03-Aug-2019 09:03 AM
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मप्र में हीरे के लिए ख्यात पन्ना और छतरपुर की खदानों से निकलने वाले हीरे से प्रदेश में विकास की बयार बहेगी। इसके लिए सरकार ने फिलहाल छतरपुर में रकबा 364 हेक्टेयर (वन भूमि) क्षेत्र में स्थित हीरा खदान को नीलाम करने का निर्णय लिया। इस क्षेत्र में 34.20 मिलियन कैरेट हीरा खनिज के भण्डार आंकलित किये गये हैं। इसका अनुमानित भण्डारण मूल्य 60 हजार करोड़ रुपये है। इसका आधार आईबीएम द्वारा हीरा खनिज का प्रकाशित विक्रय मूल्य है। नीलामी में मध्यप्रदेश राज्य के हित में दो नई शर्तें जोड़ी गयी हैं। इसमें प्रथम नीलामी मध्यप्रदेश में ही की जाने और प्रथम नीलामी के बाद पट्टाधारी कहीं भी निर्यात एवं विक्रय करने के लिये स्वतंत्र रहेगा, शामिल है। खनिज विभाग को नीलामी की कार्यवाही शुरू करने एवं केन्द्र शासन से आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने के लिये अधिकृत किया गया है।
सूत्रों का कहना है कि टेंडर में अहम शर्त यह है कि ठेका लेने वाली कंपनी को हीरे की पहली नीलामी प्रदेश में करनी होगी। इससे सरकार को हीरे की नीलामी पर 12.57 प्रतिशत रॉयल्टी के साथ अन्य टैक्स भी मिल सकेंगे। कारोबारियों को भी लाभ होगा। साथ ही प्रदेश में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने छतरपुर में 958 हेक्टेयर भूखंड रियो टिंटो को लीज पर दी थी। रियो टिंटो ने तमाम परीक्षण कर प्रॉस्पेक्टिव प्लान तैयार किया था। इसमें यह उल्लेख किया गया था कि यहां कितने कैरेट का हीरा है। इसके बाद कंपनी ने पर्यावरण की स्वीकृति के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे पर्यावरण की अनुमति नहीं मिल पाई थी। रियो टिंटो कंपनी पूरे क्षेत्र में एक साथ हीरा उत्खनन करना चाह रही थी, जबकि वन मंत्रालय ने सवाल किया था कि कंपनी एक साथ हीरा उत्खनन क्यों करना चाह रही है। इस पर वर्ष 2016 में रियो टिंटो ने बकस्वाहा खदान छोड़ दी थी। अब बकस्वाहा हीरा खदान नीलामी की ऑफसेट प्राइस रियो टिंटो ने ही तय की है।
छतरपुर जिले के बकस्वाहा की 364 हैक्टेयर में फैली हीरा खदान की नीलामी के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किए गए हैं। इस खदान में 60 हजार करोड़ मूल्य के हीरे का भंडार है। जानकारी के अनुसार देश के बड़े औद्योगिक समूह अडानी-वेदांता और मुंबई की फ्यूरा ने खदान से जुड़ी जानकारी व प्रारंभिक सर्वे रिपोर्ट खनिज विभाग से मांगे हैं। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका की घाना डायमंड कंपनी ने भी रुचि दिखाई है। मप्र सरकार को इस हीरा खदान की नीलामी से बड़ा राजस्व मिलने की उम्मीद है। इसीलिए नीलामी पहली बार मप्र में की जाएगी, इसके बाद इसे ग्लोबल किया जाएगा। गौरतलब है कि यह हीरा खदान पूरी तरह से वन विभाग की जमीन पर स्थित है। इसलिए खदान लेने वाली कंपनी को ही केंद्र सरकार से पर्यावरण मंजूरी लेनी होगी। इसके बाद वह 15 से 20 साल तक इस खदान का संचालन कर हीरा खनन कर सकती है।
इस खदान का प्रोस्पेक्टिंग लाइसेंस 2007 में रियो टिंटो कंपनी को मिला था। इसके बाद 2008 में कंपनी ने माइनिंग लीज के लिए आवेदन किया। इसके बाद रियो टिंटो ने हीरे की खोज की। पिछली शिवराज सरकार ने रियो टिंटो के लिए शर्त जोड़ दी कि उसे इकाई यहीं स्थापित करनी होगी और उसकी पॉलिशिंग भी मप्र में ही करनी होगी। रियो टिंटो के यह प्रोजेक्ट छोडऩे के बाद विधानसभा के चुनाव आ गए। मप्र में कांग्रेस की सरकार बनी। इस हीरा खदान की दोबारा नीलामी की तैयारी की गई तो उपरोक्त दोनों शर्त हटा दी गई।
- बृजेश साहू