स्लीपर सेल
18-Jul-2019 06:04 AM 1234799
मध्य प्रदेश सिमी के साथ ही नक्सलियों के स्लीपर सेल का गढ़ बन गया है। सच कहा जाए तो यहां भले ही कोई बड़ी नक्सली वारदात को अंजाम नहीं दिया जाता हो, लेकिन वह (नक्सली) प्रदेश को अपना सुरक्षित ठिकाना मानते हैं। यही नहीं, यहां बैठकर आसानी से नक्सली गतिविधियों से जुड़ी रणनीति को तैयार करते हैं। भोपाल से संदिग्ध नक्सली दंपति की गिरफ्तारी ने सुरक्षा की पोल खोलकर रख दी है। इससे पहले भी राजधानी में नक्सलियों के हथियारों की फैक्टरी का खुलासा हो चुका है। नक्सल प्रभावित जिलों में भले ही छुटपुट घटनाएं हुईं हो, लेकिन मध्य प्रदेश नक्सलियों के स्लीपर सेल का अड्डा बनता जा रहा है। एमपी में पहले से सक्रिय नक्सलियों का संगठन विस्तार दलम अपनी तादाद को बढ़ा रहा है। बालाघाट में पुलिस को नक्सलियों का मूवमेंट भी नजर आया है। इस नक्सली गिरोह में महिलाओं की संख्या भी करीब आठ बताई जा रही है। पुलिस अलर्ट मोड पर है और गश्त व्यवस्था को बढ़ाया गया है। सूत्रों ने बताया कि भोपाल से पकड़े गए संदिग्ध नक्सली दंपति का एमपी से कोई सीधा कनेक्शन नहीं है, लेकिन दंपति पिछले पांच सालों से शाहपुरा इलाके में रहकर नक्सली गतिविधियों से जुड़ा था। यूपी एटीएस ने मनीष श्रीवास्तव और उनकी पत्नी को गिरफ्तार कर उनके पास से 6 फर्जी वोटर आईडी, 4 फर्जी आधार कार्ड, 1 लाख 10 नकद, 3 लैपटॉप, 18 सिम कार्ड, 7 नेटशटर बरामद किए हैं। एक एसबीआई ब्रांच में खोले गए फर्जी खाते की जानकारी मिली है। यूपी एटीएस दंपति को ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ ले गई। जबकि कोर्ट से बाहर आने के बाद दंपति ने खुद को बेकसूर बताया और कहा कि वो देशद्रोही नहीं है। यही नहीं, कोर्ट से बाहर जाते समय दंपति ने नारेबाजी भी की। नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी के लिए भी बालाघाट सेंटर प्वाइंट बनाया गया है। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ सीमा से लगे इलाकों में सक्रिय मलाजखंड, दलम, तांडा दलम और गढ़चिरौली में सेंट्रल कमेटी ने नक्सलियों की संख्या बढ़ाई है। जबकि देवरी दलम से कुछ सदस्य भी यहां शामिल हुए हैं। बेशक यहां नक्सलियों ने किसी बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दिया हो, लेकिन प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में अपनी स्लीपर सेल तैयार कर नक्सली किसी बड़ी साजिश की प्लानिंग में हैं। बताया जाता है प्रदेश में पनाह लेकर नक्सली आराम से घटनाओं को अंजाम देने का मास्टर प्लान तैयार करते हैं। मंडला जिले के मोतीनाला थाना क्षेत्र, जिसका अधिकांश हिस्सा कान्हा नेशनल पार्क में आता है, वहां भी नक्सलियां का मूवमेंट बताया जा रहा है। विस्तार दलम में स्पेशल फोर्स के लिए प्लाटून-2 और प्लाटून- 3 में 25-25 सदस्यों को शामिल किया गया है। छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र के बॉर्डर एरिया में लगातार सर्चिंग से दबाव बढऩे की वजह से नक्सलियों ने नया रास्ता अख्तियार किया है। नक्सली अब बालाघाट में नहीं मंडला, डिंडौरी और अमरकंटक के जंगलों को अपना ठिकाना बना रहे हैं। नक्सलियों ने बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर, उमरिया के जंगलों में 500 गांवों को चिन्हित किया है। गांवों में नक्सली ग्रामीणों का हितैषी बताकर स्लीपर सेल तैयार कर रहे हैं। विस्तार दलम की ताकत को बढ़ाने के लिए दो नई प्लाटून बनाई है। सेंट्रल कमेटी ने छत्तीसगढ़ के कबीरधाम से तैयार प्लाटून-2 और प्लाटून -3 को बालाघाट के सीमावर्ती इलाके से लगे मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर, उमरिया जिले में सक्रिय किया है। प्लाटून-2 ने बालाघाट, मंडला, डिंडौरी क्षेत्र के 100 गांवों और प्लाटून-3 ने छत्तीसगढ़ के कबीरधाम, मंडला, उमरिया के 100 गांवों का नक्सली कोड तैयार किया है। जबकि छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के कबीरधाम से नक्सली गढ़ी मुक्की होते हुए सूपखार के जंगल से सीधे मंडला की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं। यहां से उनका टारगेट मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर, उमरिया से सीधे सिंगरौली तक रोडमैपिंग करने का है। इसके जरिए इन जंगलों में अपनी ताकत बढ़ाने, ओडिशा, झारखंड और आंध्रा से सीधे नई भर्ती कर तादाद बढ़ाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। -बृजेश साहू
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