खींचतान में अटके काम
18-Nov-2019 07:04 AM 1234804
मध्यप्रदेश के वन विभाग में इन दिनों मंत्री और अपर मुख्य सचिव के बीच चल रही खींचतान के कारण विभाग के काम अटक गए हैं। जो काम मंत्री कर रहे हैं उसे अपर मुख्य सचिव पसंद नहीं कर रहे हैं और जो अपर मुख्य सचिव कर रहे हैं उसे मंत्री पसंद नहीं कर रहे हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि विभाग में कई महत्वपूर्ण कार्य अटक गए हैं। वन मंत्री उमंग सिंघार और विभाग के अपर मुख्य सचिव एपी श्रीवास्तव के बीच चल रही खींचतान से विभाग में भर्राशाही का दौर चल रहा है। जिसके मन में जो आता है वह वहीं कर रहा है। न अपर मुख्य सचिव मंत्री की सुन रहे हैं और न ही मंत्री अपर मुख्य सचिव की। इसका परिणाम यह हो रहा है कि विभाग का कामकाज बेपटरी हो गया है। हालांकि इसकी शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंच गई है। संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही मुख्यमंत्री इस मामले में हस्तक्षेप कर सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के शासनकाल के दौरान नर्मदा किनारे रोपे गए 6 करोड़ पौधे की जांच को लेकर मंत्री और अपर मुख्य सचिव में विवाद शुरू हुआ था। जो अब चरम पर पहुंच गया है। दोनों में शीत युद्ध चल रहा है इस कारण 5 दर्जन से अधिक फाइलें अटक गई हैं। इनमें कई महत्वपूर्ण फाइलें शामिल हैं। खासतौर पर सीएम मॉनिट से जुड़ी के प्लसÓ वाली फाइलें भी हैं, जिन्हें रोक दिया गया है। वनमंत्री और एसीएस के बीच की अनबन के हालात ऐसे हैं कि अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (एपीसीसीएफ) जसवीर सिंह चौहान की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की फाइल पर वनमंत्री ने मंजूरी नहीं दिए जाने के कारण लिखे। यह भी कहा कि अधिकारियों की कमी है, इसलिए अनुमति नहीं दी जा सकती। वहीं अपर मुख्य सचिव ने फाइल देखी तो फिर चौहान के पक्ष में टीप लिख डाली। हालांकि इस पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। इधर, बताया जा रहा है कि अपर मुख्य सचिव की ओर से उच्च स्तर पर मौजूदा हालातों की जानकारी दे दी गई है। साथ ही ऐसी परिस्थितियों में काम करने की मुश्किलों का भी जिक्र किया गया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ दो-तीन दिन में इस खींचतान पर दोनों से बात कर सकते हैं। मंत्री और अपर मुख्य सचिव के बीच मची खींचतान के पीछे बड़ी वजह यह है कि एक माह पहले वन मंत्री ने बिजनेस रूल का हवाला देते हुए बिना पूछे एसीएस दफ्तर के अधिकारियों का कार्य विभाजन कर दिया था। यही नहीं वन मंत्री ने एसीएस के अधिकार उनके ही अधीनस्थ सचिव को सौंप दिया। एसीएस को सिर्फ मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी दी गई है। इस काम-काज के बंटवारे से नाखुश एसीएस श्रीवास्तव लंबी छुट्टी पर चले गए। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मंत्री को मंत्रालय में पदस्थ अफसरों के कार्य विभाजन करने के अधिकार ही नहीं है। यह अधिकार सिर्फ विभाग के मुखिया को है। ऐसे में मंत्री की नोटशीट का कोई औचित्य नहीं है। इस कार्य विभाजन को विभाग में मची खींचतान से जोड़ा जा रहा है। हाल ही में उन्होंने मुख्य सचिव एसआर मोहंती को इस स्थिति से अवगत कराया तो मामला मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पहुंच गया। चूंकि अभी तक इस खींचतान का पटाक्षेप नहीं हुआ, लिहाजा एसीएस ऑफिस में फाइलें ठंडे बस्ते में चली गई हैं। यही नहीं इस खींचतान का परिणाम यह हो रहा है कि अपर मुख्य सचिव अपनी सारी नोट शीटें मुख्यमंत्री को भेज रहे हैं। सवा दो साल पहले प्रदेश में कराए गए पौधारोपण की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपने का फैसला अब मुख्यमंत्री कमलनाथ लेंगे। वन विभाग ने यह नस्ती भी मुख्यमंत्री सचिवालय को भेज दी है। वनमंत्री उमंग सिंघार ने 10 अक्टूबर को ईओडब्ल्यू को जांच सौंपने की अनुशंसा करते हुए फाइल वन सचिवालय को भेजी थी। विभाग के अपर मुख्य सचिव एपी श्रीवास्तव ने इसे आगे बढ़ा दिया है। मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व वनमंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार और तत्कालीन वन अफसरों के नाम हैं। इस तरह विभाग के एसीएस एपी श्रीवास्तव ने वन सचिवालय में पदस्थ अफसरों के बीच कार्य विभाजन की नस्ती भी सीएम सचिवालय को भेज दी है। इसमें वनमंत्री सिंघार ने अपने स्तर से अफसरों के बीच कार्य विभाजन कर दिया है। कार्य विभाजन में एसीएस से तमाम जिम्मेदारियां छीनकर उनके अधिनस्थ अफसरों को सौंप दी हैं। इस कारण एसीएस श्रीवास्तव वनमंत्री से नाराज चल रहे हैं। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री इस विवाद का पटाक्षेप कैसे करते हैं। शीत युद्ध के चलते कई अहम फैसले रुक गए मंत्री और अपर मुख्य सचिव के बीच चल रहे शीत युद्ध के कारण विभाग के कई फैसले अधर में लटक गए हैं। इसमें प्रमुख है मुकुंदपुर पार्क से जुड़े मामले में आईएएस अधिकारी पीके सिंह की विभागीय जांच पर फैसला लेने की फाइल एक माह से अटकी है। वन मुख्यालय की ओर से एपीसीसीएफ समन्वय द्वारा मुख्यमंत्री मॉनिट की के प्लसÓ वाली फाइलें अपर मुख्य सचिव के ऑफिस को भेजी जा रही हैं, लेकिन वहां वे रिसीव नहीं की गईं। आईएफएस अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की फाइलें भी अपर मुख्य सचिव के ऑफिस में ठंडे बस्ते में पड़ी हैं। मंत्री की ओर से आईएफएस अधिकारी जेएस चौहान की फाइल भी विभाग को भेजी गई थी, चूंकि इसमें प्रतिनियुक्ति का विषय है लिहाजा इस फाइल को आगे बढ़ा दिया गया है। - विशाल गर्ग
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