नेता पुत्रों की कारगुजारियां
04-Jul-2019 07:21 AM 1234827
चाल, चेहरा और चरित्र वाली भाजपा का चेहरा इन दिनों कलंकित होता जा रहा है। भाजपा के चेहरे पर विपक्ष नहीं बल्कि खुद पार्टी के नेता और नेता पुत्र कालिख पोत रहे हैं। प्रदेश में बीते एक माह के दौरान भाजपा के चार बड़े नेताओं के पुत्रों से जुड़े मामले सामने आए हैं। इनमें से तीन भाजपा विधायक कमल पटेल के बेटे सुदीप पटेल, मोदी सरकार में मंत्री प्रहलाद पटेल के बेटे प्र्रवल पटेल और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को सरकारी कर्मचारी के साथ मारपीट के आरोप में जेल भेजा गया। वहीं भाजपा विधायक जालम सिंह पटेल के पुत्र मोनू सिंह पटेल फरार चल रहे हैं। दरअसल, जो पार्टी सत्ता में रहती है उसके नेताओं, कार्यकर्ताओं तथा नेता पुत्रों द्वारा कानून तोडऩा आम बात होती है। लेकिन प्रदेश में सत्ता से बेदखल होते ही भाजपा नेताओं के बेटों का गुस्सा अब कानून के दायरे में आने लगा है। पिछले एक महीने के भीतर मप्र भाजपा के तीन दिग्गज नेताओं के बेटे जेल जा चुके हैं। जिन नेताओं के बेटों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हुए हैं, उन्हें राजनीतिक समझ भाजपा शासन काल में ही आई। पिछले 15 साल में उन्होंने अपने घरों में पुलिस एवं प्रशासन के अफसरों को नतमस्तक होते देखा है। यही वजह है कि उन्हें लगता है कि उनका गुस्सा कानून के दायरे में नहीं आता है। कानून के रखवाले उनकी दहलीज पर सिर झुकाते हैं, वे उनका क्या बिगाड़ लेंगे। इसी दौरान नेता पुत्र राजनीति में खूब सक्रिय हुए, लेकिन भाजपा ऐसे नेता पुत्रों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार और उनकी संस्कृति नहीं सिखा पाई। भाजपा नेताओं के बेटों को पहले भी गुस्सा आता था, लेकिन भाजपा शासन काल में कानून के दायरे में नहीं आता था। भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की राजनीति हमेशा विपक्ष में रहते हुए चमकी है और अब बेटा आकाश विजयवर्गीय भी उनके नक्शेकदम पर है। 20 साल पहले पंचम की फैल में पानी की समस्या को लेकर कैलाश विजयवर्गीय बस्तीवासियों के साथ निगमायुक्त निवास पर प्रदर्शन करने पहुंचे थे। उन्होंने एक पैर का जूता अपने हाथ में ले लिया था और अफसरों से उसी अंदाज में बात करने पहुंचे थे। बाद में पुलिस उन्हें टांगाटोली कर थाने ले गई थी। आकाश ने अफसरों पर बल्ला उठाकर अपने पिता की राजनीतिक कार्यशैली की याद ताजा कर दी। आकाश जब राजनीति में उतरे तो उनके हिस्से राजनीतिक किस्से कम ही थे। उन्होंने पिता के पुराने विधानसभा क्षेत्र महू का काम देखा। तब ब्रिज को लेकर उन्होंने महू में बड़ा प्रदर्शन किया था और रेल रोकने के मामले में आकाश पर प्रकरण दर्ज हुआ था। विधायक बनने के बाद उनके आक्रामक तेवर कभी बातों में भी नहीं झलके, लेकिन अचानक अफसरों पर बल्ला उठाकर उन्होंने भाजपा के मुंह पर कालिख पोत दी है। इंदौर में विधायक आकाश विजयवर्गीय द्वारा बल्ले से निगम अफसर को पीटने की घटना के पीछे स्थानीय स्तर की राजनीति में वर्चस्व की जंग का परिणाम माना जा रहा है। कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने अपने बयान में कहा कि इस घटनाक्रम से पता चलता है कि भाजपा महापौर मालिनी गौड़ और पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक मतभिन्नता अब चरम पर है और हिंसक हो चली है। दरअसल, इस साल नगर निगम चुनाव है और महापौर पद के लिए अभी कोई दावेदारी नहीं कर रहा है। हो सकता है कि इस बल्ला कांड के बाद दो नंबर खेमे से महापौर पद के लिए दावेदारी पेश हो। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद निगम अफसरों का रवैया भी भाजपा नेताओं के साथ बदल गया है। बल्ला कांड के बाद अब दो नंबर खेमा अफसरों पर राजनीतिक दबाव बनाकर काम करवा सकेगा। -सुनील सिंह
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