18-Jul-2019 09:28 AM
1234828
व्यापमं कांड में सीबीआई अब क्लीनचिट एजेंसी बनती जा रही है। सीबीआई ने चार साल की जांच में न तो कोई बड़ा खुलासा किया न ही हाई प्रोफाइल लोगों तक पहुंच सकी है। उल्टा एसआईटी ने जिन हाई प्रोफाइल लोगों को आरोपी बनाया था, उन्हें भी आरोप मुक्त करा दिया। लचर जांच के चलते तीस फीसदी आरोपियों को क्लीन चिट मिल गई। पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, व्यापमं के पूर्व कंट्रोलर पंकज त्रिवेदी, पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य गुलाब सिंह किरार, कैंसर हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ.बीआर श्रीवास्तव सहित बड़े लोग केस से बाहर हो गए। वहीं दो केसों में आरोपी दोषमुक्त भी हो चुके हैं। एसआईटी द्वारा हाई प्रोफाइल लोगों को आरोपी बनाने के बाद सीबीआई के क्लीनचिट देने से उसकी जांच पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
व्यापमं में फर्जीवाड़े का खुलासे होने के बाद हाईकोर्ट ने एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने पीएमटी, आरक्षक भर्ती, शिक्षक भर्ती सहित अन्य परीक्षाओं में शामिल हुए फर्जी परीक्षार्थियों को पकड़ा और उनसे धारा 27 (पुलिस अभिरक्षा में पूछताछ) में पूछताछ कर घोटाले में शामिल लोगों के नाम सामने लाई। तब एसआईटी की जांच पर सवाल उठाए गए और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 13 जुलाई 2015 को व्यापमं कांड की जांच सीबीआई को हैंडओवर की गई। सीबीआई के पास प्रदेश में 170 मामले गए थे, जिसमें अब केवल 15 प्रकरणों की जांच शेष बची है। सीबीआई ने 155 मामलों के चालान पेश कर दिए हैं। सीबीआई ने जिन मामलों में चालान पेश किए हैं, उनमें 4 साल चली जांच में कुछ नया नहीं किया और प्रदेश के सबसे बड़े घोटाले की चर्चा बंद सी हो गई।
प्री पीजी फर्जीवाड़े के सबसे बड़े केस में 9 हाई प्रोफाइल लोगों को क्लीनचिट दी गई। परीक्षार्थियों ने 50 लाख से अधिक रुपए देकर प्री पीजी में टॉप किया था। इस केस के परीक्षार्थियों ने व्यापमं में गोले काले करके टॉप किया था। दीपक यादव के प्री पीजी केस में पिता कप्तान सिंह व सॉल्वर की व्यवस्था करने वाले सुरेन्द्र वर्मा को भी क्लीनचिट दी गई। रैकेटियर को सीबीआई ने छोड़ दिया, जबकि सॉल्वर को तलाश नहीं पाई। वहीं पीएमटी में भी कईयों को क्लीन चिट मिल गई है। उनमें दिलीप कन्नोजे को फर्जी तरीके से पीएमटी पास कराने मनीष व हृदेश ने मिडिल मैन की भूमिका निभाई थी। सीबीआई ने दोनों को क्लीनचिट दे दी, लेकिन कोर्ट ने उनको फिर से आरोपी बना लिया है। प्रियंका श्रीवास्तव के पिता को सीबीआई ने क्लीन चिट दे दी। मोनिका यादव के पिता को क्लीन चिट दी। राहुल यादव के केस में सीबीआई ने सॉल्वर राममुनीस व पिता कप्तान सिंह को राहत दे दी। वरुण शर्मा के केस में पिता को सबूत के अभाव में क्लीनचिट दे दी। सॉल्वर के संबंध में बताया कि कोई नाम सामने नहीं आया।
सीबीआई ने व्यापमं के अधिकारी नितिन महिंद्रा के खिलाफ सबसे ज्यादा 13 एफआईआर दर्ज की हैं। वे सभी मामलों में आरोपी बनाए गए हैं और उनका नाम चालान में शामिल है। वहीं उनके साथी पंकज त्रिवेदी के खिलाफ व्यापमं घोटाले में आठ मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से उन्हें दो में क्लीनचिट मिल चुकी है। इसी तरह पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के खिलाफ दर्ज आठ मामलों में से दो में सीबीआई ने क्लीनचिट दे दी है। दरअसल, सीबीआई कोर्ट में आरोप साबित नहीं कर पाई और दोषी मुक्त होते चले गए। 30 सितंबर 2012 को पड़ाव पुलिस ने आरक्षक परीक्षा देने आए फर्जी परीक्षार्थियों को पकड़ा था। पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश कर दिया था, लेकिन इस केस की जांच सीबीआई को सौंप दी। उसने अतिरिक्त जांच कर सभी आरोपियों को क्लीनचिट दे दी थी, लेकिन विशेष सत्र न्यायालय ने सीबीआई की खात्मा रिपोर्ट को खारिज कर दिया और ट्रायल चलाने का आदेश दिया। ट्रायल के दौरान भी सीबीआई कोई साक्ष्य नहीं ला सकी और 10 आरोपी दोषमुक्त हो गए। विकास माहौर ने वर्ष 2010 में फर्जी तरीके से पीएमटी पास की। एसआईटी ने मामले का खुलासा किया। सीबीआई ने अतिरिक्त जांच में कई कमियां छोड़ दीं। वह सॉल्वर को ही नहीं तलाश पाई। दोबारा अंगूठे के निशान नहीं लिए। इस कारण विकास माहौर दोषमुक्त हो गया।
- राजेश बोरकर