31-Aug-2013 09:38 AM
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मध्यप्रदेश में कांग्रेस के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया को किनारे करने की कवायद शुरू हो गई है। जैसे ही प्रदेश के दिग्गज नेताओं को यह आभास हुआ कि आलाकमान की दिव्य दृष्टि सिंधिया पर पड़ रही है उन्होंने गुटबाजी तेज कर दी है। आलम यह है कि कमलनाथ, दिग्विजय और भूरिया भीतर ही भीतर सिंधिया को अलग-थलग करने का माहौल तैयार कर रहे हैं। कमलनाथ तो दो-एक अवसरों पर साफ कह भी चुके हैं कि वे मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किए जाने पर इनकार नहीं करेंगे। लेकिन गुटबाजी का संतुलन फिलहाल आलाकमान को किसी भी घोषणा से रोक रहा है। इसी कारण जनता में भ्रम है। जो भाजपा के मौजूदा चेहरों से नाराज मतदाता हैं उन्हें यह नहीं मालूम कि वे कांग्रेस में किस चेहरे के पीछे चलें। बहरहाल गफलत के इस माहौल में ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहते हैं कि वे चुनाव अभियान समिति के प्रमुख बन जाएं। ऐसा होने से कम से कम एक माहौल बनेगा लेकिन देखा जाए तो चुनाव अभियान समिति में करने के लिए कुछ नहीं है। क्योंकि राहुल गांधी ने प्रदेश की 192 सीटों पर प्रत्याशी पहले ही तय कर दिए हैं। यह कदम सर्वेक्षणों में मिले फीडबैक के बाद उठाया गया है। बचे-खुचे स्थानों पर दिग्गजों के समर्थकों को ही टिकिट मिलेंगे इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन इसके बाद भी सिंधिया को चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाने से रोका जा रहा है। उनसे यह कहा जा रहा है कि आप अपने लोगों के नाम बताएं। सूत्र बताते हैं कि वे महेश जोशी या महेंद्र सिंह कालूखेड़ा का नाम आगे बढ़ाना चाहते हैं। इसी कारण खींचतान चल रही है। दिग्विजय सिंह ने अपने भाई लक्ष्मण सिंह के मार्फत प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर वर्चस्व बना रखा है। वहां की पल-पल की जानकारी उन्हें रहती है। इसी कारण गुटबाजी के चलते सचिवों की लिस्ट भी अटक गई है। उसमें कई अड़ंगे लगाए जा रहे हैं। सिंधिया पीसीसी में अपनी पकड़ बनाने चाहते हैं। लेकिन उन्हें कोई साथ नहीं दे रहा है। सिर्फ सत्यव्रत चतुर्वेदी उनके साथ हैं।
उधर शोभा ओझा को महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के कदम ने सभी को चकित किया है। हालांकि वे मध्यप्रदेश महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष रह चुकी हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि ऑस्कर फर्नांडीज से नजदीकी के कारण उन्हें फायदा मिला। शोभा ओझा का विवाह भले ही ब्राह्मण परिवार में हुआ हो लेकिन वे ईसाई हैं। पिछली बार महिला कांगे्रस की प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने 16 में से 8 सीटों पर कांग्रेस को चुनाव जिताया था। ओझा युवक कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुकी हैं और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी से भी उनकी निकटता है। इस बीच मध्यप्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष अर्चना जायसवाल हर जिले से एक महिला का नाम पैनल में शामिल करवाते हुए प्रत्येक जिले से एक महिला यानी कुल 51 महिलाओं के लिए टिकिट मांग रही हैं। इस हेतु कांग्रेस की स्क्रेीनिंग कमेटी के मधुसूदन मिस्त्री द्वारा उन्होंने कुछ महिलाओं का इंटरव्यू भी करवा दिया है। पहले भी यह खबर उड़ी थी कि 30 महिलाओं के टिकिट तय कर दिए गए हैं। हालांकि बाद में उसकी पुष्टि नहीं हो पाई।
युवक कांग्रेस चुनाव में पचौरी का दबदबा
मध्यप्रदेश में युवा कांगे्रस चुनाव में हिंसा भले ही देखने को मिली हो लेकिन इन चुनावों में पचौरी ने अपनी ताकत जरूर दिखा दी। युवा कांग्रेस संगठन चुनाव में अध्यक्ष बने कुणाल चौधरी को पचौरी का करीबी माना जाता है। समझा जाता है कि कमलनाथ, कांतिलाल भूरिया और दिग्विजय सिंह ने कुणाल चौधरी को खुला समर्थन दिया था जिससे उनके विरोध का सवाल ही पैदा नहीं होता। इस दौरान काफी लड़ाई-झगड़ा भी हुआ। भोपाल के रेडक्रास अस्पताल के सामने कथित रूप से गोली दागी गई जिसमें पंकज शर्मा और शुभम पटौदिया घायल हो गए। पुलिस को लाठी चार्ज भी करना पड़ा। एनएसयूआई उपाध्यक्ष हर्षित गुरु की टाटा सफारी से 8 तलवारें और बैसबॉल का एक बैट भी जब्त हुआ, इससे पता चलता है कि कांग्रेस में गुटबाजी के साथ-साथ अब खूनी गुंडागर्दी भी शुरू हो गई है। ग्वालियर, होशंगाबाद, सागर, छतरपुर में भी इसी तरह की वारदातें हुई। महेश जोशी के पुत्र दीपक जोशी Óपिंटू ने चुनाव जीतने के लिए धन-बल और बाहुबल दोनों का सहारा लिया था, लेकिन उनके पिता महेश जोशी के कर्म आड़े आ गए। समझा जाता है कि महेश जोशी ने कई अवसरों पर दिग्विजय, कमलनाथ और भूरिया जैसे दिग्गज नेताओं के लिए परेशानी खड़ी की है। इसलिए उन्हें समर्थन नहीं मिल सका। उधर दमोह विधानसभा चुनाव में थोड़े अंतर से पराजित हुए चंद्रभान ने यह सुझाव देकर बहस छेड़ दी है कि विधायक पद के दावेदारों से शपथ-पत्र नहीं बांड भरवाया जाए कि टिकिट न मिलने की स्थिति में वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे।
भोपाल से अजय धीर