04-Feb-2013 11:10 AM
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दिल्ली की एक अदालत ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला को भ्रष्टाचार के एक मामले में 10-10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। इस सजा ने हरियाणा में राजनीतिक तापक्रम बढ़ा दिया है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। वैसे इस घोटाले में दो आईएएस अधिकारी सहित 55 लोगों को सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी ठहराया है और अलग-अलग अवधि की सजा भी सुनाई है। राजनीतिज्ञों पर घोटालों का आरोप लगना कोई नई बात नहीं है लेकिन चौटाला जिस घोटाले में फंसे हैं उसके चलते यदि ऊपरी अदालत से उनको राहत नहीं मिलती है तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में वे और उनके पुत्र खड़े नहीं हो पाएंगे। पार्टी की संभावनाओं पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा। सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि इस घटना के बाद भी चौटाला शांत नहीं बैठे हैं। उनके समर्थकों का उत्पात जारी है। जब यह फैसला सुनाया जा रहा था उसी समय चौटाला समर्थकों ने अदालत परिसर में नारेबाजी की और तोडफ़ोड़ भी की। हिरासत में लेने के बाद चौटाला अस्वस्थ हो गए और 78 वर्षीय चौटाला को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिस वक्त चौटाला को सजा सुनाई जा रही थी वे अस्पताल में आराम फरमा रहे थे। चौटाला ने कहा है कि उन्हें राजनीतिक तौर पर बली का बकरा बनाया गया है और यह सब कांग्रेस के इशारे पर किया जा रहा है, लेकिन सीबीआई इन सारे आरोपों से बेखबर है। सीबीआई का कहना है कि चौटाला पिता-पुत्र के अतिरिक्त तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार, चौटाला के पूर्व विशेष ड्यूटी अधिकारी विद्याधर के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं दोनों आईएएस अधिकारी हैं। इस मामले में मुख्यमंत्री के तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार शेरसिंह बादशामी को भी 10-10 वर्ष की सजा हुई है। जिन 55 दोषियों को अदालत ने सजा सुनाई है उनमें सभी को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 418 (धोखाधड़ी), 467 (फर्जीवाड़ा), 471 (फर्जीदस्तावेजों का उपयोग) और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 13-1 (डी) और 13 (2) के तहत दोषी ठहराया गया है। पांच मुख्य आरोपियों को तो 10 वर्ष की सजा मिली ही हैं उनके अतिरिक्त एक महिला सहित 4 अन्य को भी 10 वर्ष की सजा सुनाई गई है। एक दोषी को 5 वर्ष की जबकि बाकी बजे 45 दोषियों को 4-4 साल के कारोवास की सजा दी गई है।

अदालत ने सभी 55 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए ओमप्रकाश चौटाला को मुख्य साजिशकर्ताÓ बताया था। अदालत ने इससे पहले संजीव कुमार के बयानों को भरोसेमंद माना था, जिन्होंने भंडाफोड़ किया था, लेकिन सीबीआई जांच में उन्हें घोटाले में शामिल बताया गया।
सीबीआई ने जांच पूरी करने के बाद दिल्ली की एक अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। इसमें कहा गया था कि यह साजिश 18 जिलों के जिलास्तर चयन समिति के सदस्यों और अध्यक्षों को बुलाकर हरियाणा भवन में रची गई। उन लोगों को चंडीगढ़ में एक अतिथि गृह में भी बुलाया गया और साजिश को आगे बढ़ाया गया। अदालत ने यह भी कहा था कि तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक आरपी चंदेर (सीबीआई के गवाह) ने अप्रैल 2000 में सफल अभ्यर्थियों के परिणाम घोषित करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन अगले दिन उनका तबादला कर दिया गया।
इसके बाद आईएएस अधिकारी रजनी शेखरी सिब्बल (सीबीआई गवाह) को चंदेर की जगह तैनात किया गया और उन पर बादशामी और विद्याधर ने अजय चौटाला की उपस्थिति में सफल अभ्यर्थियों की सूची बदलने के लिए दबाव डाला। शुरुआती 62 आरोपियों में से छह की मुकदमे के दौरान मौत हो गई और एक को अदालत ने आरोप तय किए जाते समय आरोपमुक्त कर दिया था। शीर्ष अदालत ने 25 नवंबर 2003 को संजीव कुमार के आग्रह पर सीबीआई को मामले की जांच का आदेश दिया था। न्यायाधीश ने उल्लेख किया कि किस तरह आरोपियों, जिला चयन समितियों के अध्यक्षों और सदस्यों ने फर्जी सूची तैयार की और दस्तखत किए जिसके आधार पर परिणाम घोषित किए गए और इसके बाद सफल उम्मीदवारों को नियुक्ति दी गई। अदालत ने बचाव पक्ष के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि मंत्रिमंडल के फैसले के लिए सामूहिक रूप से मंत्रिपरिषद जिम्मेदार थी। इसने कहा था कि यद्यपि फैसला मंत्रिपरिषद ने लिया था, लेकिन यह याद रखा जाना चाहिए कि ऐसा ओमप्रकाश चौटाला की अनुमति से हुआ था, जो उस समय मुख्यमंत्री थे। घोटाले में तत्कालीन संसद सदस्य अजय चौटाला की भूमिका के बारे में अदालत ने कहा था कि साल 2000 में जिस समय फर्जी सूची तैयार की गई, उस समय वह लगातार संजीव कुमार के संपर्क में थे। अदालत ने हालांकि, बचाव पक्ष के वकील अमित कुमार की इस बात से सहमति जताई कि दबाव डालकर, पेंशन के लाभों से वंचित करने, उनके या उनकी पत्नियों, बच्चों और रिश्तेदारों का दूरदराज तबादला करने की धमकी देकरÓ सूची पर उनके मुवक्किलों के हस्ताक्षर लिए गए, जो जिला चयन समिति के सदस्य थे। इसने यह भी स्वीकार किया था कि मामले का भंडाफोड़ संजीव कुमार ने किया था और यदि उन्होंने उच्चतम न्यायालय में संपर्क नहीं किया होता तथा असली सूचियां वहां पेश नहीं की होतीं तो घोटाला कभी प्रकाश में नहीं आ पाता। ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अभय चौटाला ने इस पूरे मामले के पीछे कांग्रेस का हाथ बताया है। अभय ने कहा कि कांग्रेस और सीबीआई ने मिलकर हमारे खिलाफ षडय़ंत्र रचा है। न केवल हमारे खिलाफ कांग्रेस ने कई क्षेत्रीय पार्टियों के खिलाफ षडय़ंत्र किया है। इंडियन नेशनल लोक दल के प्रवक्ता ने उपरी अदालत में अपील की बात कही है।
-श्यामसिंह सिकरवार