मास्टर प्लान अधर में
19-Aug-2019 06:17 AM 1234905
भोपाल शहर तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन शहर का विकास पुराने ढर्रे पर चल रहा है। इसकी एक वजह यह है कि शहर का नया मास्टर प्लान ढाई दशक बाद भी तैयार नहीं हो सका है। यह हाल तब है जब कि शहर प्रदेश की राजधानी है। इससे समझा जा सकता है कि प्रदेश के अन्य शहरों की हालत क्या होगी। अब एक बार फिर इसके लिए कवायद शुरु हुई तो नया मास्टर प्लान तकनीकी दिक्कत में उलझ गया है। बेस मैप में त्रुटि आने के कारण इसे दुरुस्त करने के लिए हैदराबाद भेजा गया है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग को यह मिलने में एक पखवाड़े का समय लगने का अनुमान लगाया जा रहा है। बेस मैप हाथ में आने पर ही मास्टर प्लान ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया जा सकेगा। प्रदेश में अमृत योजना में शामिल शहरों का मास्टर प्लान जियोग्राफिक इंर्फोमेशन सिस्टम (जीआईएस) की मदद से तैयार किया जा रहा है। शहर के जीआईएस मैप पर आंकड़ों, तथ्यों और प्रस्तावित प्रावधानों को लाया जाएगा। यह एकदम सटीक होगा। भोपाल के प्लानिंग एरिया में करीब चार लाख बिल्डिंग बताई जा रही है। इनके आकार और लोकेशन के हिसाब से जीआईएस की मदद से फुट प्रिंट निकाले गए। बताया जा रहा है कि इनमें से दस हजार भवनों के आकार और रिजॉल्यूशन के कारण जीआईएस की त्रुटि आ गई। टीएंडसीपी के अफसरों ने इसको दुरुस्त कर हैदराबाद स्थित एजेंसी एनआरएससी को भेजा। वहां जरूरी सुधार किए जा रहे हैं। ऐसे में बेस मैप एक-दो हफ्ते में मिलने की संभावना जताई जा रही है। मैप हाथ में आने के बाद मास्टर प्लान तैयार करने में एक से डेढ़ महीने का समय लग सकता है। वर्ष 1995 में जारी किया गया मास्टर प्लान ही फिलहाल प्रभावी है। यह 2005 के मद्देनजर तैयार किया गया था। इसमें ही लगातार बदलाव किए जाते रहे। नए मास्टर प्लान का मसौदा 29 अगस्त, 2009 को जारी किया गया। इस पर लोगों से कोई फीडबैक नहीं लिया गया था। बेवजह प्लानिंग एरिया बढ़ाने पर आपत्ति की गई। लैंड यूज को लेकर सबसे ज्यादा सवाल उठाए गए। ऐसे में तत्कालीन भाजपा सरकार ने भोपाल विकास योजना 2021 को निरस्त कर दिया। मास्टर प्लान वर्ष 2031 की आवश्यकताओं के अनुसार बनाने का आदेश दिया। इसके मुताबिक वर्ष 2010 में मसौदा बनाने के लिए नई सैटेलाइट इमेज, ट्रेफिक सर्वे और जनसंख्या के आंकड़ों का उपयोग करने की कवायद शुरू की गई। नया ड्राफ्ट बन गया पर सरकार से हरी झंडी न मिलने के कारण इसे जारी नहीं किया गया। फिर टीएंडसीपी के अधिकारियों की कमेटी बना दी गई। यह कवायद डेढ़-दो साल चलती रही। इसके बाद जीआईएस मैप से मास्टर प्लान बनाने का काम शुरू किया गया। भोपाल का प्लानिंग एरिया बढ़ाकर 1016 वर्ग किमी किया जा रहा है। इसमें 248 गांवों को शामिल किया जा रहा है। बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया के 63 गांव भी प्लानिंग एरिया में होंगे। यहां विकास और नियमन के लिए अहमदाबाद की सेप्ट यूनिवर्सिटी की मदद ली जा रही है। सेप्ट ने ही बड़े तालाब का मास्टर प्लान बनाया था। अधिकारियों का दावा है कि मास्टर प्लान की कमियों को दूर कर उसे नवंबर तक लागू किया जा सकता है। - रजनीकांत पारे
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