05-Sep-2019 08:52 AM
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भोपाल-इंदौर सिक्स लेन एक्सेस कंट्रोल ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे का खाका तैयार हो गया है। यह प्रोजेक्ट 5435 करोड़ रुपये की लागत से 2023 तक बनकर तैयार होगा। इंदौर-भोपाल के बीच प्रस्तावित सिक्स लेन एक्सेस कंट्रोल्ड ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे को अब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) नहीं, बल्कि राज्य सरकार खुद बनाएगी। इसकी चौड़ाई 70 मीटर होगी, जो कि प्रदेश में अब तक के सबसे चौड़े 50 मीटर के भोपाल-इंदौर रोड से भी 20 मीटर ज्यादा है। इन 70 मीटर में सिक्स लेन रोड, दोनों ओर सर्विस रोड और ग्रीन फील्ड भी शामिल रहेंगे। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसकी सहमति दे दी। कंसल्टेंसी फर्म फीडबैक इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड दिसंबर तक एक्सप्रेस-वे की जमीन अधिग्रहण का मॉडल और इसके समानांतर ही कमर्शियल कॉरिडोर व सैटेलाइट टाउनशिप की डीपीआर तैयार करेगी। इस पर 11 करोड़ रु. खर्च होंगे। मंडीदीप से लेकर भोपाल के पास बड़झिरी तक और बड़झिरी से करनावद (देवास) तक एक्सप्रेस-वे में 4 जिलों (भोपाल, रायसेन, सीहोर और देवास) की 7 तहसीलों (गोहरगंज, हुजूर, सीहोर, इछावर, आष्टा, जावर और बागली) के 124 गांव आएंगे। इन गांवों में 1253 हेक्टेयर जमीन सरकार अधिग्रहित करेगी। इसमें 5 से 6 एंट्री-एग्जिट प्वाइंट होंगे।
कमर्शियल कॉरीडोर और सैटेलाइट टाउनशिप में जाने और वहां से एक्सप्रेस में प्रवेश के लिए बनने वाले एग्जिट व एंट्री प्वाइंट पर बटरफ्लाई डिजाइन वाले फ्लाइओवर भोपाल, इछावर, आष्टा, करनावद में बनेंगे। भोपाल-इंदौर के बीच की दूरी को कम करने के लिए 116 किमी लंबा 6 लेन ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे बनाया जाएगा। इसका 92 किलोमीटर हिस्सा सीहोर जिले से गुजरेगा। ये 63 गांवों से गुजरेगा। यहां पर लोगों के रोजगार के लिए लघु उद्योग लगाए जाएंगे। एक्सप्रेस वे का निर्माण भारत माला परियोजना के फेस वन के तहत किया जा रहा है। सीहोर जिले से 92 किमी लंबे ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे से सीहोर जिले के 63 गांव जुड़ेंगे। इसके बनने से इंदौर जाने में जहां दूरी कम होगी और समय भी कम लगेगा तो सबसे बड़ा फायदा इसके दोनों तरफ की शासकीय जमीन को चिन्हित कर इस पर छोटे-छोटे उद्योग लगाए जाएंगे जिससे आसपास के गांवों के बरोजगारों को रोजगार से जोड़ा जाएगा। 28 अगस्त को पीएस पीडब्ल्यूडी मलय श्रीवास्तव, एमपीआरडीसी के एमडी सुदाम खाड़े, सीहोर कलेक्टर अजय गुप्ता, एसडीएम इछावर आदित्य जैन और ब्रजेश सक्सेना सहित कई अधिकारी सीहोर और इछावर क्षेत्र में पहुंचे और उन्होंने उन जगहों को देखा जहां से यह एक्सप्रेस-वे निकल रहा है। इस दौरान नक्शे पर सभी चीजों को समझा और कहां पर क्या-क्या हो सकता है, इसके बारे में विचार विमर्श किया गया।
इस एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ प्रशासन के अधिकारियों ने यह भी देखा कि कहां पर कितनी शासकीय जमीनें हैं। इन्हें चिन्हित करने का काम किया जाएगा। इसके बाद देखा जाएगा कि एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ कहां-कहां शासकीय जमीन हैं। इस पर उद्योग लगाने का प्लान भी है। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र के गांवों के बेरोजगारों को सीधे रोजगार से जोडऩा है। इस संबंध में कलेक्टर अजय गुप्ता ने बताया कि एक्सप्रेस-वे से जहां दूरी कम हो जाएगी तो वहीं जिले के कई गांव इससे जुड़ जाएंगे। एक्सप्रेस-वे के साथ-साथ ही इंडस्ट्रियल कॉरिडोर भी बनेगा। इसकी डीपीआर बेंगलुरू-दिल्ली की कंपनियां बना रही हैं। एक-दो दिन में एमपीआईडीसी एग्रीमेंट करेगा। एक साल में डीपीआर, अगले एक साल में जमीन लेने की कवायद होगी। चार चरणों में काम 2030 तक पूरा होगा। हर चरण में 2000 हेक्टेयर जमीन का विकास होगा। इस पर कुल लागत 16 हजार करोड़ रुपए तक आएगी। भोपाल और इंदौर के बीच नया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनेगा। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि यह एक्सप्रेस-वे विश्वस्तरीय बनाना है। यह ऐसा एक्सप्रेस-वे होगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने और रोजगार की उपलब्धता का एक बड़ा केंद्र बने। इसके दोनों ओर सैटेलाइट टाउनशिप विकसित होगी, जिसमें फूड प्रोसेसिंग, फार्मा, लॉजिस्टिक हब, एजुकेशनल एक्टिविटी, हॉस्पिटल के साथ इंटरटेनमेंट के साधन हों। ड्राइपोर्ट बनाया जाए।
- कुमार राजेंद्र