03-Aug-2019 07:28 AM
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मध्यप्रदेश को 13 साल बाद एक बार फिर टाइगर स्टेट का दर्जा मिल गया है। मध्यप्रदेश में 526 बाघ हैं। मध्यप्रदेश में अवैध शिकार के कारण सबसे ज्यादा बाघ के मरने और पिछले सात सालों में मौतों के बावजूद मध्यप्रदेश को एक बार फिर टाइगर स्टेट का दर्जा मिल गया है। यह देश में सबसे अधिक टाइगर वाला प्रदेश बन गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर बाघों की संख्या पर रिपोर्ट जारी कर दी। देशभर में बाघों की संख्या को लेकर आंकड़े जारी किए गए हैं। नए आंकड़ों के मुताबिक देश में बाघों की कुल संख्या 2,967 पहुंच गई है। दिल्ली में 29 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आलइंडिया टाइगर एस्टीमेशन 2018 जारी कर दिया। इसके मुताबिक 2014 के मुकाबले देश में 741 बाघ बढ़ गए हैं। सन 2006 तक मध्यप्रदेश 300 बाघों के साथ टाइगर स्टेट बना था। 2010 में यह राज्य कर्नाटक और 2014 में उत्तराखंड से पिछड़ गया था। एनटीसीए की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में भोपाल, होशंगाबाद, पन्ना, मंडला, सिवनी, शहडोल, बालाघाट, बैतूल और छिंदवाड़ा के जंगल शिकारियों की पनाहगाह बन गए हैं। मध्यप्रदेश में सन 2012 से अब तक 141 बाघों की मौत हुई है। इनमें से सिर्फ 78 मौतें सामान्य हैं। 6 बाघों की मौत अपने क्षेत्र पर अधिकार को लेकर बाघों के बीच हुई लड़ाई में हुई है। वन मंत्री उमंग सिंघार कहते हैं कि पोचिंग की संख्या कम है, कानफ्लिक्ट ज्यादा है। एक टाइगर के लिए 60-80 किलोमीटर का एरिया। उसके कारण ज्यादा मौतें हुई हैं।
सन 2012 से 2018 के बीच देशभर में 657 बाघों की मौत हुई, जिनमें से 222 की मौत का कारण शिकार है। बताया जाता है कि इसकी दो और प्रमुख वजह भी हैं। आबादी वाले इलाके में टाइगर का पहुंचना और आबादी बढऩे के कारण बाघों के वर्चस्व को लेकर उनमें आपसी लड़ाई होना भी अहम है। बाघों की संख्या कम होने का एक कारण यह भी बताया जाता है कि दूसरे राज्यों में टाइगर कॉरिडोर और जंगल बड़े क्षेत्रों में फैले हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में जंगल बड़े क्षेत्रों में नहीं फैले हैं। इसलिए शिकारी आसानी से घात लगा लेते हैं। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया (डब्लूपीएसआई) के सेंट्रल इंडिया शाखा के डायरेक्टर नितिन देसाई ने बताया कि इससे पहले 2006, 2010, 2014 में टाइगर सेंसस जारी किया जा चुका है। तीनों ही सेंसस में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ था। 2018 के चौथे टाइगर सेंसस में भी भारत में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है।
29 जुलाई को प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर में बाघों की गणना रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में बताया गया कि 2018 में बाघों की संख्या 2,967 हो गई है। यह संख्या 2014 में 2226 थी, इसमें लगभग 33 फीसदी का इजाफा हुआ है। बांध इससे पहले 2006, 2010 और 2014 में बाघों की गणना रिपोर्ट जारी की जा चुकी है। देश में बाघों के संरक्षण का यह काम राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एनटीसीए की देखरेख में चल रहा है। पूरे विश्व में बाघों की तेजी से घटती संख्या के प्रति संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने को लेकर हर साल 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। इस दिन विश्व भर में बाघों के संरक्षण से संबंधित जानकारियों को साझा किया जाता है और इस दिशा में जागरूकता अभियान चलाया जाता है।
-कुमार विनोद