05-Sep-2019 09:07 AM
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भोपाल और इंदौर के लोग वर्ष 2022 के अंत में मेट्रो रेल सेवाओं का लुत्फ उठा सकेंगे। मध्य प्रदेश शहरी और आवास निगम तथा आवास मंत्री जयवर्धन सिंह ने केन्द्र सरकार, मध्य प्रदेश सरकार और मध्य प्रदेश मेट्रो रेल निगम के बीच एक सहमति पत्र (एमओयू) के बाद यह जानकारी दी। यह एमओयू केन्द्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी तथा राज्य के शहरी विकास तथा आवास मामलों के मंत्री जयवर्धन सिंह की उपस्थिति में हुआ। इस परियोजना को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पहले ही मंजूरी दे दी है।
भोपाल मेट्रो रेल परियोजना के दो गलियारे होंगे जिनकी कुल लम्बाई 27.87 किलोमीटर होगी। एक गलियारा करोंद सर्किल से एम्स तक होगा और इसकी लम्बाई 14.99 किलोमीटर होगी तथा दूसरा गलियारा भदभदा स्क्वायर से रत्नागिरि स्क्वायर तक होगा जिसकी लम्बाई 12.88 किलोमीटर होगी। इस गलियारे की कुल लागत सात हजार करोड़ रुपए होगी। इंदौर मेट्रो रेल परियोजना में कुल 31.55 किलोमीटर लंबी रिंग लाइन का निर्माण किया जाएगा जो बंगाली स्क्वायर से विजयनगर, भंवर शहला और हवाई अड्डे से पलासिया तक होगी तथा इसकी कुल लागत 7500 करोड़ रुपए होगी।
इन दोनों मेट्रो परियोजनाओं में केन्द्र तथा राज्य सरकार की हिस्सेदारी 20-20 प्रतिशत रहेगी तथा अन्य 60 प्रतिशत ऋण अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठनों से जुटाया जाएगा। इसमें राज्य सरकार की तरफ से गारंंटी दी जाएगी। मेट्रो प्रोजेक्ट को केन्द्रीय मंत्री-मंडल द्वारा पहले ही अनुमोदित किया जा चुका है। प्रोजेक्ट में आने वाली कठिनाइयों के जल्द निराकरण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी बनाई जाएगी। कमेटी में संबंधित विभागों के प्रमुख सचिव भी शामिल होंगे। प्रोजेक्ट में सुरक्षा का प्रमाण-पत्र मेट्रो रेलवे सेफ्टी के कमिश्नर द्वारा प्रदान किया जाएगा।
भारत सरकार और मप्र सरकार की आधा-आधा हिस्से वाली ज्वाइंट वेंचर कंपनी मप्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन द्वारा इंदौर और भोपाल मेट्रो रेल प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन किया जाएगा। कंपनी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) के रूप में कार्य करेगी। कंपनी का एक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स होगा। इसमें 10 डायरेक्टर होंगे। भारत सरकार बोर्ड के चेयरमेन सहित 5 डायरेक्टर नामित करेगी। प्रदेश सरकार मैनेजिंग डायरेक्टर सहित 5 डायरेक्टर नामित करेगी।
प्रोजेक्ट में प्रदेश सरकार भूमि अधिग्रहण, पुर्नस्थापन और पुनर्वास में आने वाला पूरा खर्च वहन करेगी। इन दोनों परियोजनाओं में केन्द्र व राज्य की हिस्सेदारी 20-20 प्रतिशत की रहेगी, शेष 60 प्रतिशत रकम अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा ऋण के रूप में ली जाएगी। इस ऋण की गारंटी मध्यप्रदेश सरकार देगी। इंदौर मेट्रो के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक और न्यू डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लिया जाएगा। वहीं भोपाल मेट्रो के लिए यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक से ऋण लिया जाएगा। तकनीकी निदेशक जितेन्द्र कुमार दुबे का कहना है, अंडर ग्राउंड रूट के लिए शहर की डिजाइन के साथ ही बिजली, पानी और ड्रेनेज की व्यवस्था देखी जा रही है। इनकी संरचना के आधार पर रूट की डिजाइन को अंतिम रूप दिया जाएगा। मध्य शहर में तीन स्टेशनों को अंडर ग्राउंड बनाना है। इनके लिए जमीन का निरीक्षण कर लिया गया है, हस्तातंरण की प्रक्रिया सरकार के पास लंबित है। हरी झंडी मिलते ही इस पर भी काम शुरू कर दिया जाएगा। कई स्थानों पर निजी जमीन भी लेना होगी। इसके लिए नए भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा। कंपनी ने अधिग्रहण के लिए अलग-अलग विकल्प तैयार किए हैं। इसमें जीविका के साधनों की भरपाई के लिए सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट भी करवाया जाएगा।
-रजनीकांत पारे