18-Sep-2019 06:47 AM
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बबुली गिरोह मध्यप्रदेश के विंध्य वाले इलाके के लोग इस नाम से परिचत होंगे। विंध्य से सटे यूपी के लोग भी इसके नाम सुन कांप जाते हैं। बबुली गिरोह का सरगना बबुली कोल है। गिरोह ने 8 सितम्बर को एमपी के सतना जिले से एक किसान का अपहरण कर सनसनी फैला दी। इस वारदात के बाद फिर एमपी और यूपी के कई जिलों में सैकड़ों किमी में फैले पाठा के जंगलों में बबुली कोल गिरोह का ठौर है। इस जंगल से सटे यूपी और एमपी के जिलों में बबुली का आतंक है। पाठा का जंगल वही इलाका है, जहां कभी डकैत ददुआ का आतंक था। उसके खात्मे के बाद पाठा के जंगलों में कई छोटे-छोटे डकैत पैदा हो गए। उसी वक्त बबुली गिरोह का भी जन्म हुआ। बबुली कोल पर दोनों राज्यों के करीब सात लाख रुपये से ज्यादा का इनाम है। पुलिस से इसका सामना तो कई बार हुआ लेकिन हमेशा बच निकला। कहा जाता है कि पाठा के करीब 104 गांवों में जब भी कोई बच्चा रोता है तो उसकी मां कहती है कि बेटा चुप हो जा नहीं तो बबुली कोल आ जाएगा। अब तो उसका खौफ चित्रकूट, बांदा, मानिकपुर, ललितपुर और सतना जिले में है।
बताया जाता है कि बबुली कोल चित्रकूट जिले के डोंडा सोसाइटी के गांव कोलान टिकरिया के मजदूर रामचरन के घर में 1979 में हुआ था। उसने गांव के ही प्राथमिक स्कूल से क्लास आठ तक की पढ़ाई की। फिर इंटर की पढ़ाई के लिए बांदा चला गया। लेकिन इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद आर्थिक स्थित ठीक न होने के चलते गांव आ गया और किसानी करने लगा। 2007 में पुलिस ने उसे ठोकिया की मदद के आरोप में गिरफ्तार कर लिया और तमंचा दिखाकर जेल भेज दिया। छह माह जेल के अंदर रहने के दौरान ठोकिया के साथी लाले पटेल से इसकी मुलाकात हो गई। जेल से छूटने के बाद बबुली ने लाले को छुड़ाने के लिए जाल बिछाया। जब पेशी नें लाले आया तो उसे वहां से बबुली कोल फरार करा ले गया और दोनों पाठा के जंगल में कूद गए।
बबुली कोल पर हत्या का पहला मामला 2012 में दर्ज हुआ था। जहां बबुली ने टिकरिया गांव के एक ही परिवार के 2 सदस्यों की हत्या कर दहशत फैला दी। जून 2012 में बबुली कोल ने डोंडा टिकरिया गांव के एक ही परिवार के 5 सदस्यों की पहले नाक काटी, पैर और हाथ पर गोली मारकर घायल कर दिया था। सभी के ऊपर पेट्रोल छिड़कर आग लगा दी थी। जब वह इस जघन्य कांड को अंजाम दे रहा था, तभी इसके गैंग का एक साथी कैमरे से वीडियो बना रहा था।
डकैत बबुली पर पचास से ज्यादा हत्या और अपहरण के मामले दर्ज हैं। एमपी और यूपी की एसटीएफ टीम हमेशा पाठा के जंगलों में बबुली की तलाश में खाक छानती रहती है। 22 मई 2016 को मारकुंडी पुलिस के साथ पाठा के जंगलों में इसकी मुठभेड़ भी हुई। लेकिन वह बच निकला। उसके बाद से उसका टेरर और बढ़ता गया। जानकार बताते हैं कि अब तो पुलिस भी उसके सामने जाने से कतराती है। यहीं नहीं 2018 में पाठा के जंगलों में बबुली की गिरफ्तारी के लिए यूपी और एमपी एसटीएफ की टीम ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाया था। एक बार तो इसके गिरोह से पुलिस का सामना भी हुआ। दोनों ओर से जमकर गोलीबारी भी हुई लेकिन वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा।
बबुली के बारे में बताया जाता है कि वह मोबाइल भी अपने पास नहीं रखता है। इतना ही नहीं महिलाओं के संपर्क में भी बबुली नहीं रहता है। साथ ही अपने साथियों को भी निर्देश देता है कि मोबाइल और महिला से दूरी बनाए रखो। मोबाइल न होने की वजह से पुलिस कभी उसकी लोकेशन पता नहीं कर पाई और न पुलिस के पास इसकी कोई लेटेस्ट तस्वीर है। सतना के किसान का अपहरण कर वह उन्हीं के मोबाइल से फिरौती मांग रहा है। हालांकि बीच में एक खबर आई थी कि उसकी एक गर्लफ्रेंड है। इस डकैत का टेरर इतना है कि इसके सामने पुलिस भी जाने से कतराती है। पुलिस से उसका कई बार सामना तो हुआ लेकिन हर बार बच निकला। एक बार तो मुठभेड़ में एक थाना प्रभारी समेत चार जवानों की गोली मारकर हत्या भी कर दी थी। उसके इलाके में पिछले सात साल से बबुली कोल का आतंक इतना बढ़ गया है कि पंद्रह दिन पहले ही यूपी के मानिकपुर से एक मावा व्यापारी का अपहरण कर फिरौती वसूली थी।
-बृजेश साहू