16-Sep-2013 06:12 AM
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बिहार में बम विस्फोट के आरोपी भटकल की गिरफ्तारी पर राजनीतिक उठक-बैठक शुरू हो गई। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील मोदी ने आरोप लगाया था कि बिहार सरकार के इशारे पर

भटकल को बिहार में रिमांड पर नहीं लिया गया। मोदी का कहना था कि 6 राज्यों ने भटकल को रिमांड पर लेने की मांग की है लेकिन उनमें बिहार शामिल नहीं है। भटकल पर बोधगया विस्फोट में भी शामिल होने के आरोप हैं और बिहार पुलिस अभी तक इस विस्फोट की कडिय़ों को जोडऩे में नाकाम रही है। यदि भटकल से पूछताछ की जाती तो कुछ ठोस नतीजे निकल सकते थे। किन्तु लगता है बिहार पुलिस केन्द्र से प्राप्त सूचना पर ही निर्भर रहना चाहती है। हालांकि भटकल को पकडऩे में बिहार पुलिस ने बहुत कुशलता और तत्परता का परिचय दिया लेकिन इसके बाद भी विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। उधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने इस मामले में पहली बार टिप्पणी करते हुए कहा है कि बिहार पुलिस अपने कर्तव्य का निर्वाह करती है श्रेय नहीं लेती है। नीतिश का कहना है कि भटकल को पकडऩे में बिहार पुलिस ने प्रोफशनल तरीके से काम किया। ज्ञात रहे है कि आतंकवादी यासीन भटकल और उसके साथी असदुल्लाह अख्तर को 20 अगस्त को बिहार-नेपाल की सीमा से गिरफ्तार किया गया था। भटकल पर देश में कई संगीन वारदातें करने का आरोप है। उधर हाल ही में नीतिश कुमार ने भारतीय जनता पार्टीं के साथ अपना 17 वर्ष पुराना गठबंधन समाप्त कर लिया है। दोनों के अलगाव के बाद से ही भाजपा नीतिश पर तुष्टिकरण का आरोप लगाती रही है। नीतिश भाजपा की आलोचना करते हुए उसे साम्प्रदायिक पार्टीं करार देते हैं। वैसे नीतिश ने भाजपा से रिश्ता मुस्लिम वोट बैंक के चलते ही तोड़ा है क्योंकि भाजपा मोदी को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी प्रोजेक्ट करने के करीब है। इसी कारण नीतिश ने मुस्लिमों का मसीहा बनने के लिए कई बार कुछ ऐसे बयान भी दिए जो राजनीतिक से प्रेरित हैं। इशरत जहां के प्रकरण में भी नीतिश ने उसे बिहार की बेटी बताते हुए न्याय की मांग की थी। हाल ही में वंजारा प्रकरण में भी जनतादल युनाईटेड के सांसदों ने राज्य सभा में जम कर हंगामा किया। बाद में यह कहा गया कि वंजारा द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की जानी चाहिए। यह लोग नरेन्द्र मोदी के इस्तीफे की मांग भी कर रहे हैं। जिस तरह दोनों दलों के बीच वाकयुद्ध चल रहा है उसे देखते हुए यह कहा जाने लगा है कि भविष्य में भाजपा और जनतादल यूनाईटेड के निकट आने की सम्भावना नहीं है। लेकिन इसका नुकसान दोनों दलों को लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा। उधर यह भी खबर है कि लोकसभा चुनाव के समय नीतिश और कांग्रेस साथ आ सकते हैं।