03-Aug-2019 06:18 AM
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छत्तीसगढ़ की सियासत में अंडे को लेकर जोरदार डंडे चल रहे हैं। दरअसल हो यह रहा है कि मिड डे मील में कुपोषण को खत्म करने के वास्ते सरकार ने स्कूलों में अंडे को मीनू में रखा, बस फिर क्या था, हिंदूत्ववादी संगठन, जो मांस मटन को वर्जित करते हैं ने सरकार को घेरना प्रारंभ कर दिया। सबसे पहले गायत्री परिवार सामने आया फिर कबीर पंथिओं के धर्मगुरु प्रकाश मुनि साहब ने रायपुर बिलासपुर हाईवे पर रात को चक्का जाम कर दिया और नारे लगाने लगे- भूपेश बघेल आंखें खोल आंखें खोल! 15 वर्षों तक पूर्ववर्ती सरकार के समय में भी मिड डे मील में अंडे कुपोषण के खिलाफ स्कूल में मध्यान्ह भोजन में खिलाए जाते रहे। सवाल यही उठाया जा रहा है तब यह विरोध क्यों नहीं हुआ। आज भाजपा विधानसभा में अंडे को लेकर डंडे भांज रही है, विरोध कर रही है।
सात माह से भूपेश बघेल निष्कंटक सत्ता की घोड़ी पर बैठे विचरण कर रहे हैं। प्रशासन की रास आज उनके हाथ में है। अब जो विपक्ष कल सत्तासीन था, मदमस्त था आज ठलहाÓ बैठा हुआ है। छत्तीसगढ़ भाजपा का एक तरह से सूपड़ा साफ हो चुका है। भूपेश बघेल के मंत्री अमरजीत सिंह भगत कहते हैं डॉक्टर रमन सिंह, धर्मलाल कौशिक, बृजमोहन अग्रवाल के लिए समय काटना मुश्किल हो रहा है शायद इसलिए जब कोई मुद्दा नहीं है तो अंडे पर डंडा उठा लिया है। मामला यह है कि अंडे से लोगों की भावना आहत हो रही है। सरकार खुद अंडे खिला रही है। मामला 18 जुलाई को विधानसभा में गूंजा जहां भाजपा के डा. रमन सिंह, धरमलाल कौशिक, ब्रजमोहन अग्रवाल ने अंडे की खिलाफत की तब यह भूल गए कि उनकी सरकार के दरम्यान भी यही मीनू था तब लोगों की भावना नहीं आहत हुई कांग्रेस की सरकार है तो लोग दुखी हो रहे हैं और जमकर राजनीति हो रही है।
आज हर कोई, बात -बेबात भूपेश बघेल और उनकी सरकार को झुकाना चाहता है। नए- नए मुख्यमंत्री और मंत्री बने कांग्रेसी नेता समन्वय और समझदारी, संवेदनशीलता का परिचय दे रहे हैं। आम जनता के साथ जुड़कर सभी सत्ता के मद से दूर हैं ऐसे में लोग गलत सही अपने काम करवा रहे हैं इधर राजनीति में संडाध पैदा हो रही है। लोग चाहते हैं भूपेश बघेल भी दम्भी, अहंकारी और लठ्ठमार बन जाए ताकि उनकी छवि को खराब करके हाशिए पर ढकेल दिया जाए।
अब यह ऐसा मसला है कि अगर अंडे को स्कूलों के मध्यान्ह भोजन मैं बंद करते हैं तो मुश्किल और चालू रखते हैं तो प्रदेश का माहौल विषाक्त। सांप छछूंदर वाली स्थिति बनती है। इसके पीछे मंशा सिर्फ सरकार को झुकाना है और यह ऐसा मसला है जिस पर बैकफुट पर जाने से भूपेश बघेल की सरकार की छवि कमजोर और दब्बू की बन सकती है। इसलिए बीच का रास्ता निकाला गया है जिसे अंडे पर आपत्ति है भावना आहत हो रही है वह अंडा नहीं खाएगा!
छत्तीसगढ़ में कुपोषण बड़ा मुद्दा है। जब छत्तीसगढ़ की सियासत अंडे पर उबाल मार रही हो तो ऐसे समय में अंडे को कुपोषण मुक्ति का एक बेहतर रास्ता बताने वालों के लिए यह चिंतन भी जरूरी हो जाता है कि क्या वाकई अंडा खाने से बच्चों का कुपोषण दूर हो जाता है या कुपोषण दूर हो जाएगा? इस सवाल के जवाब में लोगों के मत मतांतर तो स्वाभाविक है, पर यदि अंडा खाने से बच्चों का कुपोषण दूर हो जाता है तो फिर छत्तीसगढ़ में कुपोषित बच्चों की संख्या 4 लाख 92 हजार 176 कैसे पहुंच गई? छत्तीसगढ़ के लिए इससे बड़ी शर्मनाक स्थिति और क्या हो सकती है, जब 19 साल की उम्र में भी कुपोषण से छुटकारा नहीं मिला है।
कांग्रेस की सत्ता आने के बाद छत्तीसगढ़ में कुपोषित बच्चों के जो आंकड़े सामने हैं उसमें सत्ताईस जिलों में बिलासपुर जिला कुपोषित बच्चों की संख्या के मामले में अव्वल नंबर पर है। दूसरे नंबर पर राजनांदगांव जिला है जहां कुपोषित बच्चों की संख्या 32 हजार 756 है। तीसरे नंबर पर बलौदाबाजार है जहां पर कुपोषित बच्चों की संंख्या 29 हजार 737 है। विधानसभा के मानसून सत्र में प्रस्तुत सरकारी आंकड़ों को मानें तो प्रदेश का प्रत्येक जिला कुपोषण का शिकार है। जानकारी के अनुसार कुपोषण में कमी लाने को लेकर भाजपा सरकार के कार्यकाल से पूरे छतीसगढ़ में मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना, नवा जतन योजना, मुख्यमंत्री अमृत योजना, महतारी जतन योजना, आंगनबाड़ी गुणवत्ता अभियान, सुपोषण चौपाल, पूरक पोषण आहार कार्यक्रम चली आ रही है। यही योजना वर्तमान में भी क्रियान्वित है।
-रायपुर से टीपी सिंह