18-Jul-2019 07:35 AM
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स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रदेश में बनने वाले शौचालयों में की गई गड़बड़ी के मामले में अधिकांश कलेक्टर लापरवाह बने हुए हैं। हालात यह है कि इस मामले में मंत्रालय स्तर से लिखे गए आधा सैकड़ा पत्र और रिमाइंडर के बाद वे जांच रिपोर्ट भेजने तक को तैयार नहीं हैं। ऐसे जिलों की संख्या करीब बीस है। इन 20 जिलों में 116 शिकायतों की जांच के निर्देश जिला पंचायत के सीईओ को दिए गए थे, लेकिन सीईओ ने भी जांच रिपोर्ट नहीं भेजी है। स्वच्छ भारत मिशन कार्यालय कई पत्र और रिमाइंडर कलेक्टरों को भेज चुका है, फिर भी उस पर अमल करने को अफसर तैयार नहीं हैं। खास बात यह है कि कई कलेक्टरों को तो डेढ़ दर्जन से अधिक पत्र तक लिखे जा चुके हैं।
स्वच्छ भारत मिशन के राज्य कार्यक्रम अधिकारी असित गोपाल ने सतना कलेक्टर को 21 जून को पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि संलग्न 17 पत्रों का अवलोकन करें। शौचालय निर्माण के संबंध में कार्यालय को प्राप्त शिकायत पर की गई जांच का प्रतिवेदन और कार्रवाई से अवगत कराने के लिए लगातार पत्राचार के बाद भी आपकी ओर से प्रतिवेदन नहीं भेजा गया। असित गोपाल ने बड़वानी कलेक्टर को लिखे सातवें पत्र में छह बार रिमाइंडर भेजने का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि 2017 में शौचालय निर्माण की शिकायत की जांच का प्रतिवेदन आज तक नहीं भेजा गया। जांच प्रतिवेदन और की गई कार्रवाई की रिपोर्ट जल्द भेजी जाए। राज्य कार्यालय से शिवपुरी और आगर-मालवा जिले के कलेक्टरों को भी छह-छह बार लिखा जा चुका है। यहां से भी कोई जानकारी नहीं आई। शिवपुरी में गड़बड़ी का मामला सीएम मॉनीटरिंग से संबंधित है फिर भी जिला प्रशासन ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। आगर-मालवा का मामला आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में दर्ज है। सतना में सबसे ज्यादा 28 शिकायतों पर जांच चल रही है। कुछ जांच तो 2013 और 2014 से चल रही हैं। कुछ मामले सीएस श्रेणी में भी रखे गए हैं। मझगवां में पीएम आवास और शौचालय में गड़बड़ी करने का मामला ईओडब्ल्यू में चल रहा है। वहीं छतरपुर में 18 शिकायतें प्रचलन में हैं। यहां पर भी 2014 से लेकर 2019 तक के मामलों में जांच प्रस्तावित है। इस साल भी दो जांच के लिए लिखा गया है। जबलपुर में आर्थिक अनियमितता के पांच मामलों में शिकायत की गई है। तहसील पाटन के शौचालय निर्माण के मामले में तो भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंची है।
मुरैना में छह शिकायतें हैं। एक राज्यपाल श्रेणी की तो दो लोकसेवा प्रबंधन श्रेणी की हैं। यहां पर 2016 से 2019 तक की शिकायतें हैं। रायसेन में तीन शिकायतों पर जांच प्रस्तावित है। ये मामले 2017, 2018 और 2019 के हैं। रतलाम में दो मामलों की जांच प्रचलन में हैं। रीवा में 11 मामलों पर जांच बैठाई गई है। कुछ मामले तो 2014 के हैं। त्यौंथर में शौचालय निर्माण का मामला तो भारत सरकार श्रेणी का है। सिवनी में चार मामले जांच में हैं। एक जांच में तो लिखा गया है कि सर्जिकल स्ट्राइक की तर्ज पर ब्लॉक के बाहर की टीम से शौचालय निर्माण में अनियमितता का मामला है। सीधी में सात शिकायतें हैं। एक शिकायत की जांच ईओडब्ल्यू में भी चल रही है। यहां पर अपात्र हितग्राहियों को शौचालय की राशि बांट दी गई थी।
टीकमगढ़ में 2018 से 2019 तक के पांच मामलों पर जांच होना है। अनूपपुर में दो शिकायतों पर जांच प्रस्तावित है। भिंड में 2015 में तत्कालीन ब्लॉक समन्वयक रमाशंकर सिंह भदौरिया के भ्रष्टाचार समेत दस शिकायतों पर जांच लंबित है। डिंडौरी में शौचालय निर्माण के साथ प्रधानमंत्री आवास में गड़बड़ी के दो मामले हैं। धार में आर्थिक अनियमितता के पांच मामले जांच में हैं। देवास में शौचालय निर्माण में गड़बड़ी के तीन मामलों पर जांच रिपोर्ट
नहीं भेजी गई। बड़वानी, आगर-मालवा, अशोकनगर, हरदा और शिवपुरी में भी स्वच्छता मिशन के तहत जांचें चल रही हैं।
- रजीनकांत पारे