कागजों में ओडीएफ
03-Aug-2019 07:35 AM 1234805
स्वच्छ भारत मिशन के तहत घरों में बनवाए गए शौचालयों की हकीकत पता करवाने के लिए केंद्र सरकार उनका सत्यापन करवा रही है। मप्र सहित देशभर में शौचालय निर्माण में बड़ी धांधलियां सामने आई हैं। अब जब स्वच्छताग्राही घर-घर जाकर निर्मित शौचालयों की पड़ताल कर रहे हैं तो अधिकारियों से लेकर पंचायत प्रतिनिधियों के होश उड़े हुए हैं। अगर सत्यापन के दौरान शौचालयों के निर्माण में गड़बड़ी पाई गई तो सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक व पंचायत समन्वयकों पर गाज गिरेगी। गौरतलब है कि इस साल 2 अक्टूबर को पूरे देश को खुले में शौच मुक्त घोषित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ऐसे में देश में शासकीय अनुदान पर घरों में बनवाए गए शौचालयों की हकीकत जानने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सत्यापन करवाया जा रहा है। बेसलाइन सर्वे 2012 में दर्ज मप्र के सभी शौचालय विहीन 64,93,769 घरों में व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण हो जाने से 2 अक्टूबर 2018 को मप्र को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है। लेकिन आज भी प्रदेश में 25 प्रतिशत लोग खुले में शौच कर रहे हैं। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है इसकी पड़ताल कराई जा रही है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रदेश में बनाए गए शौचालयों में से 22 प्रतिशत दो गड्ढे वाले, 50 प्रतिशत एक गड्ढे वाले, 24 प्रतिशत चेंबर वाले और अन्य तरह के 04 प्रतिशत शौचालय होने का दावा किया गया है। लेकिन केंद्र सरकार के निर्देश के बाद गांव-गांव बनाए गए स्वच्छताग्राही जब घर-घर जाकर शौचालय की स्थिति का जायजा ले रहे हैं तो कई तरह की खामियां सामने आ रही हैं। यथा स्थिति शौचालयों का फोटो दिल्ली में बनाए गए मोबाईल एप पर डाउनलोड किया जा रहा है। जिन घरों में शौचालय नहीं बनाए गए हैं उन घरों के दरवाजे की तस्वीर खींचकर अपलोड की जा रही है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजरों में अव्वल आने के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने आंकड़ेबाजी का ऐसा खेल खेला की आज प्रदेश के 54,903 गांवों में से एक भी गांव ऐसा नहीं है जो पूरी तरह खुले में शौच मुक्त हो। स्वच्छताग्राहियों की पड़ताल में यह बात भी सामने आई है कि अभी तक जितने गांवों में सत्यापन कार्य किया गया है उनमें से एक भी ऐसा गांव नहीं है जहां सभी घरों में शौचालय हो। फिर भी उन गांवों को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। दरअसल, लक्ष्य को पूरा करने के लिए मप्र में कागजों पर शौचालय निर्मित किए गए हैं। यही नहीं लक्ष्य की पूर्ति के लिए अधिकारी आधे-अधूरे शौचालय बनाकर छोड़ दिए गए हैं जो लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। अब गांव वाले इन आधे-अधूरे शौचालयों को कर्ज लेकर पूरा करवा रहे हैं। सत्यापन कार्य में जुटे स्वच्छताग्राहियों का कहना है कि सत्यापन के दौरान जो शौचालय टूटे-फूटे मिलेंगे तो हितग्राहियों को समझाइश देकर उन्हें दुरूस्त कराकर उनका उपयोग कराया जाएगा। वहीं शासन से पैसे जारी होने के बावजूद यदि शौचालय बनाए बिना ही राशि आहरण कर ली गई है तो उस ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव के खिलाफ कार्रवाई कर उनसे राशि वसूली जाएगी। वहीं उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई भी हो सकती है। इसके अलावा जो घर शौचालय से वंचित हो गए हैं वहां नए शौचालय बनाए जाएंगे। स्वच्छताग्राहियों का कहना है कि भले ही प्रदेश के सभी ग्राम 2 अक्टूबर 2018 को खुले में शौच मुक्त घोषित किए जा चुके हैं, लेकिन कई परिवारों में शौचालय नहीं हैं। - नवीन रघुवंशी
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