असुरक्षित मध्यप्रदेश!
04-Nov-2019 09:40 AM 1234833
मध्यप्रदेश में सत्ता का रंग और ढंग बदल गया है, लेकिन महिलाओं पर होने वाले अपराध कम नहीं हो रहे हैं। हाल ही में एनसीआरबी द्वारा जारी रिपोर्ट में एक बार फिर यह दाग मप्र पर लग गया है कि यहां महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। वहीं पुलिस मुख्यालय की रिपोर्ट भी कुछ यही कहानी कह रही है। मध्यप्रदेश में महिलाओं के अपराध में वृद्धि हुई है। महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में पूरे देश में यूपी पहले स्थान पर है। यह जानकारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट के आधार पर मिली है। एनसीआरबी ने 2017 में देश में हुए अपराधों की को लेकर रिपोर्ट जारी की है। बता दें कि 2017 में मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार थी। 2015 से 2017 की तुलना में मध्यप्रदेश में अपराध बढ़ें हैं। बता दें कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करती है। 2017 में मध्यप्रदेश में 5599 महिलाओं के साथ ज्यादती हुई है। महिलाओं से अपराध का आंकड़ा तब और शर्मनाक हो जाता है जब 3082 मासूम और नाबालिग बच्चियों के साथ शर्मनाक घटनाएं घटी हो। एक साल में 3 हजार से ज्यादा मासूसों के साथ घटनाओं के मामले में मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। मध्यप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 8.3 फीसदी की वृद्धि हुई है। जबकि ओवर ऑल क्राइम की बात करें तो मध्यप्रदेश में 8.8 फीसदी क्राइम में वृद्धि हुई है। मध्य प्रदेश में स्थिति खराब हुई है। मध्य प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज मामलों की संख्या साल 2015 में 24 हजार 231, 2016 में 26 हजार 604 थी। वहीं 2017 में 29 हजार 788 मामले दर्ज किए गए। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,59,849 मामले दर्ज किए गए हैं। महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश (56,011) में दर्ज किए गए हैं। उसके बाद महाराष्ट्र में 31,979 मामले दर्ज किए गए। जबकि पश्चिम बंगाल में 30,992 और मध्य प्रदेश में 29,778, राजस्थान में 25,993 और असम में 23,082 महिलाओं पर हुए अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में 3,59,849 मामले दर्ज किए गए। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगातार तीसरे साल वृद्धि हुई है। 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,29,243 मामले दर्ज किए गए थे और 2016 में 3,38,954 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं पुलिस मुख्यालय की ताजा रिपोर्ट भी यही कहानी कह रही है। इस साल के छह महीनों में ही चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। इंदौर सबसे ज्यादा असुरक्षित है और नंबर दो पर प्रदेश की राजधानी भोपाल है। किसी की एकलौती लड़की रहस्मयढंग से लापता हो गई, तो कइयों को सालों से लापता अपनी लाडो की तलाश है। पुलिस मुख्यालय की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक एमपी के शहरी क्षेत्र लड़कियों के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। एक औसत के अनुसार हर साल हर शहर में 300 परिवार ऐसी घटनाओं के शिकार होते हैं। सीआईडी ने 2012 से 2019 (जून माह तक) तक हर जिले से गायब हुए नाबालिग बच्चों के आंकड़ों का विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार की है। 2019 में जनवरी से जून तक 386 नाबालिग लड़कियां गायब हुई हैं। सामाजिक दृष्टिकोण बदलने की जरूरत सीआईडी के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा नाबालिग लड़कियां शहरी इलाकों से गायब हो रही हैं। इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर सहित रीवा, सागर, सतना और उज्जैन जैसे शहरों से भी हर साल नाबालिग लड़कियों के गायब होने की घटनाएं बढ़ रही हैं। पुलिस भी मानती है कि समाज का माहौल और दृष्टिकोण बदलना होगा। सीआईडी कर रही है मॉनिटरिंग मध्य प्रदेश में लापता बच्चों की तलाश के लिए थाना स्तर पर अलग टीम काम करती है। इन सभी टीमों की मॉनिटरिंग सीआईडी करती है। ताजा रिपोर्ट के बाद सीआईडी ने प्रदेश के सभी जिलों के सीआईडी को लापता बच्चों के मामलों में गंभीरता बरतने और उनका पता लगाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सीआईडी के अधिकारियों का कहना है हर महीने आंकड़ों का अध्ययन किया जाता है। साथ ही समय-समय पर गंभीर मामलों की जांच भी जाती है। 7 साल में महानगरों के हालात इंदौर में 2012 में 517 लड़कियां लापता हो गईं। इनमें से 477 बाद में मिल गईं, बाकी का अब तक पता नहीं चला। 2013 में लापता 470 लड़कियों में से 403 मिलीं। 2018 आते-आते ये आंकड़ा 593 पर पहुंच गया। इनमें से 497 बाद में मिल गईं लेकिन करीब 100 लाडो लापता हैं। भोपाल में 2012 में 470 लड़कियां लापता हुई थीं। उनमें से 370 मिल गईं, बाकी का सुराग नहीं मिल पाया। 2013 में 403, 2014 में 275, 2015 में 439, 2016 में 343 और, 2018 में 386 लड़कियां गायब हो गईं। इनमें से 357 मिलीं। जबलपुर में 2012 में लापता 388 लड़कियों में से 382 मिलीं। 2013 में 368 में से 358, 2014 में लापता 144 लड़कियों में से 104 मिलीं। ठीक इसी तरह 2015 में 321 में से 287, 2016 में 325 में से 318, 2017 में 338 लड़कियों में से 312 और 2018 में 386 लापता लड़कियों में से 216 मिल गईं। ग्वालियर में 2012 में ग्वालियर में 204 लड़कियां गायब हुई थीं। उनमें से 131 मिल गईं। 2013 में 82 में से 81, 2014 में 165 में से 34 मिली, 2015 में 152 में से 143 मिली, 2016 163 में से 137, 2017 में 222 में से 200 और 2018 में 216 लड़कियों में से 201 मिलीं। - बृजेश साहू
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