जवानों का संकट
19-Aug-2019 06:47 AM 1234814
हाल में खबर आई कि देश में साढ़े पांच लाख से भी ज्यादा पुलिसकर्मियों के पद खाली पड़े हैं। यह आंकड़ा ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डवलपमेंट (बीपीआरडी) ने जारी किया है। यह वाकई चौंकाने वाली खबर है। इससे पता चलता है कि देश की कानून-व्यवस्था से लेकर आंतरिक सुरक्षा तक का जिम्मा संभालने वाला पुलिस महकमा किस दयनीय हालत में काम कर रहा होगा। इसीलिए ज्यादातर राज्यों में अपराधों का ग्राफ तेजी से ऊपर जा रहा है। सबसे ज्यादा पद उत्तर प्रदेश में खाली हैं और जब सबसे ज्यादा बदतर कानून-व्यवस्था वाले राज्यों की सूची बनती है तो उसमें भी उत्तर प्रदेश ही सबसे ऊपर आता है। उत्तर प्रदेश की जेलों में हत्याओं से लेकर गैंगवार और वसूली जैसे काम हो रहे हैं। ये घटनाएं प्रदेश की कानून-व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी हैं। बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल आदि राज्य भी इसी श्रेणी में आते हैं। राजधानी दिल्ली भी इस समस्या से अछूती नहीं है। वैसे तो ज्यादातर सरकारी महकमों की हालत यही है कि कर्मचारियों के पद खाली पड़े हैं और कामकाज पर असर पड़ रहा है। लेकिन पुलिस वालों की कमी का सीधा असर कानून-व्यवस्था से लेकर यातायात, जान-माल की सुरक्षा और आमजन से जुड़ी सेवाओं पर पड़ता है। यही नहीं, सड़क दुर्घटना और विभिन्न अपराधों में घायल लोगों को समय पर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाने का काम और जिम्मेदारी भी पुलिस पर ही है। इसलिए दूसरे विभागों में कर्मचारियों की कमी से मुमकिन है काम न हो, पर पुलिस वालों की कमी का मतलब है कानून-व्यवस्था पर सीधा असर पडऩा। पुलिस के चुनौतीभरे काम और उसकी जरूरत के मद्देनजर देशभर में पुलिस वालों की संख्या स्वीकृत पदों के मुकाबले कम होना चिंताजनक है। एक जनवरी 2018 की स्थिति के अनुसार देश भर में पुलिसकर्मियों के पांच लाख तियालीस हजार पद खाली थे। इनमें सबसे ज्यादा एक लाख उनतीस हजार पद उत्तर प्रदेश में खाली हैं। नगालैंड देश का अकेला ऐसा राज्य है, जहां पुलिस वालों की संख्या मानक से ज्यादा है। बीपीआरडी के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में पुलिस वालों के 24,84,170 पद घोषित हैं। एक जनवरी 2018 को इनमें से 19,41,473 पद भरे हुए थे। पुलिस वालों के खाली पदों से संबंधित जो खबरें आई हैं, उनके मुताबिक एक जनवरी 2017 को पुलिस वालों के कुल पांच लाख अड़तीस हजार पद खाली थे और 2018 में यह संख्या बढ़ कर पांच लाख तियालीस हजार हो गई थी। 2016 में खाली पदों की संख्या सबसे ज्यादा साढ़े पांच लाख थी। कानून-व्यवस्था से लेकर यातायात संभालने के लिए जिम्मेदार पुलिस वालों की कमी देश भर में कई सालों से है। पिछले साल एक जनवरी की स्थिति के अनुसार पुलिस वालों की कमी के मामले में उत्तर प्रदेश के बाद बिहार (50291), पश्चिम बंगाल (48981), तेलंगाना (30345) और महाराष्ट्र (26196) का नंबर आता है। राज्यों की बात फिर भी अलग है। राजधानी दिल्ली में पुलिसकर्मियों की कमी होना ज्यादा गंभीर है। बेहतर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रति व्यक्ति यहां पुलिस वालों की संख्या देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले ज्यादा रखी गई है। लेकिन पद खाली हों तो मकसद ही पूरा नहीं होगा। जून 2018 में एक सवाल के जवाब में तत्कालीन गृहराज्य मंत्री ने कहा था कि दिल्ली पुलिस में (जून 2018 में) बारह हजार से ज्यादा पद खाली हैं। दिलचस्प यह है कि दिल्ली में पुलिस वालों के जो पद खाली थे, उनमें संयुक्त पुलिस आयुक्त के भी तीन पद शामिल थे। राजधानी की पुलिस वैसे भी विशेष है और सीधे केंद्र सरकार को रिपोर्ट करती है। फिर भी इसमें हेड कांस्टेबल के तीन हजार दो सौ उनयासी और उपनिरीक्षक के डेढ़ हजार पद खाली हों तो यह चिंता का विषय बनता है। -ऋतेन्द्र माथुर
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