फीकी पड़ी चमक
05-Sep-2019 08:47 AM 1234892
सत्ता में वाकई चमक होती है। जो भी पार्टी सत्ता में रहती है उसके नेताओं की चमक देखने वाली होती है। लेकिन सत्ता से हटते ही उनकी चमक न जाने कहां खो जाती है। तभी तो मप्र में डेढ़ दशक तक सत्ता में रही भाजपा की चमक सत्ता जाते ही फीकी पडऩे लगी है। इसका नजारा भाजपा के सदस्यता अभियान में तो देखने को मिला ही। साथ ही नेताओं के चेहरे पर भी नजर आ रहा है। आलम यह है की प्रदेश में भाजपा की फीकी होती चमक को चमकाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आंदोलन की राह पकड़ ली है। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और अन्य नेता प्रदेश सरकार पर आरोपों की बौछार कर यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे जनता के कितने हितैषी हैं। दरअसल मप्र भाजपा के नेताओं में चेहरा चमकाने की होड़ मची हुई है। इस होड़ में वे पार्टी को दरकिनार कर आगे बढ़ रहे हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि नेताओं में आपसी द्वंद छिड़ गया है। शिवराज सिंह चौहान अलग कार्यक्रम कर रहे हैं तो प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह अलग। इसका असर यह हुआ है कि पार्टी के नेता अलग-थलग पड़ गए हैं। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव केवल बयानों की सुर्खियों में रहते हैं। पार्टी के 108 विधायकों के साथ उनका तालमेल नहीं है। सबसे हैरानी की बात यह है कि सत्ता जाने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने आपको सर्वमान्य नेता समझ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद भाजपा के बड़े हेडलाइन मेकर में पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद भाजपा सदस्यता अभियान के प्रमुख शिवराज सिंह चौहान हैं। भाजपा की टॉप लाइन लीडरशिप में पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद से सबसे ज्यादा हेडलाइन मोदी सरकार के टॉप पांच मंत्रियों में शामिल निर्मला सीतारमण, नितिन गडकरी, एस जयशंकर, नरेन्द्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल नहीं बल्कि भाजपा सदस्यता अभियान के प्रमुख और मध्य प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान हैं। मध्य प्रदेश में चुनाव हारने के बाद से ही शिवराज के सितारे गर्दिश में दिख रहे थे और वे सिर्फ राज्य की राजनीति में ही सक्रिय रहना चाहते थे। लेकिन उन्हें मोदी और शाह ने केंद्र में सदस्यता समिति में शामिल किया और उन्होंने अपनी विपरीत परिस्थिति को भी अपने फायदे में तब्दील कर दिया है। यानी सदस्यता अभियान के साथ वे हर बैठक और सभा में आरोपों की झड़ी लगाकर सुर्खियों में छाए रहे। गोवा में भाजपा सदस्यता अभियान की समीक्षा करते हुए शिवराज ने कहा, कई बार मैं नेहरू के विचारों से हैरान हो जाता हूं।Ó जब आजादी के बाद कश्मीर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को भारतीय सेना ने खदेड़ दिया तो नेहरू कश्मीर मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ लेकर चले गए। नेहरू के एकतरफा युद्धविराम से आधा कश्मीर पाक के कब्जे में रह गया जो आज पाक के कब्जे वाला कश्मीर है।Ó गोवा में शिवराज ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने न सिर्फ जम्मू और कश्मीर में ऐतिहासिक गलती की, बल्कि पुर्तगालियों से गोवा की आजादी में देरी भी नेहरू की वजह से हुई। जयपुर में भाजपा सदस्यता अभियान की समीक्षा करने पहुंचे शिवराज ने एक बार फिर जवाहर लाल नेहरू को धारा 370 लागू करने के लिए कटघरे में खड़ा करते हुए कहा, कश्मीर के भारत में विलय के वक्त महाराजा हरि सिंह ने विशेष दर्जा जैसी कोई मांग नहीं की थी। जब शेख अब्दुल्ला ने विशेष दर्जे का प्रारूप बनाने को कहा तो आम्बेडकर ने भी साफ मना कर दिया था। एक देश में दो प्रधान, दो निशान, दो विधान सिर्फ देश के साथ अन्याय नहीं था बल्कि देश के साथ किया गया अपराध था।Ó चौहान के इस बयान पर खासी प्रतिक्रिया हुई। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि शिवराज नेहरू के चरणों की धूल के बराबर भी नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के वाइस प्रेसिडेंट विनय सहस्त्रबुद्धे कहते हैं, शिवराज जी को जो भी जिम्मेदारी जब मिली है उन्होंने मेहनत से पूरी की है। वो पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता है और उन्होंने सदस्यता अभियान को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। गोवा में प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शिवराज ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को रणछोड़ दास करार दिया। शिवराज ने कहा जब डूबते जहाज को कैप्टन की जरूरत थी तो राहुल गांधी रणछोड़ दास की तरह डूबते जहाज को छोड़कर भाग खड़े हुए। अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने पर मोदी- शाह के नेतृत्व की तारीफ करते हुए शिवराज ने कहा, वे देश को विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए कृष्ण और अर्जुन की तरह मेहनत में लगे हैं।Ó ओडि़शा में 10 अगस्त को भाजपा सदस्यता अभियान की समीक्षा करने पहुंचे शिवराज ने कहा, कभी एक नरेंद्र ने कहा था मैं भारत को विश्व गुरू बनते हुए देख रहा हूं। आज एक नरेंद्र उस सपने को पूरा कर रहा है।Ó ओडि़शा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पर व्यंग करते हुए शिवराज ने कहा, ओडि़शा के मुख्यमंत्री गजब हैं, अगर पत्थर को भी मुख्यमंत्री बना देते तो वह भी इतने दिन में उडिय़ा में बोलना सीख जाता। पटनायक की उडिय़ा न बोलने के लिए आलोचना होती रही है। भोपाल में शिवराज ने फिर नेहरू पर हमला किया। उन्होंने कहा, 1962 के युद्ध में चीन से हार के बाद संसद में जब बहस चल रही थी तो नेहरू ने कहा था उस हिस्से के ऊपर इतना हल्ला क्यों मचा है जहां घास का एक तिनका भी नहीं उग सकता। तब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महावीर त्यागी ने नेहरू को जवाब देते हुए कहा, अगर मेरे सिर पर बाल नहीं है तो क्या सिर काटकर फेंक दूं।Ó देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू पर जितने राजनीतिक हमले पीएम मोदी ने एक साल में नहीं किए उससे ज्यादा का कोटा लो प्रोफाइल रहे शिवराज सिंह चौहान ने एक महीने में पूरा कर दिया। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के ये सारे बयानों ने गोवा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड के अखबारों और टीवी न्यूज में पहले पन्ने पर जगह बनाई। भाजपा के एक पूर्व पदाधिकारी कहते हैं कि पार्टी के तथाकथित धुरंधर नेताओं के कारण पार्टी की साख इस कदर गिरी है कि आम जनता भाजपा से जुडऩा नहीं चाहती है। वह कहते हैं कि नेताओं में वर्चस्व की जंग इस कदर छिड़ी है कि पार्टी में भगदड़ मची हुई है। दो विधायकों के बागी होने के बाद घबराई भाजपा ने सदस्यता अभियान के बहाने डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास भी नाकाम हो रहा है। यही वजह है कि बीते रोज बुलाई गई बैठक में पार्टी के 16 विधायक नदारत रहे। पार्टी में हालात यह है कि प्रदेश संगठन द्वारा किए गए तमाम प्रयासों के बाद भी सभी विधायकों की बैठक में उपस्थिति तय नहीं करा सकी है। यही नहीं पार्टी के प्रमुख कार्यक्रम सदस्यता अभियान भी गति नहीं पकड़ पा रहा है। दरअसल, सत्ता जाने के बाद से भी भाजपा में कई ध्रुव बन गए हैं। शिवराज सिंह चौहान अपने आप को सर्वोच्च दिखाने में लगे हुए हैं। वहीं नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव सबसे आगे निकलने की होड़ में जुटे हुए हैं। उधर, नरोत्तम मिश्रा अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। अपने तीन प्रमुख नेताओं में मची वर्चस्व की जंग के कारण भाजपा के विधायक अलग-थलग पड़ गए हैं। वहीं कमलनाथ सरकार द्वारा शिवराज सरकार के समय हुए घोटालों की जांच बैठने के बाद से तो भाजपा के दिग्गज नेताओं की बोलती बंद हो गई है। अब भाजपा नेता खुद को बचाने के लिए सीबीआई, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने की तैयारी में है। कमलनाथ सरकार ने जिस तरह से व्यापमं, पौधरोपण, ई-टेंडरिंग, सहकारिता, बिजली, पीएससी, पीएचई, लोनिवि, जनसंपर्क से जुड़े घोटालों की जांच के लिए कमेटियां गठित की हैं, उससे विपक्ष के नेताओं में हडकंप मचा हुआ है। विधानसभा में मामला उठने के बाद सरकार ने अलग-अलग जांच कमेटियां गठित की है। खास बात यह है कि कमलनाथ सरकार द्वारा जांच शुरू कराने के बाद भाजपा के नेताओं के बीच गुटबाजी बढ़ती दिखाई दे रही है। पूर्व मंत्रियों से जुड़े विभागों की जांच बैठाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच केमिस्ट्री के आरोप लग रहे थे। लेकिन हाल ही में जीएडी मंत्री डॉ. गोविंद सिंह एवं जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने डंपर घोटाले की फाइल री-ओपन करने का बयान देकर शिवराज पर भी शिकंजा कस दिया है। द्य विशाल गर्ग
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