18-Jul-2019 07:00 AM
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कहते हैं कि चोर के पांव नहीं होते, उसी तरह भ्रष्टाचार की जड़ें भी इतनी मजबूत नहीं जितनी कि दिखाई दे रही हैं। जरूरत है, ईमानदार प्रयास की। जब दुनिया के कई देश अपने यहां टेक्नोलॉजी के सहारे ईमानदार व्यवस्था स्थापित कर चुके हैं तो यह हमारे लिए भी कोई मुश्किल नहीं है। भ्रष्टाचार नजले की तरह है जो ऊपर से नीचे बहता है। सुखद यह है कि केंद्र सरकार ने ऊपर से सफाई अभियान चला दिया है और आशा की जानी चाहिए कि जल्द ही इसका असर पूरी व्यवस्था पर भी पड़ता दिखेगा। अपने पिछले कार्यकाल में नरेंद्र मोदी सरकार के नेतृत्व में आयकर विभाग ने 5520 करोड़ रुपए का कालाधन बरामद किया है। यह जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में एक सवाल के लिखित जवाब में 24 जून, 2019 को दी है। औसत के लिहाज से देखा जाए तो सरकार ने सालाना करीब 1100 करोड़ रुपए की ब्लैक मनी जब्त की। इसके लिए पांच सालों में आयकर विभाग ने 3,709 ठिकानों की
तलाशी ली यानी आम बोलचाल की भाषा में छापे मारे।
भाजपा सांसद सुशील कुमार सिंह ने वित्त मंत्रालय से सवाल पूछा था कि क्या सरकार को देश में कालाधन वापस लाने पर गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट मिल गई है। क्या देश-विदेश में काला धन रखने वालों का राज्यवार ब्योरा है और अगर है, तो पिछले पांच साल में कालेधन की बरामदगी का ब्योरा दिया जाए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में दिए लिखित जवाब में कहा कि 27 मई, 2011 को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन की अध्यक्षता में मल्टी एजेंसी कमेटी का गठन हुआ और कमेटी ने 29 मार्च, 2012 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें कालेधन पर लगाम लगाने के उपाय सुझाए गए।
मंत्री ने बताया, काले धन की रोकथाम के लिए आयकर विभाग लगातार कार्रवाई कर रहा है। आयकर विभाग प्रत्यक्ष कर कानूनों के तहत तलाश, सर्वे, पूछताछ, आय का एसेसमेंट, टैक्स-ब्याज-अर्थदंड लगाने और मुकदमा चलाने की कार्रवाई कर रहा है। विभाग इस कार्रवाई का राज्यवार ब्योरा नहीं रखता है। आयकर विभाग ने सबसे ज्यादा 1,152 तलाशियां नोटबंदी वाले साल में यानी 2016-17 के दौरान लीं और इनमें 1,469 करोड़ रुपए की बरामदगी की। लेकिन रकम के लिहाज से चुनावी साल 2018-19 आगे रहा जिसमें 1,584 करोड़ रु. की बरामदगी हुई। हालांकि 2018-19 के आंकड़े अभी अस्थायी हैं। जवाब में बताया गया कि आयकर विभाग ने कालेधन कानून के तहत 30 अप्रैल, 2019 तक 12,260 करोड़ की अघोषित विदेशी संपत्ति के संदर्भ में 380 मामलों में नोटिस जारी किए हैं। कालेधन के मामले में 68 केस भी चल रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अफसरशाही के भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार को अपनी रणनीति दो स्तरों पर बनानी होगी और नवीनतम टेक्नोलॉजी का सहारा लेना होगा। नौकरशाही के भ्रष्टाचार को दो वर्गों में बांटा जा सकता है। पहला उच्च स्तर, जो जनता के ध्यान में नहीं आता पर देश के विकास में यह सबसे बड़ी बाधा है। दूसरी श्रेणी का भ्रष्टाचार स्थानीय है जिससे आम आदमी हर रोज दो-चार होने को मजबूर है। उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार पर नकेल डालने के लिए हर विभाग में अल्पकालिक व दीर्घकालिक लक्ष्य निर्धारित करने होंगे। विकास परियोजनाओं के संपूर्ण होने पर ही नहीं बल्कि बीच-बीच में भी उनकी समीक्षा करनी होगी और हर चरण के लिए जिम्मेवारी तय करनी होगी। बड़ी परियोजनाओं में जनभागेदारी को भी शामिल करना होगा। जिस इलाके में बड़ी परियोजनाएं चल रही हों उससे सर्वाधिक प्रभावित स्थानीय निवासी ही होते हैं तो फिर इन परियोजनाओं के निर्माण व क्रियान्वयन में वहां की जनता को कैसे अलग रखा जा सकता है!
-अक्स ब्यूरो