रति हॉर्स पॉवर कृषि पंपों का सालाना बिल आधा कर 700 रुपए प्रति हॉर्स पॉवर प्रति वर्ष कर दिया है। इसके तहत सरकार 2623 करोड़ रुपए की सब्सिडी दे चुकी है और बाकी 6138 देने का प्रावधान किया है। इस सब्सिडी का फायदा 20 लाख किसानों तक पहुंचेगा। वर्तमान में तीनों विद्युत वितरण कंपनियां 47400 करोड़ रुपए के घाटे में चल रही हैं। बिजली कंपनियों पर ये वो कर्ज है जो पिछली शिवराज सरकार ने संबल योजना के तहत गरीबों को सिंचाई के लिए किसानों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराई थी। सरकार ने ये सब्सिडी बिजली कंपनियों को नहीं दी जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई। वर्तमान सरकार का दावा है कि वो हर साल न सिर्फ 12 हजार करोड़ की सब्सिडी इन बिजली कंपनियों में जमा करेगी साथ ही इन कंपनियों को इस घाटे से भी उबारा जाएगा। पहले साल के लिए सरकार ने बजट में इस राशि का प्रावधान किया है। वहीं अब मध्यप्रदेश में बिजली वितरण कंपनियों की आर्थिक सेहत बिगड़ती जा रही है। लगातार बढ़ रहे खर्च और वसूली कमजोर होने की वजह से घाटा भी साल दर साल बढ़ रहा है। कंपनी इस घाटे की वसूली करना चाह रही है जिसके लिए मप्र विद्युत नियामक आयोग में अर्जियां लगाई हुई हैं। अब आयोग को तय करना है कितनी राशि वसूलने की मंजूरी दी जाए। ये पक्का है कि यदि वसूली हुई तो असर प्रदेश के उपभोक्ताओं पर सीधा होगा। मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी की तरफ से वित्तीय वर्ष 2014-15, 2015-16 और 2016-17 के बाद चौथी याचिका भी दाखिल की गई है। दरअसल, कंपनी प्रस्तावित आकलन के बाद अंतिम आय-व्यय का ब्योरा तैयार करती है। इसमें नुकसान होने पर कंपनी आगामी सालों में इसकी भरपाई के लिए आयोग के पास याचिका दायर करती है। आयोग सुनवाई के दौरान कंपनी के व्यय और विभिन्न परिस्थितियों को देखते हुए फैसला करता है। कई बार मांगी गई राशि का कुछ अंश ही घाटे में मान्य करते हुए इसे वसूलने की इजाजत दी जाती है। बिजली कंपनी अपने घाटे की भरपाई उपभोक्ता से करती है। इसके लिए बिजली के दाम में बढ़ोतरी एक विकल्प है। चाहे तो सरकार भी वित्तीय घाटे की भरपाई अपने स्तर पर कर सकती है। कंपनी को घाटे की भरपाई नहीं हुई तो उसे वितरण का काम करना मुश्किल होगा। ऐसे में आयोग को भी घाटे के संदर्भ में फैसला करना होगा। संबल से डीलिंक हुई बिजली की योजना संबल योजना के तहत पिछली सरकार में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया है। संपन्न घरों के लोगों ने गरीब बनकर संबल योजना में सस्ती बिजली का उपयोग किया है। सरकार ने इस योजना में परिवर्तन कर इसका नाम नया सवेरा कर दिया है। साथ ही इस योजना से बिजली की रियायत को अलग कर दिया है। यानी इस योजना के तहत अलग से कम दरों पर बिजली नहीं मिलेगी। सरकार का वसूली अभियान सरकार ने राजस्व बढ़ाने और अपनी योजनाओं को बेहतर रूप से संचालिक करने के लिए प्रदेश में विशेष वसूली अभियान शुरू किया है। इसके तहत मोबाइल वैन लोगों के घर तक जा रही हैं और उनसे बिल जमा करवा रही हैं। उपभोक्ताओं को पुराने बिलों पर छूट भी दी जा रही है। सरकार ने लोगों से अपील की है कि यदि वे बिल जमा करेंगे तो आने वाले समय में बिजली की दरों में कटौती की जाएगी। - नवीन रघुवंशी
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