05-Sep-2019 08:43 AM
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मप्र को पर्यटन के नक्शे पर स्थापित करने के लिए कमलनाथ सरकार क्रांतिकारी कदम उठाने जा रही है। इसके लिए प्रदेश के कुछ विभाग सामंजस्य बनाकर नीति तैयार कर रहे हैं। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश का एक तिहाई हिस्सा वन संपदा के रूप में संरक्षित है। जहां पर्यटक वन्यजीवन को पास से जानने का अदभुत अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। कान्ह, पन्ना नेशनल पार्क, बांधवगढ़, शिवपुरी आदि ऐसे स्थान हैं जहां पर्यटक बाघ, जंगली भैंसे, हिरणों, बारहसिंघों को स्वछंद विचरते देख पाने का दुर्लभ अवसर प्राप्त कर सकते हैं। वन्यजीव क्षेत्रों में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए प्रदेश सरकार इस दिशा में काम कर रही है।
विगत दिनों प्रदेश के वन्यजीव क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नेशनल पार्क में संचालित रिसार्ट मालिकों सहित अन्य हितग्राहियों के साथ बैठक की। इस दौरान राज्यस्तरीय समिति गठित करने का फैसला लिया गया। यह समिति विभिन्न समस्याओं को समझकर यह बताएगी कि इन क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा कैसे दिया जा सकता है। नेशनल पार्क में पर्यटन को बढ़ाने और संबंधित विषयों पर ठोस रणनीति बनाने के लिए समिति मुख्यमंत्री को 15 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट देगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय उद्यानों की एडवांस बुकिंग करने के बाद निरस्त करने की प्रवृत्ति ठीक नहीं है। इससे ब्लेक मार्केटिंग की संभावना बनती है। इसे हतोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय उद्यानों में जिम्मेदार और शैक्षणिक पर्यटन बढ़ाने पर जोर देना होगा। राष्ट्रीय उद्यानों के बफर जोन में इको पर्यटन की भरपूर संभावनाएं हैं। उन्होंने विशेषज्ञों से आग्रह किया कि वे बताये कि किस प्रकार की पर्यटन गतिविधियों से अधिक पर्यटक आकर्षित होंगे। उन्होंने राष्ट्रीय उद्यानों के प्रवेश द्वारों के आस-पास एटीएम मशीन लगाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री कमल नाथ ने राष्ट्रीय उद्यान संचालकों से कहा कि वे राज्य शासन को भेजे जाने वाले हर प्रस्ताव उन्हें भी भेजे, जिससे उन पर शीघ्र निर्णय लिया जा सके। कमल नाथ ने कहा कि टाइगर स्टेट का दर्जा पुन: प्राप्त करना गौरव की बात है। इस स्थिति का आर्थिक रूप से फायदा उठाने के लिये जरूरी है कि पर्यटन बढ़ें। उन्होंने विशेषज्ञों से आग्रह किया कि इस विशेष स्थिति की ब्रांडिंग कर पर्यटन को आगे बढ़ाये। इसके साथ आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और छोटे स्तर पर अधिक रोजगार का निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि पर्यटन सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला सेक्टर है। बैठक में पार्क प्रवेश शुल्क, टाइगर सफारी, जिप्सी वाहन और ज्यादा सीटों वाले वाहनों के संचालन जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने पचमढ़ी में पर्यटन गतिविधि बढ़ाने और रणनीति बनाने के निर्देश दिए।
पंजाब के हरिके बराज पार्क की तर्ज पर प्रदेश के गुना जिले में पहला संरक्षित क्षेत्र बनाया जाएगा। यह क्षेत्र दो सौ हेक्टेयर का होगा, जिसमें वन के अलावा अन्य शासकीय विभागों की भी जमीन है। इस संरक्षित क्षेत्र का रख-रखाव नेशनल पार्क और सेंचुरी जैसे ही किया जाएगा। संरक्षित क्षेत्र बनने से यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इसमें बाघ सहित अन्य वन्य प्राणियों के हिसाब से विकसित किया जाएगा। यह वन क्षेत्र राघोगढ़ विधानसभा क्षेत्र से लगा हुआ है। इसे संरक्षित वन क्षेत्र घोषित करने के संबंध में कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भेजा था। उन्होंने अपने प्रस्ताव में बताया है यह क्षेत्र पर्यटन के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है। इसे अगर संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाता है तो स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। क्योंकि संरक्षित क्षेत्र बनने के बाद आगे चलकर यह क्षेत्र मिनी सेंचुरी के रूप में विकसित होगा, जिससे यहां दूर-दूर से पर्यटक आएंगे।
उन्होंने बताया कि पंजाब सहित कई राज्यों में वन के अलावा अन्य विभागों की जमीन पर संरक्षित क्षेत्र घोषित करके न केवल वन्य प्राणियों को संरक्षण दिया है बल्कि पर्यटन को भी उससे बढ़ावा मिला है। वन विभाग अब इस क्षेत्र का सर्वे कराकर इसमें पर्यटन और वन्य प्राणियों के रहवास विकास की संभावनाओं को तलाश रहा है। प्रदेश में ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां गैर वन भूमि में जंगल हैं और उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है।
- राजेश बोरकर