05-Sep-2019 07:23 AM
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मप्र में किसानों से खरीदे गए अनाज रखने के लिए गोदामों में जगह नहीं है, वहीं दूसरी तरफ एफसीआई केंद्रीय पूल के अनाज उठाने में कोताही बरत रहा है। इससे गोदामों में अनाज सडऩे की खबरें आ रही है। गौरतलब है कि एफसीआई ने अलग-अलग सीजन के लिए खाद्यान्नों का भंडारण नियम, जिसे बफर नॉम्र्स कहा जाता है बनाया हुआ है। इस नियम के मुताबिक, एफसीआई के पास 1 जुलाई को अधिकतम 411.20 मिलियन टन स्टॉक होना चाहिए, लेकिन 14 अगस्त को खाद्य एवं जन वितरण विभाग द्वारा जारी एक बुलेटिन में बताया गया है कि केंद्रीय पूल में 31 जुलाई तक 711.18 मिलियन (71.11 करोड़) टन अनाज स्टॉक में है। यानी कि तय नियम से लगभग दोगुणा अधिक अनाज एफसीआई के पास जमा है। यह आंकड़े भारतीय खाद्य निगम के योजना एवं अनुसंधान विभाग के हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक, कुल जमा अनाज में 275.30 मिलियन टन चावल और 435.88 मिलियन टन गेहूं शामिल हैं।
इस बार मप्र सहित देशभर में जिस तरह रिकार्ड बारिश हुई है उससे गोदामों में रखे अनाजों के सडऩे की संभावना बढ़ गई है। गौरतलब है कि देश में सबसे अधिक अनाज 253.89 मिलियन टन पंजाब के गोदामों में हैं। इसके बाद हरियाणा के गोदामों में 131.63 मिलियन टन, फिर मध्य प्रदेश में 94.75 मिलियन टन जमा है। एफसीआई, हरियाणा के एक अधिकारी ने डाउन टू अर्थ को बताया कि उनके गोदामों में ज्यादातर गेहूं जमा है। यह कवर्ड गोदाम में तो है ही, बल्कि बाहर खुले (कैप) में भी रखा गया है। अब अक्टूबर में चावल की खरीद शुरू हो जाएगी, चावल को खुले में नहीं रखा जाता, लेकिन अब तक इस पर विचार नहीं किया गया है कि चावल कहां रखा जाएगा? ऐसी स्थिति में आने पर सबसे पहले गोदामों में बाहर रखे गेहूं को हटाया जाता है, इसके बाद अंदर (कवर्ड) में रखे गेहूं को बाहर रखा जाता है और अंदर चावल रखा
जाता है।
एफसीआई अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ सालों के मुकाबले यह पहली बार हो रहा है कि इतना अनाज स्टॉक में पड़ा है। एफसीआई के आंकड़े बताते हैं कि 1 जुलाई 2016 को केंद्रीय पूल में 495.95 मिलियन टन अनाज जमा था, जो 1 जुलाई 2017 में यह 533.19 मिलियन रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह 1 जुलाई 2018 में यह 650.53 मिलियन टन और 1 जुलाई 2019 को 742.52 मिलियन टन पहुंच गया। एफसीआई के डॉक्यूमेंट के मुताबिक, स्टॉक के जो नियम तय किए गए हैं, उनमें 1 अप्रैल को 210.40 मिलियन टन, 1 जुलाई को 411.20 मिलियन टन, 1 अक्टूबर को 307.20 मिलियन टन और 1 जनवरी को 214.10 मिलियन टन होनी चाहिए। इसमें 20 मिलियन टन चावल और 30 मिलियन टन गेहूं को रणनीतिक (स्ट्रेटिजिक) रिजर्व के तौर पर रखा जाता है, ताकि आपात स्थिति में यह काम आ सके। लेकिन एफसीआई में जो अनाज पड़ा है, वह इस रिजर्व से कहीं अधिक है।
ऐसे में, सवाल उठता है कि क्या एफसीआई में रखा यह अनाज सुरक्षित है? एफसीआई के इसी बुलेटिन में दी गई जानकारी के मुताबकि जून 2019 में भारतीय खाद्य निगम और राज्य सरकार की एजेंसियों की भंडारण क्षमता 878.55 मिलियन टन है, लेकिन इसमें से 133.55 मिलियन टन कैप (खुले) की है। इसके अलावा एफसीआई की कुल भंडारण क्षमता 407.31 मिलियन टन है। मजेदार बात यह है कि सबसे अधिक अनाज पंजाब 253.89 मिलियन टन में है, जहां की भंडारण क्षमता 234.51 मिलियन टन बताई गई है। ऐसे में, यह सवाल लाजिमी है कि लगभग 20 मिलियन टन अनाज कहां रखा गया है? इतना ही नहीं, पंजाब में 75.60 मिलियन टन अनाज खुले (कैप) में रखा गया है। यह अनाज कितना सुरक्षित रहने वाला है, यह वक्त बताएगा।
- विकास दुबे