मजबूत हुए नाथ
03-Aug-2019 07:44 AM 1234796
कर्नाटक के महा नाटक के बाद भाजपा को मप्र में जोर का झटका ऐसा लगा है कि अब पार्टी में ही कोहराम मच गया है। दरअसल मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी टीम ने भाजपा को सबक सिखाने के लिए विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन ऐसा वार किया कि भाजपा चारों खाने चित हो गई। इसके साथ ही प्रदेश की राजनीति में यह संदेश भी गया कि केवल कांग्रेस सरकार ही नहीं बल्कि कमलनाथ भी मजबूत हो गए हैं। गौरतलब है कि पहले पिछले दिनों विधानसभा में हुए मतविभाजन के दौरान भाजपा के दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने कांग्रेस को समर्थन दे दिया था। जिसके चलते विधानसभा में कांग्रेस व कमलनाथ और अधिक मजबूत हो गए, लेकिन इसके बावजूद जानकारों के अनुसार मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को किसी भी संकट से बचाने के लिए तमाम तरह की कोशिशें शुरू हो चुकी है। माना जा रहा है कि कांग्रेस किसी प्रकार के शक-शुबे में नहीं रहना चाहती, जिसके चलते इस व्यवस्था के तहत अपने संगठन को मजबूत करने की कोशिशों में जुटी हुई है। ताकि सरकार पर आने वाली किसी भी समस्या से वह निपट सके। उधर अब भाजपा आलाकमान भी इस कोशिश में है कि कांग्रेस को खुलेआम चुनौती न दी जाए क्योंकि इससे पार्टी की छवि धूमिल हो रही है। गौरतलब है कि कर्नाटक में मिशन कमलÓ की सफलता से उत्साहित बीजेपी मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस विधायकों को तोडऩे की फिराक में थी। लेकिन कमलनाथ के आगे बीजेपी का मिशन कमलÓ कामयाब नहीं होता दिख रहा। मध्य प्रदेश में बीजेपी का दांव उल्टा पड़ गया है। खबर है कि कई विधायक बीजेपी का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थामने का मन बना चुके हैं। दो विधायकों ने विधानसभा में पार्टी के खिलाफ जाकर कांग्रेस के पक्ष में वोट डाला। जिसके बाद बीजेपी को अपने विधायकों पर कड़ी नजर रखनी पड़ रही है। खुद को खिलाड़ी समझ रहे बीजेपी के नेता अपने ही खेल में चारों खाने चित हो गए। इस घटना ने बीजेपी हाईकमान से लेकर राज्य इकाई तक को हरकत में ला दिया है। पार्टी ने प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह को रातोरात भोपाल रवाना कर दिया तो दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े पदाधिकारियों की सक्रियता बढ़ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की संघ के एक बड़े नेता के साथ देर रात को बैठक हुई तो दूसरी ओर पार्टी के वरिष्ठ विधायक नरोत्तम मिश्रा और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत के बीच लंबा संवाद चला। पार्टी सूत्रों का कहना है कि एक तरफ कांग्रेस के विधेयक के समर्थन में मतदान करने वाले दोनों विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल से संवाद करने की कोशिश हो रही है। इसके साथ ही बीजेपी उन विधायकों पर भी नजर रखे हुए हैं जो कांग्रेस के संपर्क में हो सकते हैं। कांग्रेस से बीजेपी में आए और वर्तमान में विधायक संजय पाठक पर संगठन की खास नजर है। हालांकि, बीजेपी नेता कह रहे हैं कि पार्टी के अंदर किसी तरह की गुटबाजी नहीं है। कहीं कोई कठिनाई नहीं है, पूरी बीजेपी एक है। लेकिन कंप्यूटर बाबा के दावों के बाद उनकी बतों में सच्चाई नहीं लग रही। बीजेपी के दो विधायक त्रिपाठी और कोल ने कमलनाथ सरकार के प्रति भरोसा जताते हुए कहा कि यह उनकी घर वापसी है। वे बीजेपी में प्रताडि़त किए जा रहे थे, उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके क्षेत्र में विकास की कई घोषणाएं की थीं, मगर एक पर भी अमल नहीं हुआ। जनता के सामने उन्हें नीचा देखना पड़ रहा था, इसलिए उन्होंने कमलनाथ सरकार का साथ देने का मन बनाया। राजनीति के जानकारों के अनुसार, बीजेपी में गुटबाजी का रोग बढ़ा है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय अलग-अलग गुटों में बंटे नजर आते हैं। यही कारण रहा कि विधानसभा सत्र हो या सड़क पर, बीजेपी लगातार कमजोर होती जा रही है। - भोपाल से अरविंद नारद
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