19-Aug-2019 06:41 AM
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मप्र में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौरान खेलों के विकास के लिए जमकर पैसा बहाया गया। सरकार की दरियादिली का फायदा अफसरों ने जमकर उठाया। जहां खेल सामग्रियों की खरीदी में जमकर घपले घोटाले किए गए वहीं खेल एवं युवा कल्याण विभाग में फर्जी नियुक्तियां भी की गई। जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 में राज्य लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) के माध्यम से खेल एवं युवा कल्याण विभाग में 24 भर्तियां की गई। इनमें से 10 मामलों में फर्जीवाड़े की आशंका व्यक्त की गई है। फिलहाल 4 नियुक्तियों की शिकायत की गई है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाने के मामले की जांच पुलिस की अपराध अनुसंधान शाखा (सीआईडी) कर रही है।
सीआईडी सूत्रों ने बताया कि विभाग की ओर से कुछ समय पहले चार शिकायतें प्राप्त हुई हैं। ये शिकायत फर्जी दस्तावेजों और प्रमाणपत्रों के आधार पर विभाग में नौकरी पाने से संबंधित हैं। मुख्य रूप से ये शिकायत एमपीपीएससी की ओर से जिला खेल अधिकारियों (डीएसओ) की नियुक्तियों से जुड़ी हुई हैं। प्रारंभिक तौर पर चार जिला खेल अधिकारियों की नियुक्तियों में गड़बडिय़ां नजर आती हैं। बताया गया है कि इन अभ्यर्थियों ने खेल संबंधी जो प्रमाणपत्र लगाए हैं, वे फर्जी हैं। इस संबंध में अब गहरायी से जांच की जा रही है। जिनकी नियुक्ति में गड़बड़ी सामने आई है, उनमें कमल आर्य, संतरा नीनामा, अरविंद सिंह राना, शैलेंद्र सिंह जाट का नाम शामिल है।
सूत्र बताते हैं कि सबसे पहले कमल आर्य की नियुक्ति में फर्जीवाड़े की खबर मिलते ही तत्कालीन खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने जांच के आदेश दिए, लेकिन विभाग की ढिलाई के बाद जांच नहीं हो सकी। लेकिन विभाग के एक अधिकारी की सक्रियता के चलते ये मामले उजागर हुए हैं। वर्ष 2017-18 में पीएससी द्वारा नियुक्त किए गए कई जिला खेल अधिकारियों के खेल प्रमाण पत्र फर्जी हैं। सबसे मजेदार शिकायत सीहोर के जिला खेल अधिकारी कमल किशोर आर्य की थी। शिकायत कर्ता मनोज कुमार कन्नोजिया संयुक्त सचिव मध्यप्रदेश फुटबाल संघ सीहोर ने अपनी शिकायत में कहा है कि कमल किशोर का कबड्डी का सर्टिफिकेट है और उन्हें फुटबाल का कोच बनाया गया है। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए संचालक खेल व युवक कल्याण डा.एसएल थाउसेन ने जांच कराने के लिए आईजी भोपाल को पत्र लिखा। आईजी भोपाल ने जांच की जिम्मेदारी डीआईजी देहात भोपाल डा.आशीष कुमार को सौंपी। आशीष ने अपनी अंतरिम जांच रिपोर्ट भेज दी है। जिसमें कहा गया है कि प्रारंभिक रूप से शिकायत सही है। इसकी विस्तृत जांच की जरूरत है। जांच रिपोर्ट के बाद आर्य की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसी तरह कु. संतरा निमामा जिला खेल अधिकारी अलीराजपुर ने दो राज्यों छाीसगढ़ व उड़ीसा राज्य से हैंडबाल खेलने का प्रमाण पत्र लगाया है, इनके प्रमाण पत्र में गड़बडी यह है कि बीस वर्ष की उम्र में जूनियर और सीनियर दोनों खेलना बताया गया है। जिला खेल अधिकारी शहडोल और बालाघाट के खेल प्रमाण पत्रों की जांच की जा रही है। अरविन्द सिंह राणा और शैलेन्द्र सिह जाट के प्रमाण पत्रों की भी जांच की जा रही है। इसके अलावा एक खेल अधिकारी के जाति प्रमाण पत्र की जांच की जा रही है। बताया जाता है कि यदि खेल प्रमाण पत्रों की सही ढ़ंग से जांच कराई जाए तो कई खुलासे हो सकते हैं। खेल प्रमाण पत्रों की जांच में यह भी पता चल सकता है कि आखिर इसके पीछे कौन है। प्रमाण पत्रों को देखकर ऐसा लगता है कि एक ही कम्प्यूटर से अधिकांश प्रमाण पत्र निकाले गए हैं।
सूत्रों के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि संबंधित अभ्यर्थियों की ओर से पेश किए गए दस्तावेजों और प्रमाणपत्रों की जांच और सत्यापन खेल एवं युवा कल्याण विभाग के अधिकारियों ने ठीक ढंग से नहीं की। इस संबंध में मुख्य रूप से संयुक्त संचालक स्तर के एक अधिकारी की भूमिका भी जांच के दायरे में है। इस संबंध में खेल एवं युवा कल्याण विभाग के संचालक डा. एसएल थाउसेन का कहना है कि मंत्री जी के निर्देश पर प्रमाण पत्रों की जांच कराई जा रही है।
- कुमार राजेंद्र