04-Nov-2019 09:41 AM
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मध्यप्रदेश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने प्रदेश में बेरोजगारी दूर करने के नाम पर कई कार्ययोजनाएं संचालित की, लेकिन वे बेअसर रहीं। इससे प्रदेश के युवाओं का सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ा और उन्होंने 15 साल बाद कांग्रेस को सत्ता में वापसी कराई। सत्ता में वापसी के बाद कांग्रेस ने युवाओं पर खास फोकस रखा, जिसका परिणाम यह हुआ है कि प्रदेश में बेरोजगारी कम हुई है। कांग्रेस की सरकार बने 9 महीने हो गए हैं। मुंबई की एक सर्वे कंपनी सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी की एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में बीते 9 महीने में बेरोजगारी दर में कमी आई है। कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में 9 महीनों में रोजगार के नए विकल्प खोले हैं।
सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी मुंबई की एक बिजनेस इन्फॉर्मेशन कंपनी है। कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिसंबर 2018 में बेरोजगारी 7 प्रतिशत थी लेकिन सितंबर 2019 के अंत तक बेरोजगारी गिरकर 4.2 प्रतिशत हो गई है। वहीं, देश में अक्टूबर तक बेरोजगारी 8.1 प्रतिशत तक पहुंच गई है। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने कहा- कमलनाथ सरकार ने दी बेरोजगारी को मात। कमलनाथ सरकार अपने 10 माह के छोटे से कार्यकाल में बेरोजगारी दर को 40 प्रतिशत तक कम करने में कामयाब रही है। वर्ष 2018 में जो बेरोजगारी दर 7 प्रतिशत थी, वो अब 4.2 प्रतिशत ही रह गई है। ये कमलनाथ के कुशल नेतृत्व का कमाल है। वहीं, बीजेपी ने आंकड़ों पर सवाल उठाया और कहा कि अगर कोई सफलता है, तो यह केंद्र की योजनाओं के कारण है।
सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जनवरी 2019 से अगस्त 2019 तक ग्रामीण और शहरी रोजगार सृजन में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2019 में बेरोजगारी दर जनवरी में 4.76 प्रतिशत से बढ़कर 6.47 प्रतिशत हो गई, लेकिन अगस्त में घटकर 5.50 प्रतिशत हो गई।
इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए मध्यप्रदेश के श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कहा- यह मध्य प्रदेश सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। केंद्र सरकार को मध्यप्रदेश से सीखना चाहिए। हमने केवल स्व-उद्यम पर ही नहीं, बल्कि कौशल विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया है, जो अच्छे परिणाम दिखा रहा हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इंदौर में हाल ही में संपन्न मप्र के निवेशकों के शिखर सम्मेलन सहित सभी व्यावसायिक आयोजनों में रोजगार सृजन पर जोर दिया है। हम अधिकतम रोजगार सृजन के लिए युवाओं को स्वरोजगार और उद्योगपतियों के लिए प्रोत्साहित करना जारी रखेंगे।
मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा है कि कमलनाथ को इस उपलब्धि के लिए बधाई। उन्होंने कांग्रेस सरकार का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा- मुझे यकीन है कि मैग्नीफिसेंट एमपी के बाद मप्र में और अधिक नौकरियां होंगी। छिंदवाड़ा मॉडल काम करता नजर आ रहा है।
वहीं, मध्यप्रदेश भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा- देश में कोई भी एजेंसी ऐसी नहीं है जो बेरोजगारी का सही पता लगा सके। जिस सर्वे में बेरोजगारी कम होने की बात कही जा रही है, वो सर्वे मध्यप्रदेश के युवाओं की राय लेकर तैयार किया गया है। मध्यप्रदेश के युवा इस बात के गवाह हैं कि मध्यप्रदेश में बेरोजगारी कम नहीं हुई है। लोगों को रोजगार नहीं मिला है।
प्रदेश में बेरोजगारी का आलम क्या है, यह सरकारी आंकड़े खुद ही बता रहे हैं। वर्ष 2015 से अब तक प्रदेश के 73126 युवाओं को ही सरकारी नौकरियां मिल पाई हैं, जबकि प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या 25 लाख से ज्यादा हो चुकी है। इन पांच सालों में औसतन हर साल सिर्फ 15 हजार बेरोजगारों को ही नौकरियां मिली हैं। वहीं, सरकारी विभागों में खाली पदों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके बाद भी सरकार भर्ती नहीं करा पा रही है। इस साल तो भर्ती परीक्षाओं की स्थिति सबसे ज्यादा खराब रही है, क्योंकि एक भी नई भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन नहीं बुलाए गए। मप्र व्यावसायिक परीक्षा मंडल (पीईबी) के माध्यम से दो भर्ती परीक्षाएं जरूर हुई हैं, लेकिन के लिए भी आवेदन पिछले साल भरे गए थे। पिछली सरकार ने विधानसभा चुनाव के चक्कर में आनन-फानन में स्कूली शिक्षकों के लिए भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन बुला लिए थे। इसके बाद से यह भर्ती प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है।
युवा स्वाभिमान योजना भी बेअसर
बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकार द्वारा युवा स्वाभिमान योजना लाई गई, लेकिन इसका भी असर नहीं हुआ। सरकार ने दावा किया था कि पीईबी को बंद कर नए सिरे से शुरू किया जाएगा। इसे लेकर भी फिलहाल कुछ नहीं हुआ। इधर, प्रदेश के सरकारी विभागों में पद खाली होते जा रहे हैं। प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में खाली पदों के लिए पिछले साल हुई भर्ती परीक्षा डेढ़ साल बाद पूरी हो रही है।
- नवीन रघुवंशी