काम पर सरकार चुनौतियां अपार
03-Aug-2019 07:21 AM 1235100
सत्ता में आने के छह माह बाद अब जाकर मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार सही मायने में काम में जुटी है। लेकिन कर्ज में डूबे प्रदेश में सरकार चलाना कमलनाथ और उनकी कैबिनेट के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। सरकार के सामने चुनौतियों की भरमार है। हालांकि सरकार ने भावी और संभावित चुनौतियों से पार पाने के लिए 2 लाख 33 हजार करोड़ रुपए का अपना पहला फुल बजट पेश कर दिया है। पिछली बार 2,04,642 करोड़ का था बजट। सरकार का दावा है कि सारी चुनौतियों से पार पाते हुए प्रदेश को विकास की राह पर सरपट दौड़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी। गौरतलब है कि वर्तमान समय में प्रदेश सरकार 1,80,988 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबी हुई है। वहीं विकास योजनाओं के लिए सरकार ने अभी तक करीब 10,600 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार अपनी विकास योजनाओं को किस तरह साकार कर पाएगी। कई विभागों के बजट में कटौती विरासत में कर्ज में डूबे प्रदेश की कमान संभालने के बाद से कांग्रेस सरकार इसे पटरी पर लाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री कमल नाथ सहित आधा दर्जन मंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य केन्द्रीय मंत्रियों से फंड के लिए मुलाकात कर चुके हैं। हालांकि अभी तक आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है। इसलिए कमल नाथ सरकार ने इस बार के बजट में कई विभागों के बजट में कटौती की है। शिवराज सिंह चौहान के अंतिम बजट से तुलना की जाए तो इस बार के बजट में कई मदों में सरकार में कटौती कर दी है। सरकार ने स्वास्थ्य के ढाई हजार करोड़ रुपए के बजट की कटौती कर दी है। शिवराज सिंह चौहान ने हेल्थ के लिए 12,542 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। शिवराज सिंह चौहान ने लोक स्वास्थ्य के लिए 2018-19 में 5,689 करोड़ का प्रावधान किया था। महिला एवं बाल विकास के लिए सरकार ने 4,836 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। चिकित्सा शिक्षा के लिए सरकार ने 2,017 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। सीएम कमलनाथ ने हेल्थ के लिए 10, 054 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है। अगर हेल्थ के क्षेत्र में उनके मदों को देखें तो इस प्रकार है। कमलनाथ सरकार ने लोक स्वास्थ्य के लिए 2019-20 में 7,547 करोड़ का प्रावधान किया है। कमलनाथ सरकार ने लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए 2735 करोड़ का प्रावधान किया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के लिए 2309 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। शिवराज सिंह चौहान ने 2018-19 के बजट में नगरीय विकास के लिए 11,932 करोड़ रुपए का बजट दिया था। शिवराज सरकार ने ग्रामीण विकास के लिए 18,165 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान रखा था। कमलनाथ सरकार ने शिवराज सिंह चौहान की तुलना में ग्रामीण विकास के बजट में कटौती की है। कमलनाथ सरकार ने ग्रामीण विकास के लिए 17,186 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है। कमलनाथ सरकार ने नगरीय विकास के लिए 15,665 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है। शिवराज सरकार के वित्तमंत्री ने स्कूली शिक्षा के लिए 27 हजार 724 करोड़ रुपए के बजट का प्रावदान किया था। बजट में 720 नए हाई स्कूलों का निर्माण करवाए जाने का प्रावधान था। 17 नए सरकारी महाविद्यालयों की स्थापना की बात भी कही गई थी। लड़कियों की शिक्षा के लिए 1501 करोड़ रुपए का विशेष कोष बनाने का प्रावधान था। वहीं, मप्र में 6 नए मेडिकल कॉलेज खोले जाने का प्रावधान था। कमलनाथ सरकार में स्कूली शिक्षा के लिए 24,499 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है। उच्च शिक्षा के लिए सरकार ने 2342 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है। कृषि और किसान को प्राथमिकता सरकार ने कृषि को सबसे पहली प्राथमिकता देने का फैसला किया है। 10 जुलाई को पेश पहले बजट में उन्होंने इस क्षेत्र के लिए 2019-20 में 46,559 करोड़ रु. आवंटित किए हैं जो इससे पहले के बजट से 66 प्रतिशत अधिक हैं। बजट में 8,000 करोड़ रु. किसानों की कर्जमाफी के लिए निर्धारित किए गए हैं। सरकार का कहना है कि 20 लाख किसानों के लिए करीब 6,990 करोड़ का कर्ज माफ किया जा चुका है और अभी 17 लाख किसानों को इस योजना का लाभ मिलना बाकी है। कमलनाथ का मानना है कि किसानों की कर्जमाफी से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को लाभ ही होगा क्योंकि इससे किसानों के हाथ में ज्यादा पैसा बचेगा और उनकी क्रय-शक्ति में इजाफा होगा। कांग्रेस के वादे के मुताबिक किसानों की पूरी कर्जमाफी के लिए सरकार को करीब 50 हजार करोड़ चाहिए। साफ है कि इसमें दो साल का वक्त और लग सकता है। किसानों को पशुपालन और मछुआरों को रियायती ब्याज दर पर ऋण के लिए क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए जाएंगे। कृषि बंधु योजना शुरू की जा रही है। राज्य सरकार बजट में महिलाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए ई-रिक्शा योजना शुरू करने जा रही है। वहीं मध्याह्न भोजन योजना का खाद्यान्न महिला स्वास्थ्य समूहों के द्वारा आपूर्ति किए जाने की मंशा जाहिर की गई है। इसी तरह युवाओं को रोजगार देने की वचनबद्धता दोहराई गई है। चुनौतियों भरा सफर अधिकारियों का कहना है कि यह बजट कई तरह की चुनौतियों से भरा हुआ है। पूर्व के बजट में 1.6 लाख करोड़ रु. का कर्ज होने से सरकार को राजस्व बढ़ाने के लिए तमाम तरीकों पर विचार करना पड़ा क्योंकि सरकार टैक्स बढ़ाने या कोई नया टैक्स शुरू करने से बचना चाहती थी। इसलिए विभागों को निर्देश दिया गया था कि वे संसाधन जुटाने की अपनी वार्षिक योजनाओं में राजस्व एकत्र करने के नए तरीके सुझाएं। उदाहरण के लिए जल संसाधन विभाग से ऐसी योजना बनाने के लिए कहा गया जिसमें जलाशयों से गाद या मिट्टी निकालने का काम किस तरह निजी कंपनियों को सौंपा जाए और बदले में उस गाद को बेचने की इजाजत देकर मुनाफे का कुछ हिस्सा सरकार को दिलाया जाए। प्रदेश के सरकारी खजाने पर कर्ज का दबाव लगातार बढ़ रहा है। अब लगातार ऐसा हो रहा है कि हर माह ही कर्ज लेने की नौबत आ रही है। बजट पेश करने से चार दिन पहले एक बार फिर राज्य सरकार को जरूरी खर्च चलाने के लिए बाजार का दरवाजा खटखटाया पड़ा है। इस बार भी सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। राहत की बात यह है कि राज्य सरकार को मिल रहा कर्ज लगातार कम ब्याज दरों पर मिल रहा है। अब प्रदेश को 7.5 प्रतिशत के आसपास ब्याज दर पर बाजार से लोन मिल रहा है। नए वित्तीय वर्ष में यह लगातार 6वां मौका है, जब कर्ज के लिए बाजारके सामने जाना पड़ा है। वैसे केंद्र सरकार ने जो लिमट तय की है, उस हिसाब से इस बार राज्य सरकार 27 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज ले सकती है। इस लिहाज से देखे तो यह वित्तीय वर्ष की शुरूआत ही है। यह इसलिए कि नए वित्तीय वर्ष के शुरू के 4 माह में सरकार ने 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया है, यह सिलसिला आने वाले दिनों में अभी और बढऩे की संभावना है। केंद्र ने की 2700 करोड़ की कटौती बजट में राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से राजस्व बढ़ाने के उपाय तो कर लिए हैं। लेकिन केंद्र से मिलने वाली राशि में 2700 करोड़ रुपए की कटौती की भरपाई कहां से और कैसे करेगी, इसका जवाब शायद सरकार के पास भी नहीं है। केंद्र सरकार ने वित्तीय नियंत्रण के लिए राज्यों की जो सीमा तय की है, उस हिसाब से राज्य जीएसडीपी का अधिकतम 3.5 फीसदी तक ही कर्ज ले सकते हैं। मप्र के लिए राहत की बात यह है कि उसकी कर्ज की सीमा ने नियंत्रण रेखा को पार नहीं किया है। वैसे राज्य सरकार ने कर्ज लेने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के सामने अपनी वित्तीय स्थिति का हवाला दिया है, उस हिसाब से 31 मार्च 2019 की स्थिति में राज्य सरकार पर एक लाख 82 हजार 920 करोड़ रुपए से अधिक कर्ज है। स्थानीय लोगों को रोजगार राज्य सरकार ने यहां स्थापित होने वाले उद्योगों में 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार देने का कानून बनाने की बात कही है। राज्य में निवेश के लिए उद्योगों में भरोसा पैदा करने का सरकार का प्रयास जारी है। उद्योग संवर्धन नीति में आमूल-चूल बदलाव किया गया है। वित्तमंत्री ने सरकार द्वारा राज्य के व्यंजनों को देश-दुनिया तक पहुंचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा, रतलाम के नमकीन, भिंड का पेड़ा, मुरैना की गजक, सागर की चिरोंजी की बर्फी, छतरपुर-टीकमगढ़ के पीतल कारोबार की ब्रैंडिंग की जाएगी, ताकि लोगों को घर बैठे यह सामग्री मिल सके।Ó सरकार पर्यटन के लिए बांधों के दर्शनीय स्थलों पर बने सिंचाई विभाग के निरीक्षण बंगलों को भी किराये पर देने का विचार कर रही है। कमलनाथ सरकार का अनुमान है कि मध्य प्रदेश को पिछले साल के मुकाबले टैक्स के हिस्से के तौर पर केंद्र से 2,677 करोड़ रु. कम मिलेंगे। इस वित्तीय झटके के असर को कुछ कम करने के लिए प्रदेश सरकार चाहती है कि केंद्र की ओर से लागू उपकर और अधिभार का एक हिस्सा उसे भी दिया जाए। वित्त मंत्री तरुण भनोट कहते हैं, हमने मुद्दे को 15वें वित्त आयोग के समक्ष उठाया है और केंद्र के उपकर और अधिभार में राज्यों का हिस्सा तय करने की मांग की है। मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश में निवेश का एक लुभावना माहौल बनाने को नीतियों में बड़ा सुधार करने पर विचार कर रहे हैं। उनका लक्ष्य क्षेत्र-विशेष पर आधारित योजना तैयार करने का है। युवा नौकरशाहों की पीढ़ी वाले उपसचिवों को निवेश परियोजना का काम सौंपा जा रहा है। ये परियोजनाएं अपनी शुरुआत से लेकर पूरा होने तक उनकी निगरानी में रहेंगी। सरकार ने भोपाल, इंदौर, छिंदवाड़ा और रतलाम में एक-एक टेक्सटाइल पार्क और इंदौर में एक कन्फैक्शनरी बनाने की मंजूरी दी है। इन प्रस्तावित औद्योगिक पार्कों से जहां बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे वहीं, युवा स्वाभिमान योजना का उद्देश्य भी 21-30 आयु वर्ग के बेरोजगार शहरी युवाओं को रोजगार के 40 अलग-अलग क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध कराना है ताकि उन्हें रोजगार के योग्य बनाया जा सके। मनरेगा (एमएनआरईजीए) की तर्ज पर इन युवाओं को साल में 100 दिन रोजगार की गारंटी दी जाएगी। असंगठित क्षेत्र में सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों में से एक और फिलहाल खस्ताहाल चल रहे रियल एस्टेट सेक्टर को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने सभी श्रेणियों में कलेक्टर रेट 20 प्रतिशत घटा दिया है। जन संपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा कहते हैं, इसका उद्देश्य जमीन की कीमतों को सही करना है ताकि रियल एस्टेट क्षेत्र में जान फूंकी जा सके। इस कदम से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए संपत्ति की रजिस्ट्री पर स्टांप ड्यूटी को 2.2 प्रतिशत बढ़ाकर ग्रामीण क्षेत्रों में 9.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
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