03-Aug-2019 06:13 AM
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तत्कालीन शिवराज सरकार में शुरू की गई संबल योजना की हकीकत अब सामने आने लगी है। कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू कराई गई जांच में अब तक 32 फीसदी से ज्यादा हितग्राही फर्जी पाए गए हैं। राज्य सरकार की ओर से संबल योजना (अब नया सवेरा) में फर्जी हितग्राहियों का पता लगाने प्रदेश के सभी जिलों में सर्वे का काम किया जा रहा है। अब तक करीब 32 प्रतिशत हितग्राही ऐसे मिले हैं, जो पात्र न होते हुए भी योजना का फायदा ले रहे हैं। गौरतलब है कि संबल योजना में कई तरह के लाभ सरकार देती है। इसमें शिक्षा प्रोत्साहन, सरल बिजली, संस्थागत प्रसव व जांच, सामान्य मौत, दुर्घटना, स्थायी अपंगता, अंत्येष्टि आदि के लिए आर्थिक मदद भी मिलती है।
तत्कालीन भाजपा सरकार के समय शुरू हुई संबलÓ योजना में भारी फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है। राज्य सरकार की ओर से फर्जी हितग्राहियों का पता लगाने प्रदेश के सभी जिलों में सर्वे का काम किया जा रहा है। अब तक करीब 32 प्रतिशत हितग्राही ऐसे मिले हैं, जो पात्र न होते हुए भी योजना का फायदा ले रहे हैं। सर्वे का काम 15 दिन में पूरा होना था, लेकिन कुछ हितग्राहियों का भौतिक सत्यापन होना बाकी है, इसलिए सर्वे एक हफ्ते और चलेगा। इसके बाद योजना में अपात्रों की संख्या और बढ़ सकती है। श्रम मंत्री का दावा है कि सामने आए अपात्र लोगों में भाजपा नेता भी शामिल हैं। योजना में रजिस्टर्ड कुल लोगों की संख्या करीब 2.20 करोड़ है।
दअरसल, पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने चुनाव में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए चुनाव से पहले संबल योजना शुरू की थी। तत्कालीन श्रम आयुक्त राजेंद्र बहुगुणा ने अपने स्तर पर संबल योजना को लेकर सर्वे कराया था, जिसमें सामने आया था कि योजना में बड़ी संख्या में अपात्र लोगों को शामिल किया गया है। बहुगुणा ने तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान को इस फर्जीवाड़े की जानकारी दी थी, लेकिन कार्रवाई करने की बजाय रिपोर्ट दबा दी गई। इसके बाद प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने अपने स्तर पर एक एजेंसी से संबल योजना में फर्जीवाड़े की जानकारी जुटाई और मुख्यमंत्री को इससे अवगत कराया। इस पर उन्होंने कहा कि 15 दिन में जांच कर अपात्र लोगों को योजना से हटाया जाए और दोषियों पर कार्रवाई की जाए। इसके बाद कमिश्नर, कलेक्टर और जिपं सीईओ को निर्देश जारी कर सर्वे के लिए हर जिले में कंट्रोल रूम बनाया गया। टीमें योजना का लाभ ले रहे लोगों के घर-घर जाकर सर्वे कर रही हैं।
संबल योजना से जुड़े फर्जी लोगों के नाम हटाने का काम शुरू हो गया है। इस योजना को श्रमिक वर्ग के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया था, लेकिन योजना में बिल माफी व सस्ती बिजली की स्कीम के होने से वे लोग भी इसमें शामिल हो गए थे, जो पात्रता नहीं रखते थे। विधानसभा चुनावों में लाभ उठाने के लिए उस समय भाजपा शासन ने भी जानबूझकर योजना के नियम कायदों को एक तरफ रखवा दिया था व उस समय भाजपा शासन की तरफ से निर्देश जारी किए गए थे कि जो भी योजना का लाभ लेना चाहे उसे दिया जाए। इन निर्देशों के बाद मुख्यमंत्री जन कल्याण योजना के तहत पंजीयन के लिए नजदीकी पार्षद कार्यालयों पर ही फार्म रखवा दिए गए थे। इस फॉर्म के साथ आधार कार्ड, फैमिली आईडी की फोटो कॉपी और 2 फोटो को लेकर पार्षद कार्यालय पर पंजीयन करवाया गया था। पंजीयन में आसानी होने से कोई वार्ड ऐसा नहीं था जहां से हजारों लोगों ने अपना पंजीयन नहीं कराया हो। जो छूट रहे थे उनसे निगम के कर्मचारी व्यक्तिगत अनुरोध कर लाभ लेने के लिए प्रेरित कर रहे थे। शायद उस समय शासन का दबाव था, जिस कारण अधिक से अधिक लोगों को इस योजना से जोडऩे का टारगेट दिया गया था।
- श्याम सिंह सिकरवार