19-Aug-2019 06:28 AM
1234806
सड़क दुर्घटनाओं में हर साल डेढ़ लाख मौतों के आंकड़े को देख कर यह स्वाभाविक ही लगता है कि हमारे देश में इन हादसों को रोकने वाले कड़े कायदे-कानून हों और नियम तोडऩे वालों पर भारी से भारी दंड लगाया जाए। इस नजरिए से देखें तो हाल में संसद से पारित मोटर वाहन संशोधन विधेयक, 2019 एक बड़ी राहत देता हुआ प्रतीत होता है। इस बिल को कानून की शक्ल में लागू किए जाने पर गलत तरीके से वाहन चलाने वालों को पहले के मुकाबले न सिर्फ कई गुना ज्यादा जुर्माना देना होगा, बल्कि लंबे समय तक जेल की सजा भी भुगतनी पड़ेगी।
हालांकि कानून का सौ फीसदी पालन कराना पहले की तरह अब भी बड़ी चुनौती होगा, क्योंकि अभी भी पैसे ले-देकर कानून की आंख में धूल झोंकी जा रही है और सड़कें भारी अराजकता का प्रतीक बनी हुई हैं। इसलिए सवाल यह है कि क्या सख्त कानून और भारी जुर्माने से सड़क हादसे वास्तव में रोके जा सकेंगे? लेकिन इससे भी बड़ा सवाल तो यह है कि एक तरफ सरकार वाहन चालकों के लिए तो कड़े कायदे बना रही है, वहीं दूसरी तरफ वाहन निर्माताओं को अपने ग्राहकों को लुभाने के वास्ते गाडिय़ों में मनोरंजन आदि के वे सारे इंतजाम करने की छूट मिली हुई है जो सड़क हादसे का कारण बनते हैं। इन बातों पर यदि गौर किया जाए तो पता चलेगा कि असल में सड़क सुरक्षा नियमों के उल्लंघन और दुर्घटनाओं के पीछे वाहन निर्माता कंपनियों को मिलने वाली छूटें कहीं ज्यादा जिम्मेदार हैं।
नए कानून में जुर्माने और सजा के जो प्रावधान हैं, वे पहली नजर में ही हर किसी को चौंका रहे हैं। जैसे, हेलमेट नहीं पहनने पर दुपहिया वाहन चालक को पहले के एक सौ रुपए की बजाय अब दस गुना ज्यादा यानी एक हजार रुपए जुर्माना भरना पड़ेगा। सीट बेल्ट नहीं पहनने पर भी सौ रुपए की जगह एक हजार की रसीद कटानी पड़ेगी। बिना इंश्योरेंस के गाड़ी चलाने पर मौजूदा एक हजार के स्थान पर दो हजार रुपए वसूले जाएंगे। इसी तरह दूसरे
वाहन संग होड़ लगाने पर पांच सौ रुपए की जगह दस गुना ज्यादा यानी पांच हजार का जुर्माना भरना पड़ेगा।
शराब पीकर गाड़ी चलाने और खतरनाक ढंग से वाहन चलाने पर जुर्माना दो हजार रुपए से बढ़ा कर दस हजार रुपए कर दिया है, साथ ही जेल की सजा का भी प्रावधान है। नाबालिग को वाहन चलाते पकड़े जाने पर जुर्माना एक हजार से पच्चीस हजार रुपए और तीन महीने जेल की सजा को तीन साल की सजा का नियम बना दिया गया है। इसके अलावा नाबालिग के खिलाफ भी किशोर न्याय कानून के तहत कार्रवाई होगी। हिट एंड रन मामले तेजी से बढ़े हैं, वर्ष 2018 में ऐसे पचपन हजार मामले आए थे, जिनमें बाईस हजार लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। इसलिए नए कानून के मुताबिक ऐसे मामले में पीडि़त के घायल और मृत होने पर आरोपी वाहन चालक पर साढ़े बारह हजार और पच्चीस लाख जुर्माने का प्रावधान है।
-इंद्र कुमार