प्रदेश के अगले प्रशासनिक मुखिया इंद्रनील दाणी!
31-Aug-2013 09:47 AM 1234787

मध्यप्रदेश के नए प्रशासनिक मुखिया की तलाश बेसब्री से की जा रही है। चुनाव नजदीक हैं और शीघ्र ही अधिसूचना जारी होने के बाद आचार संहिता लगा दी जाएगी। ऐसे हालात में प्रदेश सरकार के हाथ में कुछ नहीं रहेगा। वर्तमान प्रशासनिक मुखिया आर परशुराम का कार्यकाल 30 सितंबर 2013 को समाप्त हो रहा है। किंतु इससे पहले अधिसूचना जारी होने की संभावना है और सरकार का विचार है कि छह माह एक्सटेंशन पाए आर परशुराम को 15-20 दिन पहले रिटायरमेंट देकर नए प्रशासनिक मुखिया की नियुक्ति कर ली जाए। प्रशासनिक मुखिया की दौड़ में सबसे आगे सरल, सौम्य और ईमानदार, 1980 बैच के आईएएस अफसर इंद्रनील एस. दाणी का नाम आता है। वे निर्विवाद और ईमानदार अधिकारी समझे जाते हैं। जून 1955 में जन्में दाणी ने इलेक्ट्रॉनिक एवं टेलीकम्यूनिकेशन से बीई की है उन्हें लंबा प्रशासनिक अनुभव है। वर्ष 1981 में वे पहली बार बस्तर के असिस्टेंट कलेक्टर बने इसके बाद कई विभागों में महत्वपूर्ण पद संभालते हुए वर्ष 2005 में उन्हें पीएस ग्रेड प्राप्त हुआ। तब से लेकर अब तक वे कई विभागों में पिं्रसिपल सेक्रेट्री रहे हैं। दाणी को अगले प्रशासनिक मुखिया पद के लिए सर्वोपयुक्त समझा जा रहा है।
वैसे तो मुख्य सचिव किसे बनाया जाए यह परोक्ष रूप से मुख्यमंत्री का प्रशासनिक विवेकाधिकार है और इसमें पर्दे के भीतर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भी भूमिका होना तय है। लेकिन प्रशासनिक लॉबी भी अपनी पसंद का सीएस बनाने के लिए प्रयास करती रहती है। आर परशुराम के समय उन्हें सीएस बनाने के लिए इसी लॉबी ने जोर लगाया था और उन लोगों का मानना है कि इस बार भी वे अपनी पसंद का सीएस बनवा सकेंगे। सीएस बनने के लिए अगले पसंदीदा अधिकारी एंटोनी जे.सी. डि सा हैं। 1980 बैच के अधिकारी डिसा को प्रशासनिक गलियारों में बहुत पसंद किया जाता है जो लॉबी आमतौर पर सीएस बनाने के समय सक्रिय रहती है। महाराष्ट्र के मूल निवासी 1980 बैच के आईएएस अधिकारी एंटोनी डिसा ने अपने कॅरियर की शुरुआत 1981 में होशंगाबाद के असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में की। उसके पश्चात अविभाजित मध्यप्रदेश के छत्तीसगढ़ में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। वर्ष 2005 में प्रिंसिपल सेके्रटरी के पद पर उनका प्रमोशन हुआ। प्रशासनिक क्षमता और कार्यशैली के लिए डिसा को बहुत पसंद किया जाता है। परंतु संघ शायद डिसा को मुख्य सचिव बनने देने में रोड़ा पैदा कर सकता है। मंत्रालय के कई अधिकारी उन्हें सीएस बनता देखना चाहते हैं। सीएस का फैसला 10 से 15 सितंबर के बीच करना ही होगा। वैसे स्नेहलता कुमार, विमल जुल्का, आर रामानुजम, सुदीप सिंह जैसे अधिकारी भी सीएस की दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं पर जुल्का दिल्ली में पदस्थ हैं वे प्रदेश वापस आना नहीं चाहते। बाकी अधिकारियों को ज्यादा तवज्जो मिलने की संभावना नहीं है। इसी के चलते 1980 बैच के किसी आईएएस को ही सीएस बनाया जाएगा। इस बीच खबर यह भी है कि आर. परशुराम को रिटायरमेंट के बाद उन्हें राज्य निर्वाचन आयोग या फिर योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाने की सरगर्मियां तेज हैं।
डिप्टी कलेक्टरों का भविष्य अधर में
आईएएस अवार्ड होने की राह देख रहे मध्यप्रदेश के 28 डिप्टी कलेक्टरों का भविष्य एक बार फिर अधर में लटक गया है। आचार संहिता लागू होने में 15-20 दिन का समय ही बाकी है और अभी तक राज्य सरकार ने इन 28 अधिकारियों की पदोन्नति के प्रति कोई ठोस कदम नहीं उठाए राज्य प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि सरकार चाहती ही नहीं है कि इस वर्ष हमें आईएएस आवार्ड मिले अगर चाहती तो यह प्रक्रिया और पहले से चालू कर हमें आईएस आवार्ड दिलवा सकती थी इसको लेकर राज्य प्रशासनिक के अधिकारियों में भारी रोष व्याप्त है।  उनका कहना है कि उत्तरप्रदेश की तरह केंद्र राज्य सरकार द्वारा किसी तरीके के प्रयास नहीं किए गए। यदि अधिसूचना जारी होने से पहले डीपीसी नहीं हुई तो इन अधिकारियों की पदोन्नति चुनाव बाद नई सरकार के समय ही तय होगी। परंतु दिसंबर माह के बाद नई गणना के आधार पर प्रस्ताव तैयार होकर डीपीसी की कवायद दोबारा से फिर चालू होगी। उधर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा तहसीलदारों के स्थानांतरण की सूची बदले जाने से राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा अपने प्रमुख सचिव और अन्य अफसरों से भारी नाराज हैं उनकी नाराजगी इस बात पर है कि जब प्रशासनिक स्वीकृति मुख्यमंत्री द्वारा कर दी गई थी तो सूची कैसे बदली। वहीं प्रमुख सचिव राजस्व का कहना है कि सूची नहीं बदली थी टंकण की गलती के कारण नामों में अदला-बदली हो गई थी उसे अब ठीक कर संशोधित सूची जारी कर दी गई है। परंतु जानकारों का यह कहना है कि सूची के अनुमोदित सूची के साथ जानबूझकर छेड़छाड़ की गई थी।

भोपाल आईजी और पांच जिलों के एसपी बदले जा सकते हैं
1991 बैच के आईपीएस अधिकारी आईजी भोपाल रेंज उपेंद्र जैन का स्थानांतरण किया जा सकता है। जैन भोपाल संभाग के अधीन राजगढ़ जिले के रहने वाले हैं। नियमानुसार किसी भी अधिकारी की नियुक्ति उसके गृह जिले में नहीं की जा सकती। सरकार ने इस संदर्भ में चुनाव आयोग को पत्र लिखकर आयोग से राय मांगी है। वहीं अनूपपुर, पन्ना, सिवनी, बड़वानी, रायसेन जिलों में अभी राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी कमान संभाले हुए हैं। कायदा यह है कि जिले की काडर पोस्ट होती है इसमें राज्य पुलिस सेवा की बजाय भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी ही कमान संभाल सकते हैं। इसको देखते हुए राज्य सरकार जल्द ही इन जिलों में आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति कर सकती है। अभी हाल ही में सात पुलिस अधिकारियों को आईपीएस अवार्ड हुआ है। परंतु चुनाव के मद्देनजर उनको जिलों में न भेजकर आरआर अधिकारियों की पदस्थापना की जा सकती है।
कुमार राजेंद्र

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