31-Aug-2013 09:40 AM
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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जनता का आशीर्वाद लेने निकले हैं। जनआशीर्वाद यात्रा को लगभग एक माह हो चुका है और इस दौरान प्रदेश के शहरों, कस्बों, गांवों में आम जनता के बीच

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पूरे उत्साह और मुस्कुराहटों के साथ पहुंचे हैं।
उत्साह है प्रदेश को विकास के चरम पर पहुंचाने का। इस उत्साह में सहभागी बने हैं शिवराज सरकार द्वारा पिछले 7 वर्षों में करवाए गए विकास कार्य और उन विकास कार्यों के प्रति संकल्पित, सजग, समर्पित भारतीय जनता पार्टी सरकार के मंत्री तथा विभिन्न पदाधिकारी। आमतौर पर 10 वर्षीय शासन के बाद सत्तासीन दल को सत्ता विरोधी रुझान की चिंता सताती है। क्योंकि सभी की आकांक्षाओं को पूरा करना किसी भी सरकार के बस की बात नहीं है। लेकिन शिवराज ने जनता से जुड़कर उनकी तकलीफों को समझकर और उन्हें यथासंभव राहत देकर सत्ता विरोधी रुझान का प्रभाव तकरीबन समाप्त कर दिया है। आज जनसैलाब उनके समर्थन में उमड़ पड़ा है। इससे सिद्ध होता है कि जनता में वर्तमान सरकार को लेकर मायूसी नहीं है। बल्कि वह भविष्य के प्रति आशान्वित होने के साथ-साथ भविष्य की रोशनी की तरफ भी देखने लगी है। मध्यप्रदेश में परिवर्तन स्पष्ट परिलक्षित होता है। जो राज्य कभी बीमारू राज्य की श्रेणी में गिना जाता था वह राज्य आज विकासशील राज्यों की श्रेणी में आकर खड़ा हो गया है। इसका श्रेय निश्चित रूप से सुव्यवस्थित तरीके से किए गए कार्यों को ही देना पड़ेगा। जिसमें शिवराज की प्रशासनिक क्षमता का अद्भुत रूप देखने को मिला।
जिन विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने सत्ता की बागडोर संभाली थी आज उस तूफान से प्रदेश की नैया को कुशलता पूर्वक निकालने में वे सफल रहे हैं। यही कारण है कि जनआशीर्वाद यात्रा में जब वे कहते हैं कि गरीबी रेखा से नीचे वालों को मुफ्त में बिजली दी जाएगी तो यह अतिश्योक्ति भरा आश्वासन नहीं लगता है। जो प्रदेश किसानों को शून्य प्रतिशत दर से ऋण दे रहा हो वह इतना क्षमतावान तो है ही कि गरीबों के घरों को मुफ्त में रोशन कर सके। इसीलिए शिवराज ने गरीबी रेखा से नीचे वाले उपभोक्ताओं के बिजली के बिलों को माफ कर दिया है। जनआशीर्वाद यात्रा में की गई यह घोषणा लोकलुभावन नहीं थी। बल्कि उस सहृदय मुख्यमंत्री के दिल से निकली थी, जिसने गरीबों को पाई-पाई के लिए तरसते देखा है और किसानों को बिजली के बिल के बोझ तले दम तोड़ते देखा है। शिवराज सिंह ने मध्यप्रदेश में 24 घंटे बिजली की पूर्ति करके कृषि और उद्योगों में संतुलन स्थापित किया है। इस संतुलन ने ग्रामीण विकास को न केवल गति दी है बल्कि अब प्रदेश के कुटीर और लघु उद्योग फलने-फूलने लगे हैं। किंतु लक्ष्य इतना ही नहीं है। लक्ष्य यह है कि जिस तरह मध्यप्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य के रूप में सारे देश में अग्रणी है उसी तरह वह औद्योगिक विकास में भी नए सौपान स्थापित करे। इसीलिए शिवराज सिंह कहते हैं कि उद्योगों का विकास उनका प्रमुख लक्ष्य है, लेकिन केवल बड़े उद्योगों का नहीं, बल्कि उनके साथ-साथ हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले कुटीर और लघु उद्योगों को भी शिवराज अपने पैरों पर खड़े होते देखना चाहते हैं और उनकी इस संकल्प शक्ति को जनता ने पहचाना है। भारी बारिश में, दूर-दराज के क्षेत्रों से, दुर्गम रास्तों से निकलकर जनता उन्हें आशीर्वाद देने के लिए यूं ही नहीं आ रही। जनता को मालूम है कि जिस व्यक्ति को वह अपना समर्थन दे रही है उसने जनता के दर्द को समझने में कोई भूल नहीं की बल्कि पूरी संवेदना के साथ उसे महसूस किया और उसी संवेदना के चलते बाढ़, पाला जैसी आपदा के समय नष्ट होने वाली फसलों की क्षतिपूर्ति मुक्त हस्त से की। ग्रामोन्मुखी योजनाएं बनाई ताकि ग्रामीण जनता यह समझे कि विकास की सही दिशा क्या है और वह भी विकास में सहभागी बने।
सिंचाई के रकबे में अभूतपूर्व वृद्धि, खाद्यों, उर्वरकों, कृषि यंत्रों पर सब्सिडी और किसानों को कृषि अध्ययन के लिए उन्नत कृषि वाले देश भेजने की कल्पना आज से पहले कभी नहीं की गई। इसीलिए किसानों ने शिवराज का अभिनंदन किया और उन बुजुर्गों ने जिन्हें शिवराज सरकार ने सरकारी खर्च पर तीर्थ यात्रा कराई थी, शिवराज को आशीर्वाद दिया। यह जनआशीर्वाद यात्रा होने के साथ-साथ जनता से रूबरू होने की यात्रा भी है। आखिर लोकतंत्र है किस लिए, वह जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए शासन ही तो है। शिवराज स्वयं को राजा नहीं बल्कि सेवक मानते हैं। उनकी यह सेवा भावना उन्हें अन्य नेताओं से अलग करती है। इसीलिए उनका संकल्प है कि कोई भी गरीब व्यक्ति आवासहीन नहीं रहे, भूखा नहीं सोए, हर हाथ को काम मिले। जब ऐसा हो जाएगा तो निश्चित रूप से सुशासन स्थापित हो सकेगा और ऐसा हो रहा है, गरीबों को मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के तहत एक रुपए किलो गेहूं, दो रुपए किलो चावल वितरित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री आवास योजना में गरीबों के लिए 70 हजार रुपए मकान बनाने के लिए अनुदान के रूप में दिए जाते हैं। गरीबों को 2 लाख रुपए तक का आवास कर्ज देने का प्रावधान है। अस्पतालों में मुफ्त जांच की व्यवस्था के साथ स्वेच्छानुदान की व्यवस्था भी की गई है। बच्चे पढ़-लिखकर अच्छे नागरिक बन सकें इसलिए शिक्षा के स्तर को सुधारने का बेहतर प्रयास किया जा रहा है। अध्यापक वर्ग को समान कार्य के लिए समान वेतन दिए जाने की घोषणा के पीछे यही मकसद है कि वे शिक्षा के स्तर को सुधारें और स्वयं भी आर्थिक रूप से सुरक्षित रहें। ग्रामीण रोजगार योजना में युवकों को कर्ज दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री रोजगार गारंटी योजना में सरकार गारंटी देगी और युवक 25 लाख रुपए तक का कर्ज बैंक से ले सकेंगे। इससे प्रदेश में औद्योगिक क्रांति आना तय है और ऐसा हुआ तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। शिवराज इस संकल्प को जनआशीर्वाद यात्रा में दोहरा रहे हैं। उन्होंने बताया है कि मध्यप्रदेश के गांवों में 90 हजार किलोमीटर से अधिक लंबी सड़कों का निर्माण किया गया है इससे कनेक्टिविटी बढ़ी है और गांवों में खुशहाली आ रही है।
रोजगार के लिए सरकार ने कई और उपाय भी किए। पहले सरकारी नौकरियों पर बैन लगा हुआ था भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही यह पाबंदी हटा दी और पांच लाख लोगों को रोजगार मिला, जिनमें वे 28 हजार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी भी शामिल हैं जिन्हें कभी निकाल दिया गया था। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अगली बार मुख्यमंत्री बनने पर वे तीन प्रतिशत की दर से कृषि ऋण उपलब्ध करवाएंगे। महिला शक्ति पर इस सरकार ने विशेष फोकस किया। लाड़ली लक्ष्मी से लेकर कई योजनाएं बेटियों के लिए बनाई गईं ताकि जनसंख्या में उनका अनुपात उचित बना रहे और महिलाओं की क्षमताओं का सही उपयोग हो सके। यह आम आदमी से जुड़ाव ही है जिसके चलते 22 जुलाई से प्रारंभ शिवराज सिंह की यात्रा अब लगातार सफलता की और बढ़ते हुए अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर रही है। इस प्रदेश व्यापी परिक्रमा ने जनता और शिवराज को आपस में संवाद करने का अवसर तो दिया ही है जनता को भी लगा है कि है एक मुख्यमंत्री जो उनके दरवाजे पहुंचकर उनके दुख-दर्द को समझ रहा है और जिसने अपने शासन के दौरान जनता को हर संभव तरीके से राहत पहुंचाने की व्यवस्था की। 50 दिन की यह यात्रा 724 जन सभाओं के माध्यम से जनता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक सुअवसर होने के साथ-साथ जनता के लिए अपने मुख्यमंत्री से संवाद करने का अवसर भी है। सरल, सहज शिवराज ने अपने कार्यों और अपनी विनम्र शैली से जनता के बीच अलग पहचान बनाई है और इस बात की तस्दीक विकास के वे आंकड़े कर रहे हैं जो बताते हैं कि किस तरह प्रदेश का भाग्य बदलने में शिवराज ने दिन-रात एक कर दिए और अब वे इस संकल्प को आगे ले जाना चाहते हैं।
जगमग प्रदेश
अटल ज्योति अभियान कागजी नहीं है बल्कि प्रदेश में विद्युत सेवाओं में बढ़ोतरी के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। 2003 के बाद बिजली उत्पादन 25 सौ मेगावाट से बढ़कर 10 हजार 500 मेगावाट हो चुका है। पिछले साढ़़े नौ वर्षों में 95 हजार किलोमीटर सड़कों की लंबाई हो चुकी है। कभी 7 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी अब 25 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती है। कृषि क्षेत्र में 18.91 प्रतिशत की वृद्धि एक रिकार्ड है। प्रदेश के 52 हजार गांवों में 24 घंटे बिजली मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं है। सरकार द्वारा चलाई जा रही लाड़ली लक्ष्मी, कन्यादान योजना जैसी 150 योजनाओं ने विकास को गति दी है।
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